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सफेद मूसली की खेती कर कमाएं अधिक मुनाफा

सफेद मूसली एक कंदयुक्त पौधा होता है. जिसकी ऊंचाई अधिकतम डेढ़ फुट तक होती है. इसके भीतर सफेद छोटे फूल मौजूद होते है. यह बहुत सी बीमारियों के इलाज में काफी सहायक होती है. वैसे तो देश में सफेद मूसली की कई तरह की प्रजातियां पाई जाती है परंतु व्यावसायिक रूप से कोलोरफाइटम बोरिभिलियम व्यवसाय के लिए यह काफी फायेदमंद होती है. सफेद मूसली की कई तरह की प्रजातियां हमारे यहां पाई जाती है जैसे कि क्लोरोफाइटम, अरून्डीशियम, क्लोरोफाइटम, एटेनुएम, लक्ष्म और वोरिविलिएनम आदि है. इनमें से कई प्रजातियां झारखंड के साल के जंगलों में पाई जाती है.

किशन

सफेद मूसली एक कंदयुक्त पौधा होता है. जिसकी ऊंचाई अधिकतम डेढ़ फुट तक होती है. इसके भीतर सफेद छोटे फूल मौजूद होते है. यह बहुत सी बीमारियों के इलाज में काफी सहायक होती है. वैसे तो देश में सफेद मूसली की कई तरह की प्रजातियां पाई जाती है परंतु व्यावसायिक रूप से कोलोरफाइटम बोरिभिलियम व्यवसाय के लिए यह काफी फायेदमंद होती है. सफेद मूसली की कई तरह की प्रजातियां हमारे यहां पाई जाती है जैसे कि क्लोरोफाइटम, अरून्डीशियम, क्लोरोफाइटम, एटेनुएम, लक्ष्म और वोरिविलिएनम आदि है. इनमें से कई प्रजातियां झारखंड के साल के जंगलों में पाई जाती है.

कई तरह के पोषक त्तव

सफेद मूसली पौधे की जड़े कई प्रकार के पोषक तत्वों से बनी हुई होती है जिनमें कार्बोहाइट्रेड, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, पौटेशियम, मैगनिशियम के अलावा मूसली की जड़ों से ग्लूकोस, सुक्रोज आदि भी पाए जाते है. सफेद मूसली शरीर में विभिन्न क्रियाओं के सुचारू रूप से चलने को भी सुनिश्चित करता है. इसके सेवन से आपकी थकान भी दूर होती है. 

सफेद मूसली की खेती

सफेद मूसली प्राकृतिक रूप से पाई जाती है. यह काफी सख्त होने के कारण इसकी सफल खेती की जाती है. खेती के लिए प्रयुक्त भूमि काफी नरम होनी चाहिए. रेतीली दोमट जिसमें जीवाष्म की मात्रा ज्यादा हो, वह खेत के लिए उपयुक्त होती है.

safed musil

सफेद मूसली की खेती

सफेद मूसली की फसल की बुआई जून-जुलाई माह के 1 से 2 सप्ताह में ही की जाती है, जिसके कारण इन महीनों में प्राकृतिक वर्षा होती है. इसके लिए सिंचाई की कोई भी आवश्यकता होती है. इसकी फसल को 10 दिनों के अंतराल में पानी देना काफी जरूरी होता है. इसकी सिंचाई हल्की और छिड़काव हो तो वह अति उतत्म है. किसी भी परिस्थिति में खेत में पानी नहीं रूकना चाहिए. साथ ही खाद के लिए 30 टन गोबर की खाद भी प्रति हेक्टेयर दें. इसकी फसल में रासायनिक खाद न डाले. यहां पर सुविधा के लिए खेत में 10 मीटर लंबे 1 मीटर चौड़ें तथा 20 सेमी ऊंचे बेड लेते है.

इतने दिनों में तैयार होगी फसल

बुआई के कुछ दिनों बाद ही पौधा बढ़ने लगता है, उसमें पत्ते, फूल और बीज आने लगते है और अक्टूबर और नवंबर में पत्ते पीले होकर सूखकर झड़ जाते है. बाद में कंद इसके अंदर ही रह जाता है. साधारणयतः इसमें की भी बीमारी नहीं होती है. कभी-कभी इसमें कैटरपिलर लग जाता है जो कि पत्तों को नुकसान पहुंचाता है. इस प्रकार 90 से 100 दिनों में पत्ते सूख जाते है. परंतु कंद को तीन से चार महीने रोककर निकालते है जब वह हल्के भूरे रंग के हो जाते है. इसमें प्रत्येक पौधों से विकसित कंदों की कुल संख्या 10 से 12 होती है.

मूसली का अनुमानित लाभ

प्रति एकड़ क्षेत्र की बात करें तो 80 हजार  पौधे मूसली के लगाए जाते है तो 70 हजार बढ़िया पौधे तैयार होते है.  एक पौधे से 25 से 30 ग्राम कंद प्राप्त होता है. सूखाकर 4 क्विंटल सूखी कंद प्राप्त होता है. इसकी अनुमानित महीने की फसल से 1 से 1.5 लाख रूपया नगद आमदनी हो सकती है, बशर्ते सूखी कंद के अच्छे रूपए मिल जाएंगे.  शुद्द लाख एक से दो लाख हो सकती है.

यहां से खरीदें और यहां बिक्री

वैसे तो दिल्ली के सदर बाजार में, मध्य प्रदेश में बहुत सी एजेंसियां है जो कि सफेद मूसली को खरीदते है एवं इसके बीज को बेचने का कार्य करती है. उदाहरण के लिए मित्तल मूसली फार्म और मो राज कंपनी है.

English Summary: Cultivation of white musli will be beneficial Published on: 21 September 2019, 01:53 PM IST

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