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लाल कंधारी गाय कम खर्च में देगी ज्यादा दूध उत्पादन, पढ़िए इसकी कीमत और खासियत

आधुनिक समय में लाल कंधारी गाय (Lal Kandhari Cow) की संख्या काफी कम होती जा रही हैं. यह गाय महाराष्ट्र के एक तालुका से कई राज्यों तक पहुंच गई है, लेकिन इन गायों की संख्या कंधार तालुका में ही कम हो रही है, जबकि इस गाय का पालन बहुत आसानी से किया जा सकता है. इसके पालन में लागत भी कम लगती है. बता दें कि महाराष्ट्र के नांदेड़ ज़िला मुख्यालय से लगभग 50 किमी. दूर कंधार तालुका के गऊळ गांव में सबसे ज्यादा लाल कंधारी नस्ल गाय (Lal Kandhari Cow) पाई जाती हैं.

कंचन मौर्य
कंचन मौर्य
Lal Kandhari Cow
Lal Kandhari Cow

आधुनिक समय में लाल कंधारी गाय(Lal Kandhari Cow) की संख्या काफी कम होती जा रही हैं. यह गाय महाराष्ट्र के एक तालुका से कई राज्यों तक पहुंच गई है, लेकिन इन गायों की संख्या कंधार तालुका में ही कम हो रही है, जबकि इस गाय का पालन बहुत आसानी से किया जा सकता है. इसके पालन में लागत भी कम लगती है. बता दें कि महाराष्ट्र के नांदेड़ ज़िला मुख्यालय से लगभग 50 किमी. दूर कंधार तालुका के गऊळ गांव में सबसे ज्यादा लाल कंधारी नस्ल गाय(Lal Kandhari Cow) पाई जाती हैं.

लाल कंधारी गाय की खासियत (Specialties of Red Kandhari Cow)

इस गाय को पालने में अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती है. इसको खिलाने के लिए अधिक चारा भी नहीं लगता. लाल कंधारी गाय (Lal Kandhari Cow) के प्रजनन क्षेत्र महाराष्ट्र के अहमदनगर, परभणी, बीड, नांदेड़ और लातूर जिले हैं. कर्नाटक में भी यह नस्ल पाई जाती है. बताया जाता है कि महाराष्ट्र में पाई जाने वाली लाल कंधारी गायों(Lal Kandhari Cow) की नस्ल को चौथी सदी में कांधार के राजाओं द्वारा विकसित किया गया था. लाल कंधारी गाय (Lal Kandhari Cow) को "लखाल्बुन्दा" भी कहा जाता है.

40-50 हजार रुपए में बिकती है गाय (Cow is sold for 40-50 thousand rupees)

इस नस्ल की एक गाय 40 से 50 हजार रुपए में बिकती हैं. तो वहीं एक जोड़ी बैल 1 लाख रुपए तक बिक जाते हैं. बता दें कि देशभर में दूध के उत्पादन में महाराष्ट्र का 7वां स्थान है. अगर आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट देखी जाए, तो साल 2018-19 में दूध पैदा में देशभर में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर रहा है. इसके बाद राजस्थान, मध्यप्रदेश, आंधप्रदेश, गुजरात, पंजाब और महाराष्ट्र का नाम है.

लाल कंधारी गाय की संरचना (Structure of Red Kandhari Cow)

इस नस्ल की गाय गहरे भूरे व गहरे लाल रंग की होती हैं. इनके कान लंबे होते हैं, तो वहीं कान नीचे की ओर झुके होते हैं. इसके अलावा आंखों क चारो ओर कालापन होता है. सीगें छोटी और दोनों तरफ सीधी लाइन में फैली हुई होती है. इनकी पूंछ काली व लंबी होती हैं और माथा चौड़ा व ऊंचा होता है. इस नस्ल के बैल गायों की तुलना में ज्यादा गहरे रंग के होते हैं. इनके सींग समान रूप से घुमावदार और मध्यम आकार के होते हैं.

बनाया गया लाल कंधारी गाय ब्रीडिंग सेंटर (Lal Kandhari Cow Breeding Center built)

इस नस्ल की गाय की संख्या कम हो रही है, इसलिए इनके संरक्षण के लिए यहां 'लाल कंधारी गुरांचे संवर्धन केंद्र' (लाल कंधारी गाय ब्रीडिंग सेंटर) भी बनाया गया है. जहां पर कंधारी के संरक्षण पर काम किया जा रहा है.

लाल कंधारी गाय से दूध उत्पादन (Milk production from red kandhari cow)

इस गाय का औसत दूध उत्पादन 400 से 600 किलोग्राम होता है. यह नस्ल करीब 230 से 270 दिनों तक दूध देती हैं और शुष्क अवधि 130 से 190 दिन की होती है. इस नस्ल की गाय रोजाना 1.5 से 4 लीटर दूध देती हैं. इनके दूध में वसा की मात्रा 4.57 प्रतिशतहोती है. गाय के पहले ब्यांतकी अवधि 30 से 45 महीने की होती है, तो वहीं औसत प्रजनन अंतराल 360 से 700 दिन का होता है.

यहां से खरीद सकते हैं लाल कंधारी गाय (Red Kandhari cow can be bought from here)

इस गाय को परभणी, पुणे, नांदेड़ में कंधार में बेचने और खरीदने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. यह नस्ल बहुत काम वाली नस्ल मानी जाती है. इसके बैलों को भारी कृषि कार्यों में लगाया जा सकता है, तो वहीं परिवहन के लिए उपयोग में लाया जा सकता है.

English Summary: Lal Kandhari cow of Maharashtra gives more milk production at less cost Published on: 22 December 2020, 04:38 IST

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