सब्जियों के उत्पादन के जरिए किसानों को समृद्ध बनाने की मध्यप्रदेश सरकार की कोशिशें सफल होने लगी हैं. काश्तकारों की माली हालत सुधारने के लिए सब्जी की खेती को बढ़ावा देने से ही गुना जनपदीय अंचल के हिनोतिया ग्राम के एक मामूली-से किसान रतिराम करोड़पति बन गए हैं. जो रतिराम कभी पैदल चला करते थे। वह आज मैटाडोर और मोटर साइकिल पर चलते हैं.
मामूली खेतीबाड़ी से जीवन का सफर शुरू करने वाले रतिराम के पास काफी जमीन होने के बावजूद वह पानी की कमी के कारण उसका उपयोग नहीं कर पा रहे थे. वह पारंपरिक रूप से बारिश के पानी के भरोसे मुश्किल से थोड़ी-बहुत ज्वार, गेहूँ, चना ही पैदा कर पाते थे जिससे मामूली आमदनी होने के साथ-साथ वह घर में खाने के काम ही आ पाता था. वे आर्थिक तंगी का शिकार हो रहे थे.
वे अपनी खाली पड़ी जमीन से खेती करके अच्छी खासी कमाई करने के सपने देखने लगे. लेकिन खेती के लिए सिंचाई एवं अन्य संसाधनों की जरूरत थी और संसाधन उनके पास थे नहीं. लेकिन राज्य सरकार के उद्यानिकी विभाग ने इस काम में रतिराम की मदद की और उन्हें अनुदान पर टपका सिंचाई सिस्टम, अमरूद एवं आंवले के पौधे, हाईब्रीड टमाटर, भिण्डी, आलू, लहसुन, मिर्च के बीज, स्प्रिंकलर, पावर स्प्रे पंप, पावर ट्रिलर दिलवाए और पैक हाउस स्थापित कराया. इस मदद ने रतिराम की किस्मत पलट दी.
शासकीय मदद से प्राप्त संसाधनों की बदौलत जब उन्होंने नए सिरे से खेती शुरू की तो मानो चमत्कार हो गया. पहली बार में ही उन्होंने उद्यानिकी फसलों से लाखों रूपये का कारोबार किया. आज उद्यानिकी फसलों ने रतिराम का जीवन स्तर बदल दिया है. रतिराम अब गेहूं, ज्वार के बजाए लाभ देने वाली सब्जियों की फसल बो रहे हैं. वे आज उद्यानिकी फसलों के प्रमुख उत्पादक बन गए हैं.
सालाना कमाते हैं एक करोड़ तक
वे सालाना एक करोड़ रूपये तक का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं. वे मोबाइल से मंडी के भाव पता करते हैं. सब्जियों से हुई कमाई से उन्होंने एक मैटाडोर और तीन मोटर साइकिलें, दो ट्रेक्टर खरीद लिए. इतना ही नहीं, उन्होंने तीन कुए खुदवाए, बारह ट्यूबवेल करवाए, चार मकान बनवाए, खेती के लिए बीस बीघा जमीन खरीदी तथा दो बेटों एवं एक बेटी की धूमधाम से शादी की. उन्होंने खेती के लिए करीब 100 बीघा जमीन ठेके पर ले ली है.
अप्रत्याशित रूप से रतिराम की सब्जियों का व्यापार बढ़ा है. यह न केवल गुना में बल्कि बाहर भी अपना बाजार पा रहा है. अपने मुनाफे के बारे में रतिराम ने बातचीत में कहा कि कृषि के दूसरे व्यापार में इतना पैसा नहीं मिलता, जितना सब्जी के कारोबार में मिलता है. किन्तु उनकी जिन्दगी बदलने में सरकारी मदद का भी बहुत बड़ा योगदान है.
कलेक्टर राजेश जैन कहते हैं, “खेती-किसानी और फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए संसाधन एवं तकनीकी मार्गदर्शन सुलभ कराकर सरकार काश्तकारों को लगातार प्रोत्साहित कर रही है. ये संसाधन भरपूर फसल लेने के लिए काफी कारगर हैं.
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