रासायनिक खेती से न सिर्फ इंसान की सेहत ख़राब हो रही है, बल्कि इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी घट रही है. ऐसे में आज किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करना बेहद जरुरी है.
जिस तरह से महामारी के इस दौर में ऑर्गनिक उत्पादों की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है, उसे देखते हुए आना वाला समय ऑर्गनिक खेती का ही होगा. ये कहना है युवा फार्मर डॉ. रिज़वान खान, जो कि मेरठ से 5 किलोमीटर दूर किना नगर गांव से ताल्लुक रखते हैं.
वे पेशे से डॉक्टर हैं और मेरठ के हॉस्पिटल में इंटर्नशिप कर रहे हैं. एक साल पहले उन्होंने वर्मीकम्पोस्ट का बिजनेस शुरू किया. इस बिजनेस से आज उनका सालाना टर्नओवर 40 लाख रुपए का है.
केंचुए की ऑस्ट्रेलियन ब्रीड (Australian breed of earthworm)
दरअसल, एक डॉक्टर का काम होता है लोगों की सेहत को सुधारना. ऐसे में वर्मी कम्पोस्ट से मिट्टी की सेहत सुधारने में मददगार है. यदि मिट्टी की सेहत सही होगी तो लोगों जैविक खानपान मिलेगा और इससे उनकी सेहत अपने आप ठीक हो जाएगी.
कैसे तैयार करते हैं वर्मीकम्पोस्ट? (How to prepare Vermicompost?)
वर्मीकम्पोस्ट तैयार करने के लिए वे 30X4 का बेड तैयार करते हैं. उन्होंने 50 बेड से इस बिजनेस को शुरू किया था. आज उनके पास करीब 100 बेड हैं. प्रत्येक बेड में 15 क्विंटल गोबर लगता है, जिससे तक़रीबन 6 क्विंटल खाद का उत्पादन होता है.
वे गोबर पशुपालकों से खरीदते हैं. बेड बनाकर वे इसमें लगभग 30 किलो केंचुए डालते हैं, जिससे 15-20 दिनों बाद वर्मीकम्पोस्ट की पहली लेयर तैयार हो जाती है. दो से ढाई महीने बाद जब अंतिम लेयर बच जाती है तथा केंचुए बड़े हो जाते हैं तब वे इन केंचुओं का प्रयोग दूसरी बेड तैयार करने में करते हैं.
40 लाख का टर्नओवर (40 lacs turnover)
अपनी कमाई के बारे में डॉ. रिज़वान का कहना है कि यह किसानों के लिए फायदेमंद बिजनेस है. यदि 100 बेड के साथ बिजनेस शुरू किया जाए तो सालाना 40 से 45 लाख रुपए का टर्नओवर हो जाता है. यह एक फायदेमंद बिजनेस है. आज वे अपने आम के बगीचों और अन्य फसलों के लिए वर्मीकम्पोस्ट का प्रयोग करते हैं. इससे बेहतर उत्पादन लेने में मदद मिलती है.
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