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Madhua Insect: बिहार में धान की फसल पर मधुआ कीट का हमला, किसान इन दवाइयों का करें छिड़काव

खेती करते समय किसान फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्मों का चयन करता है. लेकिन कभी-कभी फसलों में होने वाले कीटों से उसे नुकसान उठाना पड़ता है. हाल ही में बिहार में मौसम में परिवर्तन के कारण धान की फसल पर भूरा तना मधुआ कीट (Madhua Insect attack) का हमला हुआ है. आज हम इन्हीं रोग, कीटों और कीटनाशक दवाओं के बारे में बताने जा रहे हैं.

वर्तिका चंद्रा
Madhua insect
Madhua insect

Paddy Crop: धान, खरीफ सीजन की मुख्य फसल है. लेकिन मौसम में उतार-चढ़ाव होने के काऱण धान की फसल में रोग और कीट लग जाते है. बिहार में गया, नवादा, औरंगाबाद, भोजपुर, बक्सर, नालंदा, लखीसराय समेत कुछ अन्य ज़िलों में खरीफ सीजन (Khareef season) की धान की फसल में भूरा तना मधुआ कीट (Madhua Insect) का हमला हुआ है. यह कीट इतने खतरनाक है कि यह धान की तनों का रस चूसकर फसल को भारी नुकसान पहुंचाते हैं. किसानों की धान की फसल को इस कीट से बचाने के लिए कृषि विभाग के पदाधिकारियों और पौध संरक्षण संभाग ने अहम कदम उठाए है. जिसमें वह अनुशंसित कीटनाशी का प्रयोग कर किसानों की खड़ी धान की फसल को नुकसान से बचाने का प्रयास कर रहे हैं.

कैसा है भूरा तना मधुआ कीट

यह कीट हल्के भूरे रंग के होते हैं. इन कीटों का जीवन चक्र 20-25 दिन तक का होता है. इस कीट के वयस्क और शिशु दोनों ही पौधों के तने के आधार भाग पर रहकर रस चूसते हैं. अधिक रस निकल जाने की वजह से पौधे पीले रंग के हो जाते है. और जगह-जगह पर चटाईनुमा क्षेत्र बन जाता है जिसे ‘हॉर्पर बर्न’ कहते हैं.

इसे भी पढ़ें- जैविक कीटनाशक से कम करें खेती की लागत और बढ़ाएं मिट्टी की गुणवत्ता

कीटनाशक दवाओं का करें छिड़काव

धान की फसल में भूरा तना मधुआ कीट से बचाव के लिए इन अनुशंसित कीटनाशकों की मदद से कर सकते हैं-

  • एसीफेट 75% डब्लू.पी. की 1.25 ग्राम प्रति लीटर,
  • एसिटामेप्रिड 20% एस.पी. की 0.25 ग्राम प्रति लीटर,
  • इथोफेनोप्राक्स 10% ई.सी. की 1 मिली. प्रति लीटर,
  • क्विनालफ़ॉस 25% ई.सी. की 2.5 – 3 मिली. प्रति लीटर,
  • एसिफेट 50%+इमिडाक्लोप्रिड 1.8% एस.पी की 2 ग्राम प्रति लीटर
  • फिप्रोनिल 04%+ थायमेथाक्साम 4% एस.पी की 2 मिली प्रति लीटर
  • बुप्रोफेजिन 25% एस.पी की   1.5 मिली प्रति लीटर
  • कार्बोसल्फॉन 25% ई.सी की   1.5 मिली प्रति लीटर
  • फिप्रोनिल 05% एस.सी. 2 मिली. प्रति लीटर की दर से छिड़काव कर सकते हैं.

रोकथाम के उपाय

  • धान की फसल को बचाने के लिए किसान इस कीट का प्रबंधन समय रहते कर लेना चाहिए.
  • धान में बानी निकलते समय खेत में ज्यादा जल-जमाव नहीं होने देना चाहिए.
  • अनुशंसित मात्रा में नेत्रजन उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए.
  • खेत को खर-पतवार से मुक्त रखना चाहिए.

धान की फसलों में लगने वाले रोग

इसके अलावा धान के फसलों में लगने वाले ये प्रमुख रोग है. जैसे जीवाणु पर्ण, अंगमारी रोग, पर्ण झुलसा, पत्ती का झुलसा रोग, ब्लास्ट या झोंका रोग, बकानी रोग, खैरा रोग, स्टेम बोरर कीट,  लीफ फोल्ड कीट,  हॉपर,  ग्रॉस हॉपर,  सैनिक कीट आदि हैं. इनका रोकथाम यदि समय पर नहीं किया जाएगा तो किसानों को काफी नुकसान होता है.

English Summary: Madhua insect attack on paddy crop in Bihar farmar protect our crop in medicine Published on: 09 October 2023, 09:44 PM IST

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