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मानसून में पशुओं को घातक रोगों से है बचाना तो करें ये काम

जैसा की आप सब लोग जानते ही हैं कि जल्द ही भारत में मानसून दस्तक देने वाला है. ऐसे में किसानों से लेकर पशुपालक को कई तरह की सावधानियां रखनी पड़ती है. अगर आप पशुपालन करते हैं, तो बारिश के दौरान पशुओं में होने वाले रोगों के बचाव के लिए आज हम आपके लिए कुछ देसी उपाय लेकर आए हैं. यहां जानें पूरी जानकारी...

लोकेश निरवाल
लोकेश निरवाल
मानसून के दौरान पशुओं का रखें ध्यान, सांकेतिक तस्वीर
मानसून के दौरान पशुओं का रखें ध्यान, सांकेतिक तस्वीर

मौसम विभाग के द्वारा मानसून 2024/Monsoon 2024 को लेकर ताजा अंडे जारी कर दी गई है. IMD के अनुसार, 31 मई से देशभर में मानसून दस्तक दे सकता है. अनुमान है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के दक्षिण अंडमान सागर, दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी और निकोबार के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ रहा है. ऐसे में पशुपालकों को मानसून के मौसम में अपने पशुओं का ध्यान रखना चाहिए.

बता दें कि बारिश के मौसम में पशुओं को कई तरह की  परेशानियां व रोग लग जाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि मानसून के दौरान पशुपालकों को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

बारिश के मौसम में पशुओं को लगते हैं ये रोग

पशुओं में गलघोटू रोग : गर्मी के मौसम में पशुओं के शरीर का तापमान काफी तेजी से बढ़ता है. उनके शरीर का तापमान अधिक होने पर आंखें लाल और टांगों के बीच में सूजन आ जाती है.

पशुओं में लंगड़ा बुखार: बारिश के मौसम में पशुओं में लंगड़ा बुखार हो जाता है. यह बुखार उन पशुओं में अधिक होता है, जो पशु शेड के फर्श मिट्टी वाले स्थान पर बैठते है.

पशुओं में खुरपका मुंहपका रोग: बारिश में पशुओं में खुरपका मुंहपका रोग भी अधिक तेजी से फैलती है. इस रोग के चलते पशुओं के मुंह और जीभ के आस-पास छाले हो जाते हैं, जिससे पशुओं को चारा खाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है.

पशुओं में दुधारू पशुओं में थनैला रोग : पशुओं में यह रोग बारिश के मौसम के दौरान गीले फर्श या फिर गीली शेड पर बैठने से हो जाता है.

मानसून के दौरान बरतें ये सावधानियां

साफ-सफाई: बारिश के दौरान जितना हो सके पशुओं के रहने के स्थान पर साफ-सफाई रखें. ध्यान रहे कि जिस स्थान पर पशु आराम करते हैं, वह पानी न एकत्रित होता हो. हो सके तो हर दिन पशुओं के बैठने वाले फर्श को फिनाइल से साफ करें.

गिली घास से बचें: बारिश के मौसम में पशुओं को हारे के लिए बहार न भेजे. क्योंकि बारिश होने से बाहर मैदानों की घास व फसलें गीली रहती है, जिसका सेवन पशु अगर करते हैं, तो उसे उनके पेट में कीड़े हो सकते हैं.

बाड़े में करें धुंआ: बारिश के मौसम में शाम व रात के समय काफी अधिक कीड़े मकोड़े और मच्छर आने लगते हैं. जो पशुओं के शरीर पर बैठकर उन्हें आराम नहीं करने देते हैं. जिससे पशु रातभर खड़े भी रहते हैं. इसके बचाव के लिए पशुपालकों को बाड़े में नीम की पत्तियों व तेजपान की पत्तियां को जलाकर धुआं करना चाहिए.

English Summary: Take care of animals and protect them from diseases during monsoon season Published on: 17 May 2024, 02:57 IST

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