अन्य फसलों की तरह आलू की खेती में भी काफी लागत लगती है जिसके चलते इसकी उपज लेने वाले किसानों को कम मुनाफा हो पाता है. इसलिए बुवाई से पहले कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखना पड़ता है जिसके जरिए कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है. तो आइए जानते हैं आलू की खेती करने वाले किसानों को लागत कम करने के लिए किन-किन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए.
आलू की खेती के लिए मिट्टी की जांच (Soil test for potato cultivation)
आलू की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी परीक्षण बेहद जरुरी होता है. इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी उत्तम मानी जाती है. वहीं मिट्टी का पीएच मान 6 से 8 के बीच में होना चाहिए. इससे उचित जल निकासी होती है. वहीं आलू की बुवाई यह जानना बेहद जरुरी होता है कि मिट्टी का स्वास्थ्य कैसा है. उसमें जीवांश की मात्रा कितनी है.
फायदा : मिट्टी की जांच कराने के बाद आलू की उपज लेने से आपको अनावश्यक उर्वरक डालने की जरुरत नहीं पड़ेगी. जिससे उर्वरक पर खर्च करने वाला पैसा बचेगा.
गोबर खाद का उपयोग (Use of manure)
अच्छी पैदावार के लिए खेत की तैयारी के जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए. जैविक खाद में वर्मी कम्पोस्ट, गोबर खाद या मुर्गी की खाद डाल सकते हैं.
फायदा - जैविक खाद का उपयोग करने से आलू की उपज में हरापन नहीं रहेगा. वहीं इससे आलू मीठा नहीं होगा और कीट-बीमारियों से लड़ने की पौधे की क्षमता बढ़ेगी. जिससे कीटनाशक का कम से कम खर्च उठाना पड़ेगा.
रोग मुक्त बीज (Disease free seed)
यदि आप खेती में किसी तरह का जोखिम उठाना नहीं चाहते हैं तो रोग मुक्त बीजों का चयन करना चाहिए. वहीं ऐसी किस्मों की बुवाई करना चाहिए जो अगेती और पछेती झुलसा रोग प्रतिरोधक हो. जिससे आप किसी तरह के जोखिम लेने से बच जाएंगे.
फायदा - रोग मुक्त एवं प्रतिरोधक बीज का चयन करने से आप कीटनाशक और दवाइयों का अतिरिक्त खर्च बचा सकते हैं.
बीज और भूमि शोधन - बुवाई के दौरान बीज और भूमि का शोधन जरूर कर लेना चाहिए. इससे जीवाणु और फफूंदी नाशक रोगों से निजात मिलती है. वहीं भूमि में सनई और ढेंचा से बनी खाद डालना चाहिए.
फायदा - बीज एवं भूमि शोधन की वजह से पौधों में किसी तरफ जीवाणु और वायरस का अटैक नहीं होता और रासायनिक दवाओं का अतिरिक्त खर्च बढ़ता है.
गर्मी में गहरी जुताई -आलू की ज्यादा पैदावार के लिए गर्मी के महीने में खेत की अच्छे से जुताई करना चाहिए.
फायदा-इससे खेत में मौजूद कई तरह के कीट पतंगे मर जाते हैं और फसल का नुकसान बच जाता है.
बुवाई का सही तरीका-आलू का बीज 25 मिमी से 45 मिमी का लगाना चाहिए. इस साइज के बीज का अंकुरण अच्छा होता है.
फायदा - इससे फसल की पैदावार बढ़ती है और अधिक मुनाफा होता है.
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