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दो लाख महिलाओं के एस.एच.जी समूह का टर्नओवर २५ करोड़

"गरीबी सिर्फ मन से है हौसला हो तो कुछ भी कर गुजर" ऐसा ही कुछ कर दिखाया पद्म श्री से सम्मानित राजनांदगाव, छतीसगढ़ की फूलबासन यादव जिसने ना ही खुद को आगे बढ़ाया बल्कि कई ऐसे महिलाओं को आज मुकाम दिया है जो समाज के मुख्यधारा से कोसो दूर थी और आज का समय ऐसा है की वो महिलाएं न ही खुद ही अपने आप बल्कि अपने परिवार को भी सबल किया है|

"गरीबी सिर्फ मन से है हौसला हो तो कुछ भी कर गुजर" ऐसा ही कुछ कर दिखाया पद्म श्री से सम्मानित राजनांदगाव, छतीसगढ़ की फूलबासन यादव जिसने ना ही खुद को आगे बढ़ाया बल्कि कई ऐसे महिलाओं को आज मुकाम दिया है जो समाज के मुख्यधारा से कोसो दूर थी और आज का समय ऐसा है की वो महिलाएं  न ही खुद ही अपने आप बल्कि अपने परिवार को भी सबल किया है| आपको बता दें की फुलबासन यादव का जन्म एक गरीब चरवाहे परिवार में हुआ और बचपन मुश्किलों में बिता और तो और दस साल की उम्र में ही शादी हो जाने के बाद बीस साल के उम्र तक चार बच्चों की माँ  बन जाने बाद भी काफी आभाव भरा जीवन रहा तभी मन में ऐसा विचार आया की  क्यों न कुछ ऐसा किया जाये जिससे कुछ आर्थिक लाभ हो और फिर फुलबासन देवी ने 2001 में माँ बम्लेश्वरी स्वयं सहायता समूह का गठन किया और अपने गाँव की महिलाओं को जोड़ना शुरू किया  इस स्वंय सहायता समूह की शुरुआत सिर्फ दो मुट्ठी चावल और दो रूपए से शुरू किया गया  और गॉंव की महिलाओं को बकरी पालन करने के लिए जोड़ना शुरू किया फिर कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण की शुरुआत की और महिलाओं के समूह द्वारा कई प्रकार के उत्पाद को बनाया जाने लगा जिनमें से अंचार ,पापड़,बरी जैसे घरेलु खाद्य उत्पाद बना कर बाजारों में कई स्टालों के माध्यम से बम्लेश्वरी ब्रांड से बेचा जाने लगा और इसके स्वाद और गुणवत्ता के अनुसार इसकी पहचान बनने लगी और इसमें ग्रामीण घरेलु महिलाएं भी सशक्त होने लगी फिर समय बीतता गया और कई स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को जोड़ने की शुरुआत हुई और आज लगभग तेरह हजार छोटे बड़े समूहों का रूप ले चूका है जिससे इनकी पहचान बनने लगी फिर कई तरह के सम्मान से इन्हे नवाजा गया और उसका परिणाम रहा की  दो लाख से भी अधिक महिलाएं इससे जुड़ चुकी है| यह एक अभियान मात्र चरवाहे के बेटी के द्वारा शुरू किया गया और समूह के खाते में लगभग पचीस करोड़ से अधिक की राशि का उपयोग महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के मदों में किया जाता है पर अब फुलबासन यादव कृषि के क्षेत्र में भी अपना योगदान शुरू किया है और जिमीकंद की खेत से महिलाओं को जोड़ा जा रहा है जैविक खेती के प्रोत्साहन के साथ साथ डेरी वयवसाय भी मुहैया कराया जा रहा है  

भारत सरकार द्वारा फुलबासन यादव को इस सराहनीय कार्य के लिए पद्म श्री के साथ साथ जमुनालाल बजाज, स्त्री सशक्तिकरण से जुड़े अनेक सम्मान हासिल हो चुके हैं छत्तीसगढ़ सरकार ने उन्हें शराब बंदी और महिला सशक्तिकरण के लिए अपना ब्रांड अम्बेस्डर भी बनाया है| समाज में कई लोग ऐसे होते हैं जो विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए भी खुद के मुकाम के साथ साथ समाज में कुछ ऐसा कर जाते हैं जिससे समाज ही नहीं बल्कि पुरे देश  को प्रेरणा मिलती है

English Summary: Turnover of 25 million people of SHG group of two lakh women Published on: 25 September 2018, 02:31 AM IST

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