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Yellow Rust Disease: गेहूं में लग गया है पीला रतुआ रोग तो ऐसे करें फसल का बचाव, पढ़ें पूरी डिटेल

Wheat Crop: गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग लगने के किसानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में हरियाणा कृषि विभाग/ Haryana Agriculture Department के द्वारा इस रोग के बचाव विधि से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी साझा की गई है.

लोकेश निरवाल
गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग
गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग

Yellow Rust Disease in Wheat: देश के किसानों के लिए गेहूं की फसल में सबसे बड़ी समस्या भूरा, काला और पीला रतुआ रोग होता है. हर साल इन रोगों के चलते गेहूं की पैदावार पर बुरा प्रभाव देखने को मिलता है, जिसके कारण किसानों को गेहूं की खेती करने वाले किसानों को आर्थिक नुकसान की भी मार झेलनी पड़ती है. किसानों की इस परेशानी को देखते हुए हरियाणा कृषि विभाग ने गेहूं में पीला रतुआ के बचाव के तरीके साझा किए है. बता दें कि जहां एक तरफ देश के किसान मौसम में हो रहे परिवर्तन की मार झेल रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग लगने से उनकी परेशानी और बढ़ गई है.

ऐसे में आइए इस रोग की रोकथाम करने के लिए हरियाणा कृषि विभाग के द्वारा जारी की गई महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में विस्तार से जानते हैं-

गेहूं में पीला रतुआ से ऐसे करें बचाव

पीला रतुआ रोग की चपेट में आई गेहूं की फसल को लेकर कृषि विभाग का कहना है कि पीला रतुआ के प्रभाव से पत्तियों पर पीले भा नारंगी रंग के फफोले बनने लगते हैं. इनसे बचाव के लिए लक्षण दिखते ही 800 ग्राम जिनेब या मैन्कोजेब या 200 मि.ली. प्रोपिकोनाजोल को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ फसल पर छिड़काव करें. किसान चाहे तो इस रोग से जुड़ी अधिक जानकारी व बचाव विधि के लिए अपने नजदीकी कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं. 

पीला रतुआ रोग क्या है/ What is Yellow Rust Disease?

यह रोग गेहूं की फसल में बहुत बुरा असर डालता है. पीला रतुआ रोग एक एक ऐसा रोग है जो फसल की पैदावार को बहुत हद  तक घटा देता है. अगर गेहूं की फसल में यह रोग लग जाए तो यह पूरी फसल को बर्बाद कर सकता है,क्योंकि यह रोग फसल की पत्तियों को पीला कर देता है. इस रोग के लक्षण गेहूं की फसल में लगभग 7 से 8 दिन पहले से दिखाई देने लगते हैं.

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पीला रतुआ रोग के फसल में लक्षण

गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग हल्की बारिश, उच्च तापमान और तेज हवाएं चलने पर इस रोग का संक्रमण अधिक बढ़ जाता है. रोग के आरंभिक लक्षण पत्तियों में पीले धारियों के रुप में होती है. फसल में यह रोग होने से पौधों की पत्तियों में पीले रंग का पाउडर दिखने लगता है. इस रोग के चलते अनाज सिकुड़ने लगता है और बीज वाली फसल में अंकुरण भी खराब होने लगता है.

English Summary: protect wheat crop from yellow rust disease Haryana Agriculture Department wheat cultivation gehu ki kheti wheat crop diseases Published on: 17 January 2024, 11:49 AM IST

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