भारत एक कृषि प्रधान देश है, जिसमें 68-70 प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कर्यो पर निर्भर है, जहा एक ओंर अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर होने के कारण कृषि कर्यो की उपयोगिता और महत्व दोनों ही बहुत अधिक बढ़ जाता है. कृषि कार्यो को कुशलता पूर्वक संपन्न करने के लिए कृषि यंत्रो का योगदान अतुलनीय है, जिस कारण कृषि यंत्रो का उचित उपयोग देखभाल एवं रख रखाव का महत्व भी और अधिक बढ़ जाता है.
ट्रैक्टर हर कृषि कार्यो में किसान के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर कृषि कार्य करता है, इसका इस्तेमाल तमाम छोटे बड़े कामों चाहे वह ढुलाई हो, जुताई हो, बुवाई हो, मड़ाई हो, पडलिंग या हैवी रोटावेटर खींचने का काम, यह सारे काम बड़ी कुशलता से संपन्न कर लेता है. इसीलिए ट्रैक्टर की देखभाल की अहमियत भी काफी बढ़ जाती है. ऐसे में आइये जानते हैं की ट्रैक्टर की सही देख भाल करने का उचित समय एवं तरीका क्या है ताकि ट्रैक्टर की क्षमताओं में कमी किये बगैर कृषि क्रियाओं को सुचारु रूप से जारी रखा जा सके.
ट्रैक्टर की देखभाल (Tractor care)
विद्युत उपकरण की देखभाल (Electrical Appliance Care)
1. बैटरी
2. अल्टरनेटर
3. स्टार्टर मोटर
4. विद्युत प्रणाली का सामान्य रखरखाव
1. बैटरी
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आसुत(डिस्टिल्ड वॉटर ) जल का आवश्यक स्तर बनाये रखना चाहिए. कभी भी एसिड न डालें
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सुनिश्चित करें कि बैटरी का शीर्ष साफ, सूखा, गंदगी और जमी हुई गंदगी से मुक्त हो.
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बैटरी के नक्को एवं क्लैंप की जांच करें यदि आवश्यक हो तो क्लैंप को टाइड करें एवं केवल का निरिक्षण करें ,यह टाइड एवं जौंग से मुक्त होना चाहिए इस पर ग्रीस लगाकर सुरक्षित करें .
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बैटरी को कभी भी ओंवरचार्ज न करें, ओंवरचार्ज होने के कारण बैटरी की छमता का हाश होता है.
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बैटरी को महीने में एक बार बेटियों की जांच और रखरखाव किया जाना चाहिए है.
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बैटरी में वोल्टेज के नियमिति चार्जिंग की जांच करनी चाहिए 12 वोल्ट की बैटरी की चार्जिंग रेंज 12.2 वोल्ट से 14.4 वोल्ट है यदि नियमित चार्जिंग 14.4 से अधिक के स्टार पर हे तो यह ओंवर चार्जिंग को दर्शाता हे इस दशा में पानी का लोस एवं बैटरी छमता का हाश होता है.
2. अल्टरनेटर की नियमित जाँच
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अल्टरनेटर करंट उत्पन्न कर बैटरी को निरंतर चार्ज करता रहता है जो बैटरी के इलेक्ट्रिकल बैकअप के लिए आवश्यक है, जिसकी छमता 12 वोल्ट 33 एम्पियर की होती है.
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फैन बेल्ट की नियमित जाँच करें ढीला होने की दशा में अल्टरनेटर को पीछे खिसकाकर टाइड कर देना चाहिए.
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फैन वेल्ट ढीला होने की दशा में बैटरी निरंतर चार्ज नहीं हो पति जिसे बैटरी बैकअप में कमी आ जाती है.
3. स्टार्टर मोटर की नियमित जाँच
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स्टार्टर मोटर इंजन क्रैंक शाफ़्ट को घुमाकर इंजन को स्टार्ट करती है.
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इसकी छमता 12 वोल्ट तथा 2.7 किलोवाट होती है.
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सभी बोल्ट अच्छे से कसे हुए होने चाहिए जिसकी नियमति जांच करते रहना चाहिए वोल्ट ढीले होने दसा में ट्रैक्टर को स्टार्ट करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है.
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स्टार्टर के कार्बोन्स की नियमित जांच करें , कार्बोन घिसने की दशा में ट्रैक्टर को स्टार्ट करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
4. विद्युत प्रणाली का सामान्य रखरखाव
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ट्रैक्टर के सभी इलेक्ट्रिक उपकरण ट्रैक्टर की विधुत प्रडाली से जुड़े होते हैं. जिसमे,हेडलाइट,इंडिकेटर,अल्टरनेटर,स्टार्टर मोटर ,हॉर्न, आदि सभी.
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नियमित केबल की जांच करते रहना चाहिए.
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फ्यूज जलने की दशा उच्च छमता वाले फ्यूज का उपयोग करना चाहिए.
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केवल वायर के खराब होने की दशा में उसे बदला जाना चाहिए.
