40 हजार से भी ज़्यादा किस्मों (वैरायटी) में पाए जाने वाले चावल को दुनिया के हर कोने में इस्तेमाल किया जाता है. एक स्वस्थ जीवनशैली के लिए अच्छे खाने और पोषक तत्वों में संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है. आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि चावल खाने से वजन जल्दी बढ़ता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. वज़न कैलोरी से बढ़ता है और चावलों में कार्बोहाइटड्रेड पाया जाता है. चावल के बारे में कोई भी धारणा बनाने से पहले उसके बारे में कुछ बातें जानना जरूरी है. बाजार में चावलों की कई वैरायटी मिलती है, जिसे जरूरत के अनुसार खरीदा जा सकता है. जैसे ब्राउन, रेड, ब्लैक, वाइट और पर्पल. इनका रंग इनके पोषक तत्वों पर निर्भर करता है.
सफेद चावल हमेशा से चर्चा का विषय रहा है. सफेद चावल कच्चे चावल का अत्यधिक शुद्ध रूप है. दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने के बावजूद सफेद चावल सेहत के लिए ठीक क्यों नहीं माने जाते? चोकर और अंकुरित सामग्री को अगर डेली डाइट में लिया जाए, तो वह काफी फायदेमंद होती है. इनमें फाइबर के साथ-साथ पोषक तत्व भी होते हैं, जो सेहत के लिए लाभदायक होते हैं, लेकिन आज भी लोग चोकर और अंकुरित अनाज नहीं, बल्कि सफेद चावल खाना ही पसंद करते हैं.
सफेद चावलों की पॉलिश प्रक्रिया को और आगे बढ़ाया जाता है, तो इसकी एल्यूरन परत हट जाती है जिससे पोषक तत्वों की हानि होती है. इस परत में विटामिन-बी, दूसरे पोषक तत्व और जरूरी फैट आदि होते हैं. देखा जाए तो सफेद चावल मुख्य रूप से स्टार्च है. पॉलिश की प्रक्रिया के दौरान इसमें से कुछ पोषक तत्व जैसे थियामिन जो कि बी-1 के नाम से भी जाना जाता है और विटामिन-बी कम हो जाते हैं. पोषक तत्वों के बिना अगर इन्हें डाइट में शामिल किया जाए तो इससे बेरीबेरी नामक रोग होने की संभावना बनी रहती है. यह थियामिन की कमी के कारण होता है. यही नहीं कई बार सफेद चावल व्यक्ति के शरीर को भी कई तरीके से नुकसान पहुंचाते हैं, साथ ही मैटाबोलिक परेशानी- डायबीटिज़, मोटापा और कई बीमारियों को बढ़ावा देते हैं.
चावल पर की गई पॉलिश विटामिन बी-3 को 67 प्रतिशत, बी-1 को 80 प्रतिशत, बी-6 को 90 प्रतिशत, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस को आधा तथा आयरन का 60 प्रतिशत भाग समाप्त कर देती है. यही नहीं, कच्चे चावल में मौजूद फाइबर और जरूरी फैटी एसिड (वसायुक्त अम्ल) को भी खत्म कर देती है." यह सब चेतावनियां सफेद चावलों से दूरी बनाएं रखने की ही सलाह देती हैं, जो कि लोगों के लिए काफी मुश्किल काम है. ऐसे में रंगीन चावल हेल्दी ऑप्शन है.
ब्राउन और रेड चावलों को पैदा करने की प्रक्रिया से लेकर पोषक तत्व तक सब कुछ एक जैसा होता है. ये चावल या तो कम छिले होते है, या फिर बिना छिले. इसका मतलब खाते टाइम इनमें मौजूद चोकर को काफी देर तक चबाना पड़ता है, जो कि सेहत के लिए लाभदायक होता है. ब्राउन चावल देश-दुनिया में आसानी से मिल जाता है, वहीं रेड चावल हिमालय पर्वत, दक्षिण तिब्बत, भूटान और दक्षिण भारत में ही मिल पाता है.
ब्राउन और रेड चावल में कोई विभिन्नता नजर नहीं आती. दोनों ही फाइबर, विटामिन बी, कैल्शियम, जिंक, आयरन, मैग्नीशियम, सैलीनियम और अन्य पोषक तत्वों के बड़े स्रोत हैं. ब्राउन चावल की तुलना में रेड चावल में ज्यादा एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं, जो कि हानिकारक कणों से लड़ने में मदद करते हैं.
