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आलू के हाल और चुनावों की चाल का फसा पेंच, किसानों को ये सुविधाएं

जिस तरह हाल के उपचुनावों (2019) में गन्ना किसानों के गुस्से की वजह से बीजेपी को भारी नुकसान हुआ है, उसी तरह उत्तर प्रदेश के आलू बेल्ट में किसानों का गुस्सा विधानसभा चुनावों में पार्टी को परेशान कर सकता है. यूपी में आलू किसानों की कई मांगे है जिसकी वह काफी मांग कर रहे हैं.

रुक्मणी चौरसिया
Potato Farming in India (Potato Production in UP)
Potato Farming in India (Potato Production in UP)

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) विधानसभा चुनाव (UP Elections 2022) के तीसरे चरण (Third Phase) के साथ राज्य में मतदान के लिए कुछ ही दिन शेष हैं. ऐसे में तीसरे चरण की 59 में से 36 सीटों पर आलू उगाने वाले किसानों पर गहरा प्रभाव पड़ता है. अब ऐसा क्यों हैं आइये जानते हैं इस रिपोर्ट में.

आलू किसान क्यों हैं परेशान (Why are potato farmers upset)

कानपुर के फर्रुखाबाद, कन्नौज, मैनपुरी और अरौल-बिल्हौर क्षेत्र (Farrukhabad, Kannauj, Mainpuri and Araul-Bilhaur) में आलू के कई खेती (Aloo Field) सड़क किनारे हैं और 258 कोल्ड स्टोरेज (Cold Storage) भी हैं. ये इस बात की गवाही देते हैं कि यहां के ज़्यादातर किसान आलू उगाते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इनकी संख्या करीब साढ़े चार लाख है.

इससे यह स्वाभाविक है कि किसानों के इतने बड़े समूह की उम्मीदें राजनीतिक दलों से भी बड़ी होंगी. खेतों के बीचोबीच खड़े ट्रैक्टरों पर आलू की बोरियां (Potato Sacks) लादने के बाद किसानों के चेहरों पर जल्द मेहनत का दाम मिलने की उम्मीद नजर आ रही है. इस दौरान पूरे आलू पट्टी (Potato Belt) में सभी पक्षों के प्रति किसानों में रोष है.

क्या है आलू किसानों की राय (What is the opinion of potato farmers)

11 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन (Potato Production) करने वाले फर्रुखाबाद में दो लाख से अधिक किसान इससे जुड़े हैं. यहां की शैतानपुर मंडी पहुंचने पर आलू के हाल और राजनीतिक चाल दोनों का खुलासा होता है. यहां आलू बेचने आए किसानों का कहना है कि "चुनाव में वादे तो किए गए, लेकिन आलू की खपत बढ़ाने के लिए उद्योग नहीं लग पाए. पिछली सरकारों ने आलू किसानों के लिए कुछ खास नहीं किया है".

किसानों का कहना है कि भाजपा सरकार (BJP) आने की वजह से बिजली में बचत और सिंचाई (Energy saving and irrigation) करना आसान हो गया है, लेकिन बार-बार आवेदन करने के बावजूद आलू के बीज नहीं मिल रहे हैं. आलू की सरकारी खरीद और निर्यात (Government procurement and export of potatoes) का वादा अभी तक पूरा नहीं किया गया है. अगर ऐसा हो पता तो आज तस्वीर कुछ और होती है.

आलू किसानों को चाहिए ये सुविधाएं (Potato farmers need these facilities)

  • आलू आधारित उद्योग लगाने की मांग पिछले पांच दशकों से की जा रही है.

  • परिवहन (Transportation) के लिए किसानों को अनुदान चाहिए.

  • आलू के चिप्स, आलू पाउडर और शराब बनाने की फैक्ट्री स्थापित करें.

  • आलू और उसके कारोबार पर हटाए जाये टैक्स (Tax).

  • सरकार द्वारा निर्यात के लिए बेहतर सुविधाएं चाहिए.

  • आलू की नीलामी शुरू हो.

  • कन्नौज में मंडी, रेलवे की आलू रैक बननी चाहिए.

  • खाद और बीज पर सब्सिडी (Seed and Fertilizer Subsidy) मिल सके.

  • बिल्हौर के किसानों को रेल की सुविधा मिलनी चाहिए.

  • हाइब्रिड आलू (Hybrid Potato) की खरीद का हब बनें.

बारिश ने किया किसानों का काम तमाम (The rain did all the work of the farmers)

हाल ही में हुई बारिश ने किसानों के माथे पर पसीना ला दिया है, साथ ही इस मौसम ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. आलू किसनों का आगे कहना है कि "बारिश के कारण आलू में फफूंदी लगने की संभावना बढ़ गई है. चेचक की बीमारी से आलू की गुणवत्ता प्रभावित होती है तो इसकी कीमत पर असर पड़ना तय है. मुनाफे की क्या उम्मीद करें, लागत का अंदाजा लगाना मुश्किल होगा".

किसान रेल से मिल रहा फायदा (Benefits of getting from Kisan Rail)

इसके अलावा यूपी में किसान रेल (UP Kisan Rail) ने व्यापारियों को एक नया बाजार दिखाया है. पिछले साल फरुखाबाद से 15 किसान आलू लेकर ट्रेन से निकले थे.

English Summary: UP Elections 2022, Potato Belt Farmers Demand Published on: 16 February 2022, 12:40 PM IST

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