बिहार का मालभोग केला पूरे देश में अपनी विशेष स्वाद और सुगंध के लिए काफी मशहूर है. मालभोग को प्राइड ऑफ बिहार के नाम से भी जाना जाता है. हम आपको बता दें कि पूरे भारत में केले की 500 से अधिक किस्में उगाई जाती हैं. दूसरी बात ये भी है कि एक किस्म को अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न- भिन्न नाम हैं. मालभोग केला एक उत्तम किस्म का केला है. इस किस्म की खास बात ये है कि इसका पौधा काफी लंबा फल औसत आकार का बड़ा, छाल पतली और पकने पर कुछ सुनहला पीले रंग का होता है. इसमें मालभोग, रसथली, मोर्तमान, रासाबाले, एवं अमृतपानी आदि केले आते हैं
हम आपको बता दें कि बिहार से अब धीरे- धीरे मालभोग केला गायब हो रहा है.अब महज इसकी खेती शौख के लिए कि जाती है. लेकिन बिहार कृषि विभाग ने एक बार फिर से मालभोग केले की खेती के लिए योजना बना रही है. संभवत: एक बार फिर से बिहार में मालभोग केले की सुगंध वापस लौटेगी.
मालभोज केले की खेती अब क्यों नहीं होती ?
बिहार का मालभोग केले की पहचान किसी समय में पूरे देश में खूब था लेकिन कुछ सालों से मालभोग केले की खेती पूरी तरह से बंद हो गई थी. अब बिहार के कुछ इलाकों में ही लोग बस नाम के लिए मालभोग केले की खेती करते हैं. हम आपको बता दें कि मालभोग केले की प्रजाति कुछ हद तक बीमारियों ने बर्बाद किया तो कुछ भौगोलिक कारण भी रहा है. मशहूर केला मालभोग पनामा विल्ट रोग की वजह से लुप्त होने की कगार पर है. इसकी खेती बिहार के हाजीपुर के आस पास के कुछ गांवों तक सीमित रह गई है.
आइये जानते हैं क्या है पनामा विल्ट रोग
पनामा विल्ट एक प्रकार का कवक रोग है. जो पूरी तरह से केले की फसल बर्बाद कर देता है. पनामा विल्ट फुसैरियम विल्ट टीआर-2 नामक कवक के कारण होता है. जिससे केले के पौधों का विकास रुक जाता है. इस रोग के लक्षणों की बात करें तो केले के पौधे की पत्तियां भूरी होकर गिर जाती हैं और तना भी सड़ने लगता है. इसी बीमारी की वजह से बिहार का मालभोग केले की खेती रुक गई है.
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रोग प्रतिरोधक क्षमता को रोक कर फिर से की जाएगी बिहार में मालभोग केले की खेती
कुछ सालों से बिहार में मालभोग केले की खेती पनामा विल्ट रोग की वजह से नहीं होती थी.लेकिन कृषि विभाग ने केले की कई परंपरागत प्रजातियों की खेती की योजना बना रही है जिसमें मालभोग केला भी शामिल है. केले की फसल में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए बिहार के कृषि विश्वविद्यालयों को शोध करने की जिम्मेदारी दे दी गई है.साथ ही मालभोग केले के साथ- साथ बिहार के परंपरागत केले के पौधे का उसके अनरुप जलवायु वाले इलाकों मे रोपण भी किया जाएगा.
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