
भारत की खूबसूरती इसकी विविधताएं ही हैं जो इसे अन्य देशों से अलग करती हैं. 6 ऋतुओं के इस देश में हर प्रदेश अपने में कुछ न कुछ ख़ास खूबी को बनाए हुए है. आज हम आपको बिहार में मनाए जा रहे लीची सम्मलेन के बारे में बताने जा रहे हैं. इस समय बिहार में डॉ. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के द्वारा लीची शो का आयोजन किया जा रहा है.

मुजफ्फरपुर में होता है सबसे ज्यादा उत्पादन
भारत में बिहार राज्य में मुजफ्फरपुर जिले में लीची का सबसे ज्यादा उत्पादन किया जाता है. लीची के लिए मुजफ्फरपुर को जी-आई टैग भी प्राप्त हो चुका है. जी-आई टैग प्राप्त लीची “शाही लीची” है. बिहार में शाही लीची के अलावा भी इसकी कई किस्में उत्पादित की जाती हैं. जिनमें कुछ प्रमुख किस्में चाइना, गुलाब, बेदाना शामिल हैं.
यह भी जानें- लीची खाने के कुछ रोचक फायदे और नुकसान, जानकर हो जायेंगे हैरान
लीची शो में होगी लीची खाने की प्रतियोगिता
बिहार में आयोजित हो रहे इस शो में तरह-तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है. जिनमें से एक प्रतियोगिता लीची खाने की भी आयोजित की जाएगी. जो भी व्यक्ति सबसे ज्यादा लीची खाने का रिकॉर्ड बनाएगा उसे विश्वविद्यालय द्वारा ईनाम दिया जायेगा. इसी श्रेणी में विश्व विद्यालय लीची की प्रदर्शनी का आयोजन भी करेगा. जिसमें बिहार में होने वाली सभी लीचियों के बारें जानकारी उपलब्ध करायी जाएगी.

भारत में 700 मीट्रिक टन लीची का होता है उत्पादन
भारत के कई प्रदेशों में लीची का उत्पादन बड़ी मात्रा में किया जाता है. इसी उत्पादन के आकड़ों के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष लगभग 700 मीट्रिक टन लीची से ज्यादा का उत्पादन होता है. इसी में अगर हम बिहार राज्य की बात करें तो केवल बिहार से ही 308.08 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष का उत्पादन उत्पादन होता है.
यह भी पढ़ें- लीची की इन प्रजातियों की है अलग पहचान
Share your comments