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वैज्ञानिक तकनीक से रागी (मडुआ) की खेती कर कमाएं अच्छा मुनाफा

Ragi Ki Kheti: रागी की खेती किसानों की आय बढ़ाने का सबसे अच्छा विकल्प है. इसकी खेती मुख्य रूप से मोटे अनाज के तौर पर की जाती है. दरअसल, रागी की फसल से किसान साल भर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं...

लोकेश निरवाल
रागी (मडुआ) की खेती, फोटो साभार: रीमा कुमारी, पंकज कुमार, वी शाजीदा बानू और महेश कुमार सिंह
रागी (मडुआ) की खेती, फोटो साभार: रीमा कुमारी, पंकज कुमार, वी शाजीदा बानू और महेश कुमार सिंह

Ragi Cultivation: रागी की खेती मोटे अनाज के रूप में की जाती है. रागी मुख्य रूप से अफ्रीका और एशिया महाद्वीप में उगाई जाती है. जिसको मडुआ, अफ्रीकन रागी, फिंगर बाजरा और लाल बाजरा के नाम से भी जाना जाता है. इसके पौधे पूरे साल पैदावार देने में सक्षम होते हैं. इसके दानों में खनिज पदार्थों की मात्रा बाकी अनाज फसलों से ज्यादा पाई जाती है. रागी में कैल्शियम की मात्रा सर्वाधिक पायी जाती है जिसका उपयोग करने पर हड्डियां मजबूत होती है. रागी बच्चों एवं बड़ों के लिए उत्तम आहार हो सकता है.

प्रोटीन, वसा, रेषा, व कार्बोहाइड्रेट इसमे प्रचुर मात्रा में पाये जाते है. महत्वपूर्ण विटामिन जैसे थायमीन, रिवोफ्लेविन, नियासिन एवं आवश्यक अमीनों अम्ल की प्रचुर मात्रा पायी जाती है जोकि विभिन्न शारीरिक क्रियाओं के लिये आवश्यक होते है. कैल्शियम व अन्य खनिज तत्वों की प्रचुर मात्रा होने के कारण ओस्टियोपोरोसिस से संबंधित बीमारियों तथा बच्चों के आहार (बेबी फूड) हेतु विशेष रूप से लाभदायक होता है.

वैज्ञानिक तकनीक से खेती करने के कुछ निम्नलिखित बिन्दु हैं:

बीज, बीज दर एवं बोने का उचित समय:-

बीज का चुनाव मृदा की किस्म के आधार पर करें. जहां तक संभव हो प्रमाणित बीज का प्रयोग करें. यदि किसान स्वयं का बीज उपयोग में लाता है तो बोआई पूर्व बीज साफ करके फफूंदनाशक दवा (कार्वेन्डाजिम/ कार्वोक्सिन/ क्लोरोथेलोनिल) से उपचारित करके बोये. रागी की सीधी बोआई अथवा रोपा पद्धति से बोआई की जाती है. सीधी बोआई जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई मध्य तक मानसून वर्षा होने पर की जाती है. छिंटवा विधि या कतारों में बोनी की जाती है. कतार में बोआई करने हेतु बीज दर 8 से 10 किलो प्रति हेक्टेयर एवं छिंटवा पद्धति से बोआई करने पर बीज दर 12-15 किलो प्रति हेक्टेयर रखते है. कतार पद्धति में दो कतारों के बीच की दूरी 22.5 से.म. एवं पौधे से पौधे की दूरी 10 से.म. रखे. रोपाई के लिये नर्सरी में बीज जून के मध्य से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक डाल देना चाहिये. एक हेक्टेयर खेत में रोपाई के लिये बीज की मात्रा 4 से 5 कि.ग्राम लगती है एवं 25 से 30 दिन की पौध होने पर रोपाई करनी चाहिये. रोपाई के समय कतार से कतार व पौधे से पौधे की दूरी क्रमशः 22.5 से.मी. व 10 से.मी. होनी चाहिये.

बीज चयन: उन बीजों का चयन करें जो उचित वातावरण और मिट्टी में अच्छे प्रकार के अनुकूल हों. अच्छे गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना उचित होता है.

बीज की प्रकृति: अपने क्षेत्र में स्थानीय प्रकार के बीजों का चयन करें. इससे वे मौसम और मिट्टी की अनुकूल होते हैं और अधिक सफलता के अवसर प्राप्त होते हैं.

परीक्षित बीज: परीक्षित और प्रमाणित बीजों का चयन करें. यह सुनिश्चित करेगा कि आप उचित और अच्छी गुणवत्ता वाले बीज प्राप्त कर रहे हैं.

