1. Home
  2. खेती-बाड़ी

उत्तर और मध्य भारत के लिए कपास की उन्नत बी.टी. किस्मों की जानकारी

यह समय कपास किस्मों के चयन और बुआई का चल रहा है. किस्मों का चयन करते समय यह जरूरी है कि किसान भाई जान लें किस्मों की खासियत. कपास की अलग-अलग किस्म अलग-अलग जलवायु, मिट्टी के प्रकार और सिंचाई की मात्रा पर निर्भर करती है.

हेमन्त वर्मा
Cotton Varieties
Cotton Varieties

यह समय कपास किस्मों के चयन और बुआई का चल रहा है. किस्मों का चयन करते समय यह जरूरी है कि किसान भाई जान लें किस्मों की खासियत. कपास की अलग-अलग किस्म अलग-अलग जलवायु, मिट्टी के प्रकार और सिंचाई की मात्रा पर निर्भर करती है. कुछ किस्में कीटों और बीमारियों के प्रति सहनशील पाई गई है. अतः किस्मों की जानकारी के बाद की बुवाई का काम करना चाहिए. उत्तर भारत और मध्य भारत में उगाई जाने वाली कुछ प्रमुख किस्में इस प्रकार है-   

  • कावेरी जादू : यह किस्म सूखे के प्रति (Drought resistance) और रसचूसक कीट (Sucking pest) जैसे एफिड, तेला, सफेद मक्खी के प्रति सहनशील होती है और गुलाबी सूँडी, अमेरिकन सूँडी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखती है. इस संकर किस्म की फसल अवधि 155-167 दिनों की है जिसमें गूलर (डोडे) मध्यम एवं पौधा लम्बा होता है अतः कम दूरी में बुवाई लिए भी उपयुक्त किस्म है.

  • रासी आरसीएच-659 : यह 145-160 दिनों की मध्यम अवधि एवं अधिक उत्पादन के लिए अच्छी संकर किस्म है. इस किस्म में डोडे बड़े व अधिक संख्या में लगते है तथा यह किस्म सिंचित क्षेत्र में भारी मिट्टी (Heavy soil) के लिए उपयुक्त है.

  • रासी नियो: यह मध्यम सिंचित क्षेत्र एवं हल्की से मध्यम मिट्टी लिए अच्छी किस्म है साथ ही साथ रसचूसक कीट जैसे- एफिड, तेला, सफेद मक्खी के प्रति सहनशील होती है.

  • रासी 773: यह किस्म केवल भारी मिट्टी में ही कामयाब है. जिसमें अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है और रस चूसक कीट से सहनशील है.

  • रासी 776: हल्की से मध्यम प्रकार की मिट्टी के लिए उपयुक्त है, जिसे कम पानी देने की आवश्यकता पड़ती है. इसमें टिंडे/ गूलर/ डोडे का साइज़ छोटा होता है लेकिन संख्या में अधिक लगते हैं.

  • रासी मगना: इस किस्म में गूलर बड़े व अधिक संख्या में लगते है जो मध्यम से भारी मिट्टी में उगाने के लिए अच्छी है. रसचूसक कीटों के प्रति मध्यम सहनशील है.

  • कावेरी मनी मेकर: फसल अवधि 155-167 दिनों की है जिसमें डोडे (Boll) बड़े आकार के लगते हैं जो अच्छे से खिलने और चमकदार होते हैं.

  • आदित्य मोक्ष: यह किस्म सिंचित व बारानी क्षेत्र (Dry land) में भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है जो 150-160 दिनों की फसल अवधि रखती है.

  • नुजीवीडु भक्ति: यह किस्म रसचूसक कीटों प्रति सहनशील होती है और गुलाबी सूँडी, अमेरिकन सूँडी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखती है. इसकी फसल अवधि लगभग 140 दिनों की होती है.

  • सुपर कॉटन (प्रभात): यह किस्म मध्यम सिंचित व काली भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है तथा रसचूसक कीटों प्रति सहनशील है. 

  • अजित सीड 155: यह हल्की मिट्टी यानि रेतीली मिट्टी में लगाई जाने वाली किस्म है, जिसे कम पानी की जरूरत होती है. इसका पौधा सीधा होता है जिसमें टिंडे वजनदार होते हैं.

  • नुजीवेदु गोल्ड़कोट: फसल अवधि 155-160 दिनों की है जिसमे डोडे मध्यम आकार के लगते हैं. 

  • शमहिकों परिंदा: यह अगेती किस्म हल्की से मध्यम प्रकार की मिट्टी के लिए ठीक है, जिसे मध्यम पानी देने की आवश्यकता पड़ती है. इसमें लड़ीदार टिंडे/ गूलर लगते है और इसमें फूल कम झड़ते हैं.

  • बायर 7272: यह मध्यम से भारी मिट्टी में उगाई जाने वाली किस्म है, जो अधिक सिंचाई की चाह रखती है. यह रसचूसक कीटों के प्रति सहनशील है. इसका पौधा सीधा होता है जिसमें टिंडे वजनदार होते हैं.

  • अंकुर अजय 555: भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है और सिंचाई (Irrigation) की मध्यम आवश्यकता होती है. यह रसचूसक कीटों के प्रति सहनशील है.

  • यूएस 91: कम पानी में भी कारगर यह किस्म मध्यम प्रकार की मिट्टी के लिए अच्छी है. इसमें टिंडे का आकार बड़ा देखने को मिलता है.

English Summary: Information of improved B.T. Cotton varieties of North & Middle region of India Published on: 17 April 2021, 10:07 AM IST

Like this article?

Hey! I am हेमन्त वर्मा. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News