तमिलनाडु के कोयम्बटूर जिले का ओड़नथुरई गांव आज देश के सबसे स्मार्ट विलेज के रूप में अपनी पहचान बना चुका है. नीलगिरी की पहाड़ियों की गोद में बसे इस छोटे से गांव में शहर जैसी सुविधाएं मौजूद हैं. हालांकि कुछ सालों पहले यहां बुनियादी सुविधाएं भी मौजूद नहीं थी. पानी लेने के लिए भी दूर-दूर तक जाना पड़ता था. तो आइए जानते हैं ओड़नथुरई के स्मार्ट विलेज बनने की कहानी.
सभी के पक्के मकान
ओड़नथुरई गांव देखने में किसी शहर से कम नहीं है. यहां सभी लोगों के पास एक जैसे पक्के मकान हैं. जिनके ऊपर सोलर पैनल लगे हैं जिससे बिजली का उत्पादन होता है. वहीं गांव में साफ पानी के लिए टंकी है जिससे सभी घरों में पानी जाता है. सभी घरों को मुफ्त बिजली मिलती है. इन्हीं खूबियों को देखने के लिए यहां विश्व बैंक के एक्सपर्ट समेत देश के कई अफसर आते हैं.
कुछ साल पहले अलग तस्वीर थी
कुछ साल पहले देश के अन्य गांवों की तरह यहां भी बुनियादें सुविधाएं मौजूद नहीं थी. पूरे गांव में कच्चे घर होने के साथ साफ पानी और बिजली की सुविधा नहीं थी. यही वजह थी कि गांव के लोग शहरों में पलायन करने लगे थे. बीस साल पहले यहां के लोग झोपड़ियों में रहा करते थे. पीने के पानी के लिए लोगों को तीन किलोमीटर जाना पड़ता था. गांव के लोगों का कहना हैं कि उनके बच्चों को यह भी नहीं पता था कि बिजली किसे कहते थे. राशन तथा अन्य सामान के लिए भी दूर जाना पड़ता था.
कैसे आया यह बदलाव
ओड़नथुरई के स्मार्ट विलेज बनने के पीछे सबसे बड़ा हाथ है यहां के पूर्व सरपंच आर. षणमुगम का है. जो 1996 में यहां के सरपंच थे. उनका कहना है कि उस समय तक उनके गांव में लोगों के पास कच्चे घर थे. तब उन्होंने पंचायत फंड से लोगों के पक्के घर बनाने का प्रस्ताव पास किया. गांव से सभी झोपड़ियों को हटाया गया और फिर बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्के घर बनाए गए. इससे जो लोग गांव छोड़कर जा चुके थे वे वापस आने लगे. 20 साल में यहां कि जनसंख्या 1600 से 10,000 हजार हो गई है. गांव में बच्चों के लिए प्राइमरी स्कूल, सेकंडरी स्कूल हैं.
पवन चक्की लगवाई
षणमुगम ने बताया कि गांव में बिजली की सुविधा को पूरी करने के लिए पवन चक्की लगाने की विचार किया लेकिन पंचायत के पास सिर्फ 40 लाख रूपये का फंड था. जबकि पवन चक्की टरबाइन स्थापित करने के लिए डेढ़ करोड़ रूपये की आवश्यकता थी. इसके लिए बैंक से लोन लेकर गांव से दूर पवन चक्की लगाई गई जिससे बिजली की पूर्ति हुई. वहीं केन्द्र सरकार की मदद से गांव में पानी की बड़ी टंकी बनवाई गई.
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