इंजन का रखरखाव (Engine maintenance)
इंजन उपयोग करने की दशा में आवश्यक निर्देश -
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ट्रैक्टर के प्रभावी रूप से कार्य करने और लंबे जीवन के लिए, प्रारंभिक 50 घंटों के दौरान सभी निर्देशों का पालन करें.
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इंजन के ठंडा होने पर लोड न डालें .
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इंजन पर ओंवर लोड न डालें.
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सामान्य ऑपरेटिंग तापमान प्राप्त करने के लिए 10 मिनट के लिए इंजन को आधी गति पर चलाएं, तापमान बनाए रखने के बाद ही इंजन पर भार डालें इंजन को पूर्ण लोड पर लगातार संचालित करने के लिए इंजन का सही तापक्रम आवश्यक है (तापक्रम ग्रीन ज़ोन में आवश्यकता है)
नोट :- इंजन को बंद करने से पहले, ट्रैक्टर में लगे उपकरणों को जमीन पर रख दे.
इंजन ऑइल के स्तर की जाँच (Engine oil level check)
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तेल के स्तर की जाँच करने से पहले सुनिश्चित करें कि ट्रैक्टर को समतल जमीन पर खड़ा किया गया है. इंजन को बंद करें और कुछ समय तक प्रतीक्षा करें ताकि सभी तेल, तेल टैंक में वापस आ जाये.
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आयल में डूबी छड़ी को कपडे से साफ़ करके पुनः आयल टेंक में डुबो कर तेल के लेवल की जाँच करें. यदि ऑइल न्यूनतम स्तर के निशान से नीचे है, तो अतिरिक्त ऑइल डालकर आयल लेवल को ऊपर करें. कभी भी अधिकतम मार्क से ऊपर आयल को न भरें.
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इंजन ऑइल को पत्येक 200 घंटे बाद बदला जाना चाहिए.
ईंधन फ़िल्टर की देखभाल
फ़िल्टर बदलने का तरीका
डीज़ल वाल्व को बाहरी रूप से बंद कर दे. उसके उपरांत फिल्टर बाउल से डीज़ल को बाहर निकालें. प्राथमिक डीज़ल फ़िल्टर को फ़िल्टर बॉडी से हटा दें, एवं फिल्टर को बहार निकल ले. नया फिल्टर लें और इसे फ़िल्टर बॉडी में डालें. आर्बर रिंग को अच्छी तरह से फिलटर के साथ अटैच करें इसके बाद ब्लीड ( डीज़ल निकलने वाला बोल्ट) स्क्रू से को ढीला कर दिया जाना चाहिए और फीड पंप ( डीज़ल पंप) से प्रेसिंग नोज़ल को पंप करके फ़िल्टर से एयर बुलबुलो को पूर्णतः निकल देना चाहिए. डीज़ल वाल्व को चालू कर ट्रैक्टर को स्टार्ट किया जाना चाहिए.
नोट :-डीज़ल का प्री फ़िल्टर हर 500 घंटे में और माइक्रो फ़िल्टर हर 750 घंटे पश्चात बदला जाना चाहिए.
आवश्यक दिशा निर्देश
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इंजन चलने के हर 50 घंटे बाद ऍम6 बोल्ट को खोलकर साफ़ करें .
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हर 750 घंटे बाद सेकडरी फ़िल्टर को बदले.
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फ़िल्टर लगते समय कोई असावधानी न बरते.
डीजल फीड पंप चलनी की सफाई
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छलनी को साफ करने के लिए फ्यूल वॉल्व को बंद करें, इसे नीचे दिए गए स्क्रू को ढीला करके कटोरे से हटा दें.छलनी को साफ करें और इसे फिर से फिट करें.
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इसमें मामूली रिसाव से ईंधन प्रणाली में हवा फंस जाती है जो की इंजन के लिए नुकसानदायक है.
इंजन ऑयल को बदलना
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इंजन ऑयल ट्रैक्टर प्रणाली का महत्वूर्ण हिस्सा है, ख़राब इंजन आयल उपयोग करने एवं अधिक समय तक आयल के न बदलने के लक्षणों में ,ट्रैक्टर का अधिक कला धुआँ देना, इंजन ऑइल चेक करने पर अधिक गाढ़ा एवं अधिक काला होना प्रमुख है.
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सबसे पहले ट्रैक्टर को समतल सतह पर पार्क करें. निचे आयल टैंक में बोल्ट को हटाकर तेल निकालें, पूर्णतः ऑइल निकल जाने के पश्चात बोल्ट को फिट कर अच्छे से कसे, और फ़िल्टर कैप के माध्यम से साफ ऑइल भरें. अधिकतम और न्यूनतम ऑइल लेवल के बीच ऑयल लेवल बनाए रखें.
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अधिकतम तेल स्तर के निशान से अधिक ऑइल न भरें.
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प्रत्येक 200 घंटे बाद ऑयल को बदला जाना चाहिए.
इंजन ऑइल फ़िल्टर को बदलना
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इंजन ऑयल को निकालने के बाद, इंजन ऑइल फिल्टर को हटा दें और पुराने की जगह नए ऑइल फ़िल्टर को लगा दे.
