चावल लगभग हर घर में बनाया जाने वाला भोजन है (Rice is our staple food), जिसे लोग बड़ी चाव से खाना पसंद करते हैं. ऐसा माना जाता है कि चावल खाने से शरीर का वजन बढ़ जाता है (Rice can lead to weight gain).
चावल एक ऐसा अनाज है जिसकी 4000 से भी ज्यादा किस्में होती हैं. छोटे चावल, बड़े चावल, बासमती चावल (Basmati Rice), सफेद चावल, ब्राउन चावल, लंबे चावल, आदि जैसे अलग-अलग रंग रूप के चावल दुनियाभर में उगाए जाते हैं. चीन के बाद भारत ही चावल का सबसे बड़ा उत्पादक है.
उत्तर भारत, मध्य भारत, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, आदि जैसे क्षेत्रों में चावल की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है. आयुर्वेद की माने तो चावल तुरंत ऊर्जा (Instant energy) प्रदान करने वाला अनाज है, जिसके अंदर भरपूर मात्रा में औषधीय गुण (medicinal benefits of rice) समाए हुए हैं.
पूरे दक्षिण भारत, उड़ीसा, असम, बिहार, बंगाल, राजस्थान, आदि जैसे भारत के कई सारे राज्यों में चावल एक मुख्य भोजन के रूप में खाया जाता है.
हमारे देश में लंबे चावल यानी कि बासमती चावल (Basmati Rice) अपनी शानदार सुगंध के लिए जाने जाते हैं और पूरे देश में बासमती चावल को खास दर्जा भी मिला हुआ है.
हमारे देश में बासमती चावल की पूरी 27 किस्में हैं जिन्हें देशभर में उगाया जाता है.
आज हम आप लोगों को बताना चाहते हैं कि चावल की ऐसी कई स्वादिष्ट पारंपरिक किस्में हैं जिनको खाने से आपका मन प्रसन्न हो जाएगा. इन पारंपरिक किस्मों को पूरे देश में इनके बेहतरीन स्वाद और शानदार सुगंध के लिए जाना जाता है.
मुल्लन कजहामा
केरल जैसे दक्षिण राज्य के वायनाड में उगाई जाने वाली इस किस्म का नाम है मुल्लन कजहामा. यह किस्म अपने बेहतरीन स्वाद और मनमोहक सुगंध के लिए काफी लोकप्रिय है. इस किस्म के चावलों से बनने वाली पाल पयसम और मालाबार बिरियानी अति उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करती है और लोगों को इन्हें खाने का बहुत शौंक है.
अंबेमोहर चावल
चावल की इस किस्म का नाम है अंबेमोहर चावल जो झटपट पक जाते हैं. इस जल्दी पक जाने वाले चावल को काफी मुलायम पाया जाता है. अंबेमोहर चावल हल्के और मुलायम होने के कारण बहुत ही नाजुकता से टूट जाते हैं और इनकी मोहक खुशबू आम के बौर जैसी होती है.
चक हाओ अमूबी
काले रंग का चक हाओ अमूबी चावल मणिपुर जैसे पहाड़ी इलाकों में उगाया जाता है. इस किस्म के चावलों में ढेर सारे औषधीय गुण पाए जाते हैं और यह थोड़ा सा चिपचिपा ही होता है. इन लाजवाब स्वाद वाले चावलों की खीर शानदार बनती है. खीर बनाते वक्त जब दूध उबलने लगता है तो खीर का रंग जामुन जैसा हो जाता है जिसकी सुगंध इतनी तेज होती है कि दूर दूर तक लोग पहचान जाते हैं कि घर पर क्या बना है. मणिपुर में जब भी कोई बड़ा त्यौहार, उत्सव या समारोह आयोजित किया जाता है तब इस किस्म के चावलों का आवागमन सभी का मन लुभा लेता है.
सीरगा सांबा
दक्षिण भारत में चावल की पारंपरिक किस्म के रूप से प्रचलित सीरगा सांबा अपनी कई सारी अन्य किस्मों के लिए भी जाना जाता है. सरेगा मुथु और सीरगा सांबा अपनी तेज महक वाली खुशबू के लिए पहचाने जाते हैं. इनकी जबरदस्त खुशबू वाला पुलाव हर किसी का मन प्रसन्न कर देता है.
गोबिंदो भोग
अपने छोटे आकार, सफेद रंग और शानदार सुगंध के लिए दुनिया भर में मशहूर गोबिंदो भोग किस्म के चावल केवल भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी प्रचलित है. गोबिंदो भोग की सबसे ज्यादा खेती पश्चिम बंगाल में की जाती है और इस किस्म के चावल त्योहारों, पूजा-पाठ और प्रसाद के दौरान सबसे ज्यादा पाए जाते हैं.
मुश्क बुदजी
कश्मीर घाटी में उगाए वाले मुश्क बुदजी चावल की बहुत ही ज्यादा तेज खुशबू पाई जाती है. जहां कहीं भी कोई उत्सव, समारोह, शादी या पार्टी चल रही होती है वहां इस किस्म के चावलों का होना उस अफसर की शोभा बढ़ा देता है. हर शुभ काम में इस्तेमाल किया जाने वाला मशहूर चावल यही माना गया है.
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