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अण्डा देने वाली मुर्गियों की देखरेख एवं प्रबंधन

मुर्गीपालन एक ऐसा व्यवसाय है जो आपकी आय का अतिरिक्त साधन बन सकता है... यह व्यवसाय बहुत कम लागत में शुरू किया जा सकता है और इसमें मुनाफा (लाखों-करोड़ो) भी काफी ज्यादा है... देश में रोजगार तलाश रहे युवा इसे रोज़गार के तौर पर अपना सकते हैं... पिछले चार दशकों में मुर्गीपालन ब्यवसाय क्षेत्र में शानदार विकास के बावजूद, कुक्कुट उत्पादों की उपलब्धता तथा मांग में काफी बड़ा अंतर है... वर्तमान में प्रति व्यक्ति वार्षिक 180 अण्डों की मांग के मुकाबले 46अण्डों की उपलब्धता है... इसी प्रकार प्रति व्यक्ति वार्षिक 11 कि.ग्रा. मीट की मांग के मुकाबले केवल 1.8 कि.ग्रा. प्रति व्यक्ति कुक्कुट मीट की उपलब्धता है...

 

मुर्गीपालन एक ऐसा व्यवसाय है जो आपकी आय का अतिरिक्त साधन बन सकता है... यह व्यवसाय बहुत कम लागत में शुरू किया जा सकता है और इसमें मुनाफा (लाखों-करोड़ो) भी काफी ज्यादा है... देश में रोजगार तलाश रहे युवा इसे रोज़गार के तौर पर अपना सकते हैं... पिछले चार दशकों में मुर्गीपालन ब्यवसाय क्षेत्र में शानदार विकास के बावजूद, कुक्कुट उत्पादों की उपलब्धता तथा मांग में काफी बड़ा अंतर है... वर्तमान में प्रति व्यक्ति वार्षिक 180 अण्डों की मांग के मुकाबले 46अण्डों की उपलब्धता है... इसी प्रकार प्रति व्यक्ति वार्षिक 11 कि.ग्रा. मीट की मांग के मुकाबले केवल 1.8 कि.ग्रा. प्रति व्यक्ति कुक्कुट मीट की उपलब्धता है... जनसंख्या में वृद्धि जीवनचर्या में परिवर्तन, खाने-पीने की आदतों में परिवर्तन, तेजी से शहरीकरण,प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरुकता, युवा जनसंख्या के बढ़ते आकार आदि के कारण कुक्कुट उत्पादों की मांग में जबर्दस्त वृद्धि हुई है... वर्तमान बाजार परिदृश्य में कुक्कुट उत्पाद उच्च जैविकीय मूल्य के प्राणी प्रोटीन का सबसे सस्ता उत्पाद है... मुर्गीपालन व्यवसाय से भारत में बेरोजगारी भी काफी हद तक कम हुई है... आर्थिक स्थिति ठीक न होने पर बैंक से लोन लेकर मुर्गीपालन ब्यवसाय की शुरुआत की जा सकती है और कई योजनाओं में तो बैंक से लिए गए लोन पर सरकार सबसिडी भी देती है... कुल मिलाकर इस व्यवसाय के जरिए मेहनत और लगन से सिफर से शिखर तक पहुंचा जा सकता है...

