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Barley Cultivation 2022: कम खर्च में ऐसे करें जौ की खेती, बाजार में रहती है भारी डिमांड

जौ की खेती को एक प्रमुख धान्य फसल माना जाता है. किसान कम उर्वरक शक्ति वाले क्षेत्र, उसरीली जमीन और सीमित सिंचाई के साधनों के साथ जौ की खेती आराम से कर सकते हैं. रबी सीजन का ठंडा मौसम जौ की खेती के लिए बढ़िया माना जाता है.

मनीष कुमार
कृषि विशेषज्ञ जौ की बुवाई के लिए नवंबर का महीना सबसे अच्छा मानते हैं. जौ की खेती के लिए खरीफ कटाई के बाद किसान खेत की 2-3 बार हैरो से क्रॉस जोताई कर पाटा लगा दें. (फोटो-सोशल मीडिया)
कृषि विशेषज्ञ जौ की बुवाई के लिए नवंबर का महीना सबसे अच्छा मानते हैं. जौ की खेती के लिए खरीफ कटाई के बाद किसान खेत की 2-3 बार हैरो से क्रॉस जोताई कर पाटा लगा दें. (फोटो-सोशल मीडिया)

एक सर्वे के अनुसार देश में जौ की खेती का रकबा लगभग सात लाख हेक्टेयर है. इससे प्रतिवर्ष देश में 15 लाख टन जौ का उत्पादन होता है. कुल उपज का लगभग 95 प्रतिशत उत्पादन राजस्थान, मध्यप्रदेश, पंजाब, बिहार और उत्तर प्रदेश सहित पहाड़ी राज्यों में होता है. जौ का प्रयोग अनाज, पशु आहार, शराब, पेपर और फाइबर इंडस्ट्री में किया जाता है. इसलिए बाजार में इसकी भारी डिमांड रहती है.

जौ की खेती के लिए वैज्ञानिक विधि

खरीफ के बाद खेत की तैयारी: जौ की खेती दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है. हालांकि किसान उसरीली, लैटेराइट, काली, शुष्क, पर्वतीय मिट्टी में भी आसानी से कर सकते हैं. खरीफ कटाई के बाद किसान खेत की 2-3 बार हैरो से सीधी-उल्टी जोताई कर दें. अब पाटा लगाकर खेत को समतल कर लें. दीमक से बचाव के लिए खरीफ फसल की खरपतवार जैसे पराली खेत में ना रहे.

बुवाई का समय और बीजोपचार: कृषि विशेषज्ञ जौ की बुवाई के लिए नवंबर का महीना सबसे अच्छा मानते हैं. बीज बुवाई से पहले किसान गोबर या कम्पोस्ट खाद की 5-10 टन मात्रा प्रति एकड़ का प्रयोग करें. बीज उपचार के लिए बिटावैक्स और कार्बेडाजिम को 1:1 के अनुपात का मिश्रण बना लें. तैयार पदार्थ की 2.0 ग्राम मात्रा से प्रति किलोग्राम बीज उपचार करें.

बुवाई की सही विधि: बीजोपचार के बाद किसान एक एकड़ खेत में जौ की बुवाई के लिए 30-40 किलोग्राम बीज का प्रयोग करें. जौ की खेती के लिए ट्रैक्टर चलित सीड ड्रील या पलेवा द्वारा की जाती है. बीज बुवाई के लिए पंक्ति से पंक्ति का फासला कम से कम 20 सेंटीमीटर रखें. इससे पौधों को फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिलेगी. सिंचाई वाले क्षेत्रों में बीज को 3-5 सेंटीमीटर गहराई में बोएं, बारिश प्रभावित क्षेत्रों में बीज 5-8 सेंटीमीटर की गहराई में बोएं.

खरपतवार और कीट प्रबंधन: चौड़ी पत्ती वाली खरपतवार, झुलसा रोग और दीमक से जौ की फसल प्रभावित होती है. दीमक से बचाव के लिए खेती कर रहे किसान क्लोरोपायरीफॉस दवा की 3 लीटर मात्रा को 20 किलोग्राम रेत या बालू में मिलाकर खेत में सिंचाई से पहले बिखेर दें. खरपतवार नियंत्रण के लिए किसान जौ के अंकुरण के बाद 2,4-D की 250 ग्राम मात्रा को 100 लीटर पानी में मिलाकर बीज बुवाई के 30-40 दिनों के बाद छिड़काव करें.

ये भी पढ़ें: चना की खेती 2022- बुवाई से पहले इन सुझावों पर अमल करें किसान, मिलेगी भरपूर उपज

सिंचाईः जौ की फसल से अच्छी उपज के लिए 3-4 सामान्य सिंचाई की आवश्यकता होती है. पहली सिंचाई बुवाई के समय 20-25 दिनों के बाद लगाएं. पौधों से बालियां फूटने पर दूसरा पानी लगा दैं. मौसम सामान्य रहने पर फसल मार्च-अप्रैल तक पककर तैयार हो जाती है.
जौं उन्नत किस्में: बीज की प्रमुख किस्मों में ज्योति/0572-10, आजाद, मंजुला, रेखा/बीएसयू-73, लखन/के-226, गीतांजली/के-1149 नरेंद्र-1,2 और 3 हरीतिमा प्रीति/के-409 वैज्ञानिक बेस्ट मानते हैं.

जौं की उन्नत किस्में: बीज की प्रमुख किस्मों में ज्योति/0572-10, आजाद, मंजुला, रेखा/बीएसयू-73, लखन/के-226, गीतांजली/के-1149 नरेंद्र-1,2 और 3 हरीतिमा प्रीति/के-409 वैज्ञानिक बेस्ट मानते हैं.

English Summary: Barley Cultivation 2022 at low cost high demanding crop for industrial uses Published on: 27 October 2022, 03:08 PM IST

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