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सरकार ने 49 लाख किसानों के खाते में पहुंचाए 85600 करोड़ रुपए, पढ़िए आत्मनिर्भर से एक्सपोर्ट तक की जानकारी

रबी मार्केटिंग सीजन (2021-22) समाप्त हो चुका है. वहीं, सरकार ने 18 अगस्त, 2021 तक 389.93 लाख टन की तुलना में लगभग 433.44 लाख टन गेहूं की खरीदारी (Wheat Purchase) की है. इस तरह 49 लाख किसानों के खाते में 85600 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए जा चुके है.

कंचन मौर्य
Rabi Marketing Season
Rabi Marketing Season

रबी मार्केटिंग सीजन (2021-22) समाप्त हो चुका है. वहीं, सरकार ने 18 अगस्त, 2021 तक 389.93 लाख टन की तुलना में लगभग 433.44 लाख टन गेहूं की खरीदारी (Wheat Purchase)  की है. इस तरह 49 लाख किसानों के खाते में 85600 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए जा चुके है.

रबी मार्केटिंग सीजन का समय (Rabi Marketing Season Timings)

आपको बता दें कि रबी मार्केटिंग सीजन अप्रैल से मार्च तक चलता है, लेकिन गेहूं की थोक खरीद अप्रैल से जून के दौरान होती है. भारत में प्रति हेक्टेयर 36 क्विंटल तक का औसत उत्पादन होता है. इसके साथ ही हरियाणा व पंजाब में 50 क्विंटल तक उत्पादन होता है. इस साल वैष्णवी (DBW-303) नाम की किस्म नोटिफाई हुई है. वहीं इस बार कई प्रगतिशील किसानों ने वैष्णवी (DBW-303) का इस्तेमाल किया है, जिससे लगभग 80 क्विंटल तक औसत उत्पादन प्राप्त हो सकता है.

गेहूं का उत्पादन सबसे ज्यादा कहां होता है? (Where is the maximum production of wheat)

कृषि मंत्रालय (Ministry of agriculture) की रिपोर्ट को देखा जाए, तो यूपी का शेयर गेहूं उत्पादन (Wheat Production) में लगभग 34.89 प्रतिशत है. मगर यूपी, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, एमपी और बिहार एक साथ मिलकर लगभग 93.31 प्रतिशत गेहूं का उत्पादन (Wheat Production) करते हैं. इसके तहत पंजाब की 21.55, हरियाणा की 13.20, मध्य प्रदेश की 8.81, राजस्थान की 8.57 और बिहार की 6.2 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

खरीफ सीजन की एमएसपी तय (MSP fixed for Kharif season)

सरकार द्वारा फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) के लिए धान की एमएसपी (Paddy MSP) को 1940 रुपए प्रति क्विंटल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है.

इसे एक साल पहले के 1868 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बढ़ाया गया है. इस तरह बाजरा का एमएसपी (MSP of millet) चालू वर्ष के लिए 2250 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है.

आत्मनिर्भर से एक्सपोर्ट तक (From self-reliant to export)

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Wheat and Barley Research) के मुताबिक, भारत 80 के दशक के अंत तक गेहूं उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया था. साल 1993 के बाद सरकार की तरफ से ‘फ्रॉम सॉर्टेज टू सरप्लस’ का नारा दिया गया था. अगर लागत की बात करें, तो भारत में प्रति एकड़ लगभग 15 हजार रुपए की लागत आती है, जबकि कुछ विकसित देशों में 10 से 12 हजार रुपए की लागत आती है.

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority/APEDA) की मानें, तो भारत ने साल 2019-20 के दौरान लगभग 439 करोड़ रुपए का गेहूं एक्सपोर्ट किया. इसमें नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, सोमालिया, कोरिया और बांग्लादेश शामिल है.

भारतीय खाद्य निगम (FCI) की मानें, तो सरकारी गोदामों में 30 नवंबर 2020 तक गेहूं का भंडार लगभग 367.54 लाख टन मौजूद था. कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) के मुताबिक, रबी मार्केर्टिंग सीजन (RMS-2021-22) के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपए प्रति क्विंटल है.

English Summary: government has transferred rs 85600 crore to the account of 49 lakh farmers Published on: 28 August 2021, 01:15 PM IST

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