अण्डा देने वाली मुर्गियो का प्रबंधन

यदि योजनाबद्ध तरीके से मुर्गीपालन किया जाए तो कम खर्च में अधिक आय की जा सकती है... बस तकनीकी चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है... मुर्गियों को तभी हानी होती है या वो मरती हैं जब उनके रख-रखाव में लापरवाही बरती जाए... मुर्गीपालन में हमें कुछ तकनीकी चीजों पर ध्यान देना चाहिए... फार्म बनाते समय यह ध्यान दें कि यह गांव या शहर से बाहर मेन रोड से दूर हो, पानी व बिजली की पर्याप्त व्यवस्था हो... फार्म हमेशा ऊंचाई वाले स्थान पर बनाएं ताकि आस-पास जल जमाव न हो... दो पोल्ट्री फार्म एक-दूसरे के करीब न हों और फार्म की लंबाई पूरब से पश्चिम हो... मध्य में ऊंचाई 12 फीट व साइड में 8 फीट हो... चौड़ाई अधिकतम 25 फीट हो तथा शेड का अंतर कम से कम 20 फीट होना चाहिए और फर्श पक्का होना चाहिए... इसके अलावा जैविक सुरक्षा के नियम का भी पालन होना चाहिए... एक शेड में हमेशा एक ही ब्रीड के चूजे रखने चाहिए... आल-इन-आल आउट पद्धति का पालन करें और शेड तथा बर्तनों की साफ-सफाई पर ध्यान दें... शेड में बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित रखना चाहिए औऱ इसके साथ ही कुत्ता, चूहा, गिलहरी, देशी मुर्गी आदि के प्रवेश भी वर्जीत रखना चाहिए... मरे हुए चूजे, वैक्सीन के खाली बोतल को जलाकर नष्ट कर दें, समय-समय पर शेड के बाहर डिसइंफेक्टेंट  का छिड़काव व टीकाकरण नियमों का पालन करें... समय पर सही दवा का प्रयोग करें और पीने के पानी का उचित मात्रा में प्रयोग करें...             

जगह की आवश्यकता (डीप लिटर सिस्टम में)

जगह की आवश्यकता इस बात पर निर्भर करती है की फार्म कीतने मुर्गीयों के साथ खोला जा रहा है... 1 लेयर मुर्गी के लिए 2 वर्गफुट की जगह पर्याप्त है, पर हमें थोड़ी ज्यादा जगह लेनी चाहिए जिससे मुर्गियों को कोई तकलीफ या चोट न लगे और उन्हें अच्छी जगह मिले जिससे वो जल्द बड़े हो सकें... इसलिए 1 मुर्गी के लिए 2.5 वर्गफुट जगह अच्छी रहेगी... यदि हम 1000 मुर्गी पालन करते है तो हमें 2500 वर्गफुट का शेड बनाना है या 2000 मुर्गियों 4500 वर्गफुट इस तरह से हम जगह का चुनाव  कर सकते हैं। 

मुर्गियो के लिए संतुलित आहार

मुर्गीपालकों को चूजे से लेकर अंडा उत्पादन तक की अवस्था में विशेष ध्यान देना चाहिए यदि लापरवाही की गयी तो अंडा उत्पादकता प्रभावित होती है... मुर्गीपालन में 70 प्रतिशत खर्चा आहार प्रबंधन पर आता है अतः इस पहलु पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए...

अंडा देने वाली मुर्गियो हेतु आहार प्रबंधन

स्टार्टर राशन - यह एक से लेकर 8 सप्ताह तक दिया जाता है... इसमें प्रोटीन की मात्रा 22-24 प्रतिशत, ऊर्जा 2700-2800 ME (Kcal/kg ) और कैल्सियम 1 प्रतिशत होनी चाहिये... राशन बनाने हेतु निम्न्लिखित तत्वों को शामिल किया जा सकता है -

मक्का = 50 किलो        सोयाबीन मील = 16 किलो

खली = 13  किलो          मछली चुरा =10 किलो       राइस पोलिस = 8 किलो

खनिज मिश्रण = 2  किलों     नमक = 1 किलो

ग्रोवर (वर्धक) राशन - यह 8 से लेकर 20 सप्ताह तक दिया जाता है... इसमें प्रोटीन की मात्रा 18 -20 प्रतिशत,  ऊर्जा 2600 - 2700 ME (Kcal/kg ) और कैल्सियम 1 प्रतिशत होनी चाहिये... राशन बनाने हेतु निमनलिखित तत्वों को शामिल किया जा सकता है -

मक्का = 45  किलो        सोयाबीन मील = 15  किलो

खली = 12  किलो          मछली चुरा =7  किलो          राइस पोलिस = 18 किलो

खनिज मिश्रण = 2  किलों     नमक = 1 किलो

फिनिशर राशन - यह 20 से लेकर आगे के सप्ताह तक दिया जाता है... इसमें प्रोटीन के मात्रा 16 -18 प्रतिशत, ऊर्जा 2400 - 2600  ME (Kcal/kg ) और कैल्सियम 3 प्रतिशत होनी चाहिये... राशन बनाने हेतु निम्न्लिखित तत्वों को शामिल किया जा सकता है -

