बदलते हुए जमाने के साथ आज तरह-तरह के डाइनिंग टेबल घर-घर में देखने को मिलने लगे हैं. लोगों का न सिर्फ भोजन बदला है, बल्कि भोजन करने का तरीका, नियम और समय भी बहुत हद तक बदल गया है. हो सकता है कि आपको भी जमीन पर बैठकर भोजन करना पुराने रहन-सहन की बात लगती हो, लेकिन बैठकर भोजन करना हमारे शरीर के लिए सबसे अधिक फायदेमंद है. चलिए आपको इस बारे में बताते हैं.
सुखासन की मुद्रा में करें भोजन (Eat food in the posture of Sukhasana)
जमीन पर बैठकर भोजन करने के लिए आपको सुखासन की मुद्रा में बैठना चाहिए. ऐसे करने से कई तरह की शारीरिक समस्याओं से भी राहत मिलती है. इस तरह बैठने के लिए सबसे पहले पैरों को मोड़ते हुए दाएं पैर के पंजे को बाई जांघ पर बाएं पैर के पंजे को दाई जांघ पर रख लें. हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा के रूप में रखें. सिर, गर्दन और रीढ़ पर कोई बल नहीं होना चाहिए, बिना तनाव के शरीर को पूरा ढीला रखें. इस मुद्रा में भोजन करने से खाना बहुत जल्दी पचता है और शरीर को फायदा होता है.
कैसे करना चाहिए भोजन (How to eat)
आज अधिकतर दावतों या आयोजनों में खड़े होकर भोजन करने की व्यवस्था होती है. अब खड़े होकर भोजन करना फैंसी तो लगता है, लेकिन इससे आपके पाचन तंत्र पर बहुत अधिक भार पड़ता है. इस तरह भोजन करने से न तो खाना ठीक से डाइजेस्ट हो पाता है और न खाने का आनंद आता है.
खाने का दूसरा तरीका है टेबल- कुर्सी लगाकर भोजन करना. हालांकि यह तरीका खड़े होकर खाने के मुकाबले में कुछ ठीक है, लेकिन इसमें भी कई तरीके की समस्याएं होती है. जैसे बार-बार पेट में गैस बनना, डकार आना या ग्रास नली का प्रभावित होना आदि.
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बैठकर भोजन करना है फायदेमंद (It is beneficial to eat while sitting)
अब बात करते हैं बैठकर भोजन करने के बारे में, इस तरीके से खाना खाने से शरीर में चुस्ती बनी रहती है और रीढ़ की हड्डी या पीठ से जुड़ी परेशानियां नहीं होती. दिल के मरीज़ों के लिए तो नीचे बैठकर खाना सबसे उत्तम है, इस तरह खाने से खून का संचार दिल तक आसानी से होता है. इसके साथ ही जमीन पर बैठकर खाने से कूल्हों, घुटनों और टखनों में लचीलापन रहता है, जिससे उठने-बैठने में दिक्कत नहीं होती.
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