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फ़िल्टर बदलते समय रबर रिंग एवं सभी बोल्ट को सही तरीके से कसा जाना चाहिए.
एयर क्लीनर की सफाई एवं देखभाल
सभी प्रकार के ट्रैक्टरों में मुख्यतः दो प्रकार के ऑइल क्लीनर का उपयोग किआ जाता है.
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ऑइल बाथ टाइप एयर क्लीनर (वेट टाइप )
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ड्राई एयर क्लीनर
ऑइल बाथ टाइप एयर क्लीनर (वेट टाइप)
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अत्यधिक धूल भरी परिस्थितियों में, सफाई के लिए समय सीमा को कम करने की सिफारिश की जाती है.
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फ़िल्टर ऑइल बाथ टाइप एयर क्लीनर में फिट किया जाता है जिसमे नीचे वाथ टब में आयल भरा हुआ होता. यह ऑइल अपनी सतह पर अशुद्ध हवा और धूल के कणों को अपनी गति से तेल में डुबो कर शुद्ध हवा को इंजन में भेजता है.
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सबसे पहले प्री एयर क्लीनर को साफ़ करें,ऐसे किसी साफ़ कपडे की सहायता से साड़ी धूल को साफ़ करें .
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उसके पश्चात आयल क्लीनर बाउल को साफ़ करें, अदिकांश धूल के कड इसी आयल में पाए जाते हैं. ऑइल आदि को गन्दा होने पर बदले.
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पत्येक 100 घंटे के पश्चात् ऑइल एवं मेष वायर को बदले.
ड्राई एयर क्लीनर की सफाई
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ट्रैक्टर का उपयोग करने के हर 300 घंटे के बाद प्राथमिक फ़िल्टर को साफ करना चाहिए.
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900 घंटे के बाद प्राथमिक फ़िल्टर को बदलें (जो भी पहले हो)
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फ़िल्टर बॉक्स से बाहर निकालने में सावधानी बरतें.
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अंदर से तेज हवा की सहायता से प्राथमिक फिल्टर को साफ़ करें .
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सुरक्षा फ़िल्टर(द्वितीय फ़िल्टर ) को प्राथमिक फ़िल्टर की सफाई के दौरान न हटाएं.
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तेज हवा द्वारा सुरक्षा कवर को साफ न करें.
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प्राथमिक फिल्टर के सील क्षेत्रों को पोंछने के लिए साफ कपड़े का उपयोग करें.
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कवर लगाने से पहले बॉक्स में फिल्टर की उचित बैठने को सुनिश्चित करें.
रेडिएटर की सफाई एवं देखभाल
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धीरे से रेडिएटर कैप को सेफ्टी के साथ (लगभग 1/4 टर्न घुमाकर ) खोले. स्टीम से बचने की कोशिश करें.
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कूलेंट का लेवल टैब को टच नहीं करना चाहिए. भरने वाले स्पाउट में यदि स्तर गिर गया है, तो बाहरी रिसाव के लिए पूरे शीतलन प्रणाली की जांच करें (यदि कोई बाहरी रिसाव नहीं है,तो कूलेंट की आवश्यक मात्रा डाले.
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रेडिएटर में सामान्य पानी का उपयोग न करें .
ट्रैक्टर के अगले एवं पिछले टायर में हवा के उचित दबाब को बनाये रखना
अगले टायरों में हवा का दबाव-
अगले टायरों में हवा का दबाब 26-28 पियसआई (P.S.I) होना चाहिए.
पिछले टायरों में हवा का दबाव-
पिछले टायरों में हवा का दबाब 14-16 पियसआई (P.S.I) होना चाहिए
डीज़ल की बचत हेतु आवश्यक दिशा निर्देश
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अपने ट्रैक्टर को सुरक्षित बनाए रखें. ट्रैक्टर के बुरी तरह से संचालन के कारन ट्रैक्टर सामान्य खपत से 25% ईंधन की अधिक खपत करता है.
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रखरखाव निर्देशित उपयोग के अनुसार नियमित रूप से डीज़ल फिल्टर बदलें
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ईंधन रिसाव को रोकें.
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दैनिक आधार पर प्री क्लीनर को साफ करें.
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बार बार क्लच का उपयोग न करें.
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ट्रैक्टर को उचित गति और गियर संयोजन के साथ चलाएं.
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ट्रैक्टर का उपयोग नहीं करने पर इंजन बंद कर दें.
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पहिया फिसलन से बचें.
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उचित ऊंचाई पर ही ट्रैक्टर ट्रॉली संलग्न करें.
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इंजन पर क्षमता से अधिक लोड ट्रैक्टर न डाले.
प्रथम ऑथर
सतेंद्र कुमार शर्मा
सहायक प्राध्यापक
चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेस, झाझेड़ी,मोहाली, पंजाब
ईमेल:[email protected]
द्वितीय ऑथर
मोहित कुमार
सहायक प्राध्यापक
चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेस, झाझेड़ी,मोहाली, पंजाब
ईमेल:[email protected]
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