मक्का = 48  किलो        सोयाबीन मील = 15  किलो

खली = 14  किलो          मछली चुरा =8  किलो      राइस पोलिस = 11 किलो

खनिज मिश्रण = 3  किलों     नमक = 1 किलो

अण्डा देने वाली मुर्गियो में विभिन्न रोग आने की संभावना बनी रहती है जिसके अन्तर्गत निम्न्लिखित रोग है दृ

अवस्था                        श्रोग               टीकाकरण

पहला दिन                      मैरिक्स             एचटीवी वैक्सीन(0.2ml) चमड़ी के नीचे

दूसरे से पांचवे दिन               रानीखेत                  फ 1 लसोटा टिका

14 वें दिन                      गम्बोरो रोग         आइबीडी नामक टीका एक बुंद आंख मे दें

21 वें दिन चेचक                चेचक              चेचक टिका (0.2 ml) उस दवा चमड़ी के नीचे

28 वें दिन                      रानीखेत            फ 1 लसोटा टिका

63 वें दिन (नौवां सप्ताह)          रानीखेत                  बूस्टर टिका (0.5ml) उस पंख के नीचे

84 वें दिन (बारहवां सप्ताह)        चेचक              चेचक टिका (0.2ml) उस दवा चमड़ी के

अण्डों का रखरखाव

अण्डों को लम्बे समय तक सुरक्षित रखने की चुनौती होती है बड़े व्यवसायी कोल्ड स्टोरेज या रेफ्रीजिरेटर का इस्तेमाल कर सकते है... छोटे व्यवसायी अण्डों को चुने के पानी में भिगोने के बाद छाव में सुखाकर काफी दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है अण्डों को कड़ी धुप से बचाना चाहिए... अण्डों को बाजार तक ले जाने हेतु कूट का बॉक्स या बांस की डोलची(एक प्रकार का बर्तन) का उपयोग करें इस तरह अण्डे को टुटने से बचाया जा सकता है...

भारत में अण्डा देने वाली मुर्गियो की प्रमुख देशी नस्लें

कारी प्रिया लेयर        

1. पहला अंडा 17 से 18 सप्ताह                          

2. 150 दिन में 50 प्रतिशत उत्पादन

3. 26 से 28 सप्ताह में व्यस्तम उत्पादन

4. उत्पादन की सहनीयता (96 प्रतिशत) तथा लेयर (94 प्रतिशत)

5. व्यस्तम अंडा उत्पादन 92 प्रतिशत

6. 270 अंडों से ज्यादा 72 सप्ताह तक हेन हाउस

7. अंडे का औसत आकार

8. अंडे का वजन 54 ग्राम

कारी सोनाली लेयर (गोल्डन- 92)

1. 18 से 19 सप्ताह में प्रथम अंडा

2. 155 दिन में 50 प्रतिशत उत्पादन

3. व्यस्तम उत्पादन 27 से 29 सप्ताह

4. उत्पादन (96 प्रतिशत) तथा लेयर (94 प्रतिशत) की सहनीयता

5. व्यस्तम अंडा उत्पादन 90 प्रतिशत

6. 265 अंडों से ज्यादा 72 सप्ताह तक हैन-हाउस

7. अंडे का औसत आकार

8. अंडे का वजन 54 ग्राम

कारी देवेन्द्र

1. एक मध्यम आकार का दोहरे प्रयोजन वाला पक्षी

2. कुशल आहार रूपांतरण- आहार लागत से ज्यादा उच्च सकारात्मक आय

3. अन्य स्टॉक की तुलना में उत्कृष्ट- निम्न लाइंग हाउस मृत्युदर

4. 8 सप्ताह में शरीर वजन- 1700-1800 ग्राम

5. यौन परिपक्वता पर आयु- 155-160 दिन

6. अंडे का वार्षिक उत्पादन- 190-200  

डा. राम निवास, विषय विशेषज्ञ (पशुपालन) और चारू शर्मा, विषय विशेषज्ञ, गृह विज्ञानं प्रसार शिक्षाद्धए कृषि विज्ञान केन्द्र, पोकरण - 345021 (जैसलमेर)

Corresponding author email- ramniwasbhu@gmail.com

English Summary: Maintenance and management of eggs giving eggs Published on: 28 July 2018, 12:00 IST

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