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ओ रे, बादल क्या संदेश सुनाते हो…

आज भी कई ऐसे राज्य हैं, जहां बरसात का महीना बिना पानी बरसे निकला है. किसान बादल के इस कविता में बादल से यही सवाल पूछ रहा हैं, ओ बादल आखिर तुम कब बरसोगे..

सावन कुमार
सावन कुमार
clouds
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ओ रे, बादल क्या संदेश सुनाते हो,

उमड़-उमड़ कर आते हो ,

शुष्क कितनी वसुंधरा, क्या ये देख कर जाते हो? 

ओ रे बादल क्या संदेश सुनाते हो,

जल बिन नीरस है प्राणी का जीवन

ये तो भली-भाँति समझते हो

उमड़-उमड़ आते हो बिन बरसे चले जाते हो,

ओ रे बादल कहो क्या संदेश सुनाते हो|

काले मेघ देख उपवन में मयूर पंख फड़फडाते हैं,

आसमानों में चहक-चहक कर चिडियां गीत गाती हैं

किसानों का सुखा कंठ,

तुम्हें देख तृप्त हो जाता हैं

ओ बादल तुम सबकी पीड़ा को समझते हो,

बोलो कब बरसोगे? 

उमड़-उमड़ कर आते हो ,

शुष्क कितनी वसुंधरा क्या ये देख कर जाते हो? 

ओ रे बादल बोलो क्या संदेश सुनाते हो ?

नदियां सूख रही, पेड़ कट रहे,

जीवन है अस्त व्यस्त

क्या इस बात से नाराज़ हो?

ओ रे बादल क्या संदेश सुनाते हो…

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English Summary: Oh hey, what message do the clouds convey... Published on: 20 September 2023, 06:03 IST

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