मौसम में होता बदलाव कहीं कोहरा तो कहीं बारिश फसलों के लिए बहुत हानिकारक साबित होता है. तापमान में होते उतार चड़ाव की वजह से फसलों पर रोग और कीट का खतरा बढ़ जाता है, जो कि उपज की गुणवत्ता के लिए हानिकारक है. ऐसे में फसल का अच्छी तरह रखरखाव करना चाहिए. ऐसे में फसलों पर रोगों और कीटों का बढ़ते खतरे को नियंत्रित करना बहुत जरुरी होता है. इसलिए फसलों की सुरक्षा हेतु आईसीएआर -भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए जरुरी सलाह दी है.
कृषि वैज्ञनिकों द्वारा दी गयी जरूरी सलाह (Important Advice Given By Agricultural Scientists)
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मौसम में होते बदलाव में सरसों की फसल में चेपा कीट का खतरा अक्सर बढ़ जाता है, इसलिए इसकी रोकथाम के लिए किसानों को फसलों पर निरंतर निगरानी करनी चाहिए. इसकी प्रारम्भिक अवस्था में जिस भाग में कीट का प्रभाव हो, उस भाग को काट कर फ़ेंक देना चाहिए.
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वहीं चने की फसल में फली छेदक कीट का खतरा बढ़ जाता है, तो इसके लिए फसल की समय पर निगरानी रखें. इसके लिए फेरोमोन ट्रैप 3-4 ट्रैप प्रति एकड़ खेतों में लगाएं. जहां पौधों में 10-15% फूल खिल गये हों. इसके अलावा "T" अक्षर आकार के पक्षी बसेरा खेत के विभिन्न जगहों पर लगाएं.
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कद्दूवर्गीय सब्जियों के अगेती फसल की पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पालीथीन के थैलों में भर कर पॉलीहाउस में रखें.
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सर्दी के महीने में तैयार बन्दगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि की अच्छे से रोपाई मेड़ों पर करते रहें.
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फसलों के पत्तों के बढ़वार के लिए 20 किग्रा. यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव कर सकते हैं.
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सर्दी का मौसम गाजर के लिए बहुत अच्छा माना जाता है, इसलिए इस समय गाजर के अच्छे किस्मों के बीजों का चयन कर खेत में उगा सकते है.
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इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की अच्छे से रोपाई करें. इसके अलावा रोपाई से 10-15 दिन पहले खेत में 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद डालें. वहीं, 20 किग्रा, नाइट्रोजन, 60-70 किग्रा. फ़ॉस्फोरस और 80-100 किग्रा. पोटाश इसकी आखिरी जुताई में डालें. यह पौधों की बढ़ावर और उनके अच्छे उपज के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है.
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गोभीवर्गीय फसल में भी इन दिनों हीरा पीठ इल्ली नाम का कीट लगने की सम्भावना रहती है. ऐसे में फसल की निगरानी के लिए फीरोमोन ट्रैप 3-4 ट्रैप प्रति एकड़ खेतों में लगाएं.
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गेंदे की पौध में पूष्प सड़न रोग के खतरा भी रहता हैं. इसके लिए सर्वप्रथम आप उसकी निगरानी करते रहें. इसके अलावा जब भी पौध में यह रोग दिखाई दे, तो बाविस्टिन 1 ग्राम/लीटर अथवा इन्डोफिल-एम 45 प्रति 2 मिली./लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें.
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गैर-रासायनिक कीट और रोग प्रबंधन को समझें और उनका उपयोग करें.
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