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प्रिसिजन फार्मिंग से कम लागत में होगी अच्छी पैदावार

आज के दौर में हर क्षेत्र में नई-नई तकनीक विकसित की जा रही हैं. यह हम सबके जीवन में कुछ इस तरह से शामिल है कि इसके शायद इसके बिना जिंदगी की कल्पना करना मुश्किल है. इसी तरह किसानों के लिए भी नई तकनीक के बिना खेती करना काफी मुश्किल हो गया है. अगर किसान तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, तो उनकी कई समस्याएं मिनटों में खत्म हो जाती है.

कंचन मौर्य
Precision Farming
Precision Farming

आज के दौर में हर क्षेत्र में नई-नई तकनीक विकसित की जा रही हैं. यह हम सबके जीवन में कुछ इस तरह से शामिल है कि इसके शायद इसके बिना जिंदगी की कल्पना करना मुश्किल है. इसी तरह किसानों के लिए भी नई तकनीक के बिना खेती करना काफी मुश्किल हो गया है. अगर किसान तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, तो उनकी कई समस्याएं मिनटों में खत्म हो जाती है.

कहा गया है कि साल 2050 तक दुनिया की आबादी करीब 10 अरब के पार पहुंच सकती है, इसलिए भारत को कृषि उत्पादन के मामले में अपनी पकड़ और मौजूद करनी होगी. ऐसे में किसानों को फसल उत्पादन और मुनाफा बढ़ाने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल करना होगा. इसी कड़ी में एक नई तरह की खेती बेहद कारगर साबित हो रही है, जिसे प्रिसिजन फार्मिंग (Precision Farming) कहा जाता है. आज हम आपको प्रिसिजन फार्मिंग (Precision Farming) की जानकारी देने वाले हैं, ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद मिल सके.

क्या है प्रिसिजन फार्मिंग?

इस फार्मिंग के तहत कई तरह की चुनौतियां आती हैं. यह एक तरह का फार्मिंग मैनेजमेंट सिस्टम है, जिसमें खेती के हर स्तर पर नई तकनीक का सहारा लिया जाता है. जैसे खेती की मिट्टी को लेकर सही समझ, उसके आधार पर बीज का चुनाव और उर्वरक और कीटनाशक का इस्तेमाल आदि. इस तकनीक की मदद से किसान के पास सहूलियत मिल जाती है कि वह खेती को लेकर सही फैसले ले रहे हैं.

फसल से जुड़ी जानकारी

  • फार्मिंग की इस तकनीक की मदद से खेती में लगने वाली अधिक लागत से बचा जा सकता है.

  • प्राकृतिक आपदाओं की वजह से होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकता है.

  • पर्यावरण पर भी दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है.

  • आधुनिक तकीनीकी उपकरणों को इस्तेमाल किया जाता है.

  • इसमें सेंसर की मदद से फसल, मिट्टी, खरपतवार, कटी या पौंधों में होने वाली बीमारियों के बारे में पता किया जा सकता है.

  • फसल में हर छोटे से छोटे परिवर्तन पर नज़र रखी जा सकती है.

दुनियाभर में अपनाई जाती है ये तकनीक

इस तकनीक को 1980 के दशक में अमेरिका में शुरू किया गया, जिसके बाद इस तकनीक को दुनियाभर में अपनाया जा रहा है. इस तकनीक से नीदरलैंड में आलू की खेती की जा रही है. इसकी मदद से आलू की सही गुणवत्ता प्राप्त हो रही है, तो वहीं उत्पादन बढ़ाने में मदद मिल रही है. इस पद्धति से किसानों को खेती की लागत कम लगी है और मुनाफा अच्छा होता है.

क्या हैं प्रिसिजन फार्मिंग के फायदे?

  • कृषि उत्पादकता बढ़ाने में मदद

  • मिट्टी की सेहत अच्छी रहती है

  • फसल में ज्यादा रसायन की जरूरत नहीं पड़ती है.

  • पानी जैसे रिसोर्स का उचित और पर्याप्त इस्तेमाल होता है.

  • फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलती है.

  • खेती में लगने वाली लागत कम होती है.

  • खेती से किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद मिलती है.

क्या है चुनौती?

प्रिसिजन फार्मिंग (Precision Farming) पर कई रिसर्च किए गए हैं. इन रिसर्च से पता चला है कि सबसे बड़ी चुनौती उचित शिक्षा और आर्थिक स्थिति है. देश में इस खेती को लेकर एक्सपर्ट्स, फंड और जानकारी को लेकर कमी है. इसके लिए प्रिसिजन फार्मिंग का शुरुआती खर्च भी बहुत ​अधिक है.

English Summary: Precision farming will yield good yields at low cost Published on: 16 April 2021, 02:49 PM IST

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