रेड चावल में एंटी-ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है, जिसे एंथोसायनिन भी कहते हैं. यह एंथोसायनिन गहरे बैंगनी और लाल रंग के फलों और सब्जियों में पाए जाते हैं. यह शरीर में होने वाली जलन, एलर्जी, कैंसर के खतरे कम और वजन को सही बनाए रखने में मदद करता है. मैंगनीज दोनों प्रकार के चावलों में पाया जाता है. यह मेटाबॉलिज्म को मजबूत बनाने, माइग्रेन को सुधारने, बल्ड प्रेशर कम करने के साथ-साथ हार्ट अटैक के खतरे को घटाने में मदद करता है. वहीं, मैग्नीशियम और कैल्शियम हड्डियों और दांतों को मजबूत करने, ऑस्टियोपरोसिस, गठिया जैसे रोगों को ठीक करने में सहायक होते हैं. यही नहीं, चावलों में मौजूद सैलीनियम बॉडी में होने वाले इंफेक्शन से बचाता है.
इसके अलावा, धीमे चल रही पाचन तंत्र का मजबूत बनाने में फाइबर सहायक होता है. यही नहीं, ब्लड शुगर में बदली कार्बोहाइड्रेट को भी फाइबर धीरे-धीरे कम कर देता है. इसलिए फाइबर युक्त खाना लो-ग्लाइसेमिक होता है. रेड और ब्राउन चावल डायबीटिज़ पीड़त और हार्ट के मरीजों के लिए फायदेमंद होते हैं. साबुत अनाज की तरह गिने जाने वाले यह चावल आर्टेरिअल प्लाक (आर्ट्री में पाया जाने वाला मैल) को कम करने, हृदय संबंधित परेशानी, हाई कोलेस्ट्रोल कंट्रोल करने और ब्लड शुगर ठीक करने में मदद करते हैं. अपनी डाइट में एक कप ब्राउन चावल शामिल करने से 60 प्रतिशत डायबीटीज़ का जोखिम कम हो जाता है. कुछ अन्य अध्ययन के अनुसार, ब्राउन चावल में पाए जाने वाले फैटिक एसिड जैसे कुछ अन्य तत्व व्यक्ति के शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं. फैटिक एसिड आयरन और कैल्शियम का शोषण रोक देते हैं. ऐसा केवल तब होता है जब ब्राउन चावल के साथ आयरन और कैल्शियम का सेवन किया जाता है. ऐसे में आयरन और कैल्शियम युक्त खाना खाते समय ब्राउन चावल की खपत को लेकर थोड़ा सचेत रहने की जरूरत होती है."
चमकीले काले चावलों को जब पकाया जाता है, तो वे पर्पल रंग में बदल जाते हैं. देखने के साथ खाने में भी इनका फर्क पता चलता है. इसी खासियत की वजह से काले चावल ब्राउन और रेड चावल को पीछे छोड़ रहे हैं. इनमें फाइबर, एंटी-ऑक्सीडेंट, फाइटोन्यूट्रिएंट्स, फाइटोकेमिकल्स, विटामिन ई, प्रोटीन, आयरन, और अन्य पोषक तत्व होते हैं. ऐसा माना जाता है कि यह लिवर, किडनी और पेट के लिए फायदेमंद होते हैं. इसमें एंथोसायनिन की मात्रा अधिक होती है, जो कि कैंसर के खतरों से बचाती है. दिल और शुगर के मरीज इसकी कम चीनी और ग्लाइसेमिक ख़ासियत की वजह से अपनी डेली डाइट में शामिल करना पसंद करते हैं. यही नहीं, हाई ब्लड प्रेशर वाले मरीजों के लिए भी काले चावल बेहतर ऑप्शन है. एक चम्मच काले चावल के छिलके में एक चम्मच ब्लूबेरीज से ज्यादा एंथोसाइएनिन होता है. इसके अलावा, इनमें कम चीनी, ज़्यादा फाइबर, विटामिन ई, एंटी-ऑक्सीडेंट भी होते हैं.
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