देशभर के किसान धान की फसल से अच्छा उत्पादन पाने लिए वैज्ञानिक विधि से खेती कर रहे हैं. इसके साथ ही धान का नर्सरी लगाने से लेकर फसल कटाई तक अच्छी देखभाल भी करते हैं.
मगर फिर भी जब मौसम में बदलाव होता है, तो धान की खेती (Paddy Cultivation) करने वाले किसानों की चिंता बढ़ने लगती है, क्योंकि इस बदलते मौसम में धान की फसल पत्ता लपेट सुंडी लगने का खतरा काफी बढ़ जाती है. ऐसे में किसाना भाइयों को धान की फसल में लगने वाले पत्ता लपेट सुंडी रोग के प्रति सचेत रहना चाहिए.
धान की खेती संबंधी जानकारी (Paddy Cultivation Information)
धान की खेती (Paddy Cultivation) के लिए समशीतोषण जलवायु की उपयुक्त मानी गई है, तो वहीं इसके पौधों को औसतन 20 डिग्री सेंटीग्रेट से 37 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान चाहिए होता है. इसके साथ ही खेती के लिए मटियार एवम दोमट भूमि उपयुक्त रहती है.
मगर इसकी खेती में सबसे ज्यादा ध्यान फसल में लगने वाले रोग व कीट पर देना होता है. आइए किसान भाईयों को धान की फसल में लगने वाले पत्ता लपेट सुंडी रोग संबंधी अहम जानकारी देते हैं.
क्या है पत्ता लपेट सुंडी रोग (What is leaf wrap larva disease)
धान की फसल को पत्ता लपेट सुंडी रोग सूखा देता है. ये सुंडियां पत्ते को लपेट लेती हैं और अंदर ही अंदर खा लेती हैं. इससे पत्तों के ऊपर सफेद रंग की धारियां पड़ जाती हैं. इससे धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचता है, इसलिए समय रहते इसका समाधान करना जरूरी है.
पत्ता लपेट सुंडी रोग के लक्षण (Symptoms of leaf wrap larva disease)
शुरुआत में पत्ता लपेट सुंडी रोग कुछ पौधों पर दिखाई पड़ता है, लेकिन धीरे-धीरे आसपास के पौधों को अपनी चपेट में ले लेता है. पत्ता लपेट सुंडी से धान के पत्ते सफेद हो जाते हैं, साथ ही पत्ते का हरा पदार्थ चूस लेती हैं, जिससे पत्ता सफेद हो जाता है.
पत्ता लपेट सुंडी रोग का कारण (Cause of leaf wrap larva disease)
जानकारी के लिए बता दें कि पौधा पत्तों से ही भोजन बनाता है, लेकिन जब पत्तों से हरा पदार्थ खत्म होता है, तब पौधा भोजन नहीं बना पाता है. ऐसे में पौधे को भोजन नहीं मिलता है और वह कमजोर होकर मर जाता है, इसलिए समय रहते पत्ता लपेट सुंडी की रोकथाम करना जरूरी है.
धान की फसल में पत्ता लपेट सुंडी की रोकथाम (Leaf wrap in paddy crop prevention of caterpillar)
किसान भाईयों को धान की फसल का नियमित रूप से निरीक्षण करना चाहिए. अगर फसल में पत्ता लपेट सुंडी रोग के लक्षण दिखाई दें, तो इस स्थिति में कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेनी चाहिए.
इसके बाद ही धान की फसल में किसी कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए. बता दें कि कई बार किसान भाई धान की फसल में यूरिया ज्यादा इस्तेमाल कर लेते हैं. ऐसे में पौधे में कच्चापन अधिक हो जाता है और पत्ता लपेट सुंडी का प्रकोप और भी ज्यादा बढ़ जाता है.
धान की फसल में इन कीटनाशक का करें छिड़काव (Spray these insecticides in the paddy crop)
जानकारी के लिए बता दें कि धान की फसल में पत्ता लपेट सुंडी का प्रकोप ज्यादातर अगस्त से अक्टूबर तक होता है. इस स्थिति में पदान व रीजैंट कीटनाशक का छिड़काव कर सकते हैं. इनका छिड़काव साढ़े सात किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से कर सकते हैं. अगर कीटनाशक के छिड़काव के बाद बारिश हो जाती है, तो इसका किसी तरह का असर नहीं पड़ता है.
इसके अलावा आप पठेरा कीटनाशक का प्रयोग कर सकते हैं. इतना ही नहीं, हमारे किसान भाई 10 किलोग्राम मिथाइल पैराथिन 2 प्रतिशत प्रति एकड़ छिड़क सकते हैं. इसके साथ ही 200 मिली मोनोक्रोटोफास 36 एसएल 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ फसल के हिसाब से छिड़काव कर सकते हैं.
अन्य जरूरी बातें (Other Essentials)
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किसान भाईयों को कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के आधार पर कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए.
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किसानों को निराई व गुड़ाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
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खेत में घास को न उगने दें.
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रोजाना सुबह-शाम धान की फसल की अच्छी देखभाल करें.
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खेत की मेढ़ पर सफाई रखें.
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समय- समय पर कृषि वैज्ञानिकों को खेत में बुलाकर फसल को दिखाते रहना चाहिए.
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