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बीन्स की इन 5 उन्नत किस्मों से किसानों की आय होगी दोगुनी, जानें कितने दिन में होगी तैयार

अक्टूबर के महीने में बीन्स की खेती का सही समय होता है. इस दौरान किसान अपने खेत में बीन्स की उन्नत किस्मों को लगाते हैं और समय पर अच्छी पैदावार प्राप्त करते हैं. अगर आप भी हाल-फिलहाल में बीन्स की खेती करने जा रहे हैं, तो बीन्स की इन 5 बेहतरीन किस्मों का चयन करें.

लोकेश निरवाल
Beans Varieties
Beans Varieties

भारत में बीन्स को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. लेकिन ज्यादातर राज्यों में यह ग्वार के नाम से प्रचलित है, जिसकी फलियां सेम या बीन्स कहलाती हैं, जिसे घरों में सब्जी के तौर पर बनाया जाता है और यह सब्जी बेहद स्वादिष्ट बनती है. बीन्स दिखने में अलग-अलग तरह की होती हैं. यह पीली, सफेद और हरे रंग की पाई जाती है. किसानों के लिए यह बेहद फायदेमंद होती है. क्योंकि वह इसका इस्तेमाल न सिर्फ सब्जी बनाने के लिए करते हैं. बल्कि वह इससे हरी खाद भी तैयार करते हैं और पशुओं के चारे में भी इस्तेमाल करते हैं. क्योंकि इसमें प्रोटीन, विटामिन और कार्बोहाइड्रेट की पर्याप्त मात्रा होती है.

वहीं, बीन्स की बुवाई की सही समय अक्टूबर का माह होता है, अगर आप भी इस समय बीन्स की उन्नत खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको इसकी उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए. ताकि आप कम समय में अच्छी उपज प्राप्त कर सकें.

बीन्स की 5 उन्नत किस्में/ 5 Improved varieties of beans

कोहिनूर 51 किस्म

किसान इस किस्म को तीनों सीजन रबी, खरीफ और जायद में आसानी से कर सकते हैं. इस किस्म की फली हरे रंग की होती है और इसके फल भी काफी लंबे होते हैं. वहीं कोहिनूर 51 किस्म बीन्स की तुड़ाई बीज लगाने के 48-58 दिनों में कर ली जाती है.

पूसा पार्वती किस्म

इस किस्म के फलियां मुलायम, गोल, लम्बी और बिना रेशे की होती हैं. यह हरे रंग की होती है. इस किस्म की खासियत यह है कि पूसा पार्वती किस्म प्रति हेक्टेयर 18-20 टन तक बढ़िया उपज देती है.

अर्का संपूर्ण किस्म

बीन्स की यह किस्म भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर के द्वारा विकसित की गई है. अर्का संपूर्ण किस्म के पौधे में रतुआ और चूर्णिल फफूंद के रोग लगने की संभावना बेहद कम होती है. इससे किसान प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 8 से 10 टन पैदावार प्राप्त कर सकता है.

पन्त अनुपमा किस्म

इस किस्म की फलियां लंबी, चिकनी और हरे रंग की होती हैं. यह बीज रोपाई के दो महीने के बाद ही उपज देना शुरू करती है. पंत अनुपमा किस्म की खासियत यह है कि इसमें मोजेक विषाणु रोग नहीं लगते हैं. इस किस्म से किसान प्रति हेक्टेयर 9-10 टन तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: सेम की खेती करने का उन्नत तरीका, प्रति हेक्टेयर मिलेगा 100-150 क्विटंल उत्पादन

स्वर्ण प्रिया किस्म

स्वर्ण प्रिया किस्म की फलियां सीधी, लंबी, चपटी आकार की होती है. इसके अलावा इसमें मुलायम रेशा होता है. यह हरे रंग की होती है. यह किस्म खेत में रोपाई के 50 दिन के बाद ही उपज देना शुरू कर देती है. यह किस्म प्रति हेक्टेयर लगभग 11 टन तक पैदावार देती है.

English Summary: improved varieties of beans cultivation in India beans price beans farming Published on: 09 October 2023, 06:10 PM IST

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