बीज की गुणवत्ता: उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें. इसके लिए एक प्रमाणित बीज विक्रेता से खरीद करें या किसानों या अन्य खेती संबंधित संगठनों से सलाह लें.

संरक्षण के लिए बीज: उन बीजों का चयन करें जो पर्यावरणीय बदलावों और आधुनिक खेती तकनीकों के साथ संगत हों. इससे आपकी फसल की सुरक्षा और सफलता सुनिश्चित होगी.

बीजों की प्राकृतिक संरक्षण: संभावित रोगों और कीटों से बचाव के लिए प्राकृतिक उपायों का उपयोग करें, जैसे कि नेमाटोड का प्रबंधन, प्राकृतिक रोग प्रतिरोधी बीजों का चयन आदि.

समयानुसार बुआई: बीजों को समय अनुसार बोएं ताकि उत्तम उत्पादन हो सके. रागी को मुख्य रूप से गर्मियों में बोया जाता है. बीज को बोने का सबसे उत्तम समय मार्च से जून तक की दिनों होता है. यह समय रागी के उत्तम पौधों के विकास के लिए उत्तम होता है. बीज को बोने से पहले मौसम की भविष्यवाणी करें और यह सुनिश्चित करें कि वर्षा के समय कोई बड़ा बारिश नहीं होगी. बारिश के बाद बोने से बीज बहुतायत में पानी को खो सकते हैं और पौधे बढ़ने में परेशानी हो सकती है.

समयानुसार सिंचाई: नियमित सिंचाई करें, विशेष रूप से पौधों के विकास के समय में, ताकि उत्तम फलन हो. रागी के बीजों को बोने से पहले मिट्टी की उचित तैयारी करें. उपयुक्त खाद और मिट्टी के मिश्रण का उपयोग करें ताकि पौधों को अच्छी ग्रोथ मिल सके. बीजों को बोने के बाद, उन्हें नियमित सिंचाई दें ताकि वे अच्छी तरह से उगें. जल संचयन तंत्र का उपयोग करके पानी की बचत करें.

उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग: उर्वरक और कीटनाशकों का सही समय पर उपयोग करें, जो उत्पादन को बढ़ाने और कीटों और रोगों से बचाव करने में मदद करते हैं.

सही प्रबंधन: समय पर खेत की सफाई, पोषण और विकसित रोगों का प्रबंधन करें.

नवाचारिक तकनीकों का उपयोग: नए तकनीकों का उपयोग करें जैसे कि ड्रिप सिंचाई, ग्रीनहाउस, आदि जो उत्पादन को बढ़ा सकते हैं.

खरपतवार नियंत्रण

रागी की खेती में खरपतवार नियंत्रण रासायनिक और प्राकृतिक दोनों तरीकों से किया जाता हैं. रासायनिक तरीके से खरपतवार नियंत्रण के लिए बीज रोपाई के पहले आइसोप्रोट्यूरॉन या ऑक्सीफ्लोरफेन की उचित मात्रा का छिडक़ाव खेत में कर दें. जबकि प्राकृतिक तरीके से खरपतवार नियंत्रण पौधों की निराई गुड़ाई कर किया जाता है. इसके लिए शुरुआत में पौधों की रोपाई के लगभग 20 से 22 दिन बाद उनकी पहली गुड़ाई कर दें. रागी की खेती में प्राकृतिक तरीके से खरपतवार नियंत्रण के लिए दो बार गुड़ाई काफी होती है. इसलिए पहली गुड़ाई के लगभग 15 दिन बाद पौधों की एक बार और गुड़ाई कर दें.

फसल की कटाई और मढ़ाई

रागी के पौधे बीज रोपाई के लगभग 110 से 120 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. जिसके बाद इसके सिरों को पौधों से काटकर अलग कर लें. सिरों की कटाई करने के बाद उन्हें खेत में ही एकत्रित कर कुछ दिन सूखा लें. उसके बाद जब दाना अच्छे से सूख जाए तब मशीन की सहायता से दानों को अलग कर एकत्रित कर बोरो में भर लें.

रीमा कुमारी1पंकज कुमार2 वी शाजीदा बानू1 और महेश कुमार सिंह3
1पादप जैव प्रौद्योगिकी विभाग, कृषि जैव प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, 813210 बिहार (भारत)
2आण्विक जीव विज्ञान और जेनेटिक इंजीनियरिंग विभाग, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, 813210 बिहार (भारत)
3सस्य विज्ञान विभाग, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, 813210 बिहार (भारत)

English Summary: Ragi Madua with scientific techniques farmers Earn good profits by cultivating Ragi Ki Kheti Published on: 22 May 2024, 06:29 PM IST

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