1. Home
  2. ख़बरें

हर्षिल घाटी में लहलहाते केसर, खिल उठे काश्तकारों के मुखड़े

उत्तरकाशी के हर्षिल घाटी में केसर उत्पादन की योजना परवान चढ़ती नजर आ रही है. इस योजना के तहत घाटी के पांच गांवों के किसानों को केसर के बीज नि:शुल्क उपलब्ध कराए गए. इनमें से अधिकांश बीज अंकुरित हो चुके हैं और उन पर फूल खिल चुके हैं. इसे देख किसानों के चेहरे खिल उठे हैं.

KJ Staff
Kesar Farming
Kesar Farming

उत्तरकाशी के हर्षिल घाटी में केसर उत्पादन की योजना परवान चढ़ती नजर आ रही है.  इस योजना के तहत घाटी के पांच गांवों के किसानों को केसर के बीज नि:शुल्क उपलब्ध कराए गए. इनमें से अधिकांश बीज अंकुरित हो चुके हैं और उन पर फूल खिल चुके हैं. इसे देख किसानों के चेहरे खिल उठे हैं.

सीमांत जिले की हर्षिल घाटी रसदार सेब और राजमा के उत्पादन के लिए जानी जाती है. केसर की खेती के लिए अनुकूल मौसम और घाटी की मिट्टी को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र ने वर्ष 2018-19 में किसानों को पहली बार केसर के बीज दिए थे। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए.

इसी को देखते हुए इस वर्ष जिला प्रशासन एवं उद्यान विभाग ने जिला योजना 2021-22 से घाटी के सुक्की, झाला, मुखबा, पुराली और जसपुर गांव के लगभग 38 किसानों को केसर के बीज दिए थे. किसानों ने क्यारियों को तैयार कर खेतों में बो दिया. डेढ़ महीने के भीतर ही उन पर फूल खिलने लगे हैं। इससे किसान उत्साहित हैं.

सुक्की गांव के किसान मोहन सिंह राणा ने बताया कि उन्हें 6 किलो बीज मिले थे, जिसे उन्होंने 22 सितंबर को बोया था. एक महीने के भीतर उन पर फूल आने शुरू हो गए हैं. 15 अक्टूबर तक फूल आते रहे. हर्षिल के किसान नागेंद्र सिंह रावत ने भी केसर के बीज बोए थे. उनके खेतों में भी फूल खिल रहे हैं.

ये खबर भी पढ़ें: आप भी बंजर ज़मीन से कमा सकते हैं लाखों का मुनाफा ! जानिए पूरी खबर

किसानों को अच्छी गुणवत्ता का बीज दिया गया. इससे एक से डेढ़ महीने में इस पर फूल आने लगे हैं. अभी उत्पादन कम है। भविष्य में यह किसानों की आजीविका को बढ़ावा देने में सहायक होगा.

गुणवत्ता की जांच करेगा कृषि विज्ञान केंद्र

कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौर हर्षिल घाटी में उत्पादित होने वाले केसर की गुणवत्ता की जांच करेगा. केंद्र के बागबानी डॉ. पंकज नौटियाल ने बताया कि घाटी के तीन गांवों के पांच स्थानों से सैंपल लिए जाएंगे. इसके बाद लैब में केसर में पाए जाने वाले क्रोसिन, क्रोकेटिन और सैफ्रेनल तत्वों के आधार पर इसकी गुणवत्ता की जांच की जाएगी। इसमें कश्मीर के केसर का नमूना भी रखा जाएगा.

इसके साथ ही इसका तुलनात्मक परीक्षण भी कश्मीर के केसर से किया जाएगा ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके. डीएचओ रजनीश सिंह ने कहा कि कश्मीर के केसर के बीज की कीमत अधिक होने के कारण वह यमुना घाटी के धारी कफनौल स्थित एक नर्सरी से किसानों को बीज उपलब्ध कराएंगे.

English Summary: How did saffron grow in Harshil Valley Published on: 01 November 2021, 09:11 PM IST

Like this article?

Hey! I am KJ Staff. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News