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गाँव हो तो ऐसा ! पहाड़ों पर उन्नत खेती, सिंचाई साधन के साथ बेटियों का सुरक्षित भविष्य

पहाड़ों पर खेती करने में किसानों को कई तरह की मुश्किलें आती हैं, जिनमें सिंचाई भी शामिल है. जहां समतल ज़मीन पर भी किसान अपने फसल के अच्छे उत्पादन के लिए ठीक तरह से खेतों की सिंचाई करने में अभी भी कहीं-कहीं असमर्थ है, वहीं पहाड़ों पर यह थोड़ा और भी मुश्किल हो सकता है. साथ ही तकनीक की जानकारी के अभाव में मिट्टी और वातावरण को देखते हुए किसान अपने मुताबिक फसल भी नहीं लगा पाते हैं. ऐसे में राजस्थान (Rajasthan)) के राजसमंद (Rajsamand) जिले का एक गाँव बाकी किसानों के लिए आदर्श साबित हो रहा है.

सुधा पाल

पहाड़ों पर खेती करने में किसानों को कई तरह की मुश्किलें आती हैं, जिनमें सिंचाई भी शामिल है. जहां समतल ज़मीन पर भी किसान अपने फसल के अच्छे उत्पादन के लिए ठीक तरह से खेतों की सिंचाई करने में अभी भी कहीं-कहीं असमर्थ है, वहीं पहाड़ों पर यह थोड़ा और भी मुश्किल हो सकता है. साथ ही तकनीक की जानकारी के अभाव में मिट्टी और वातावरण को देखते हुए किसान अपने मुताबिक फसल भी नहीं लगा पाते हैं. ऐसे में राजस्थान (Rajasthan)) के राजसमंद (Rajsamand) जिले का एक गाँव बाकी किसानों के लिए आदर्श साबित हो रहा है. पिपलांत्री (Piplantri) गाँव के किसानों और वहां के सरपंच ने मिलकर खेती से जुड़ी सभी समस्याओं का समाधान स्वयं ढूंढ़ा. एकजुट प्रयास से लगभग 6000 की आबादी वाले इस गांव में आज कोई भी निवासी बेरोज़गार नहीं है. इसके साथ ही किसान अपने खेतों में फसलों का अच्छा उत्पादन कर बेहतर मुनाफ़ा भी कमा रहे हैं.

सिंचाई के लिए ऐसे निकाला जुगाड़

साल 2005 में श्याम सुंदर पालीवाल को गांव के सरपंच के रूप में लोगों ने चुना,  जिसके बाद सभी समस्याओं पर विचार-विमर्श किया गया. इनमें सबसे बड़ी दिक्कत खेतों की सिंचाई ही थी. पिपलांत्री में पानी की समस्या काफी गंभीर थी. पथरीले रास्तों और पहाड़ों पर बसे इस गाँव में सिंचाई के साधन न होने की वजह से किसानों के खेत भी सूख रहे थे, बंजर हो रहे थे. ऐसे में लोगों ने मिलकर बरसात के पानी को इकट्ठा करके कई स्थानों पर एनीकट (anicut structure of irrigation) तैयार किए.  इसके साथ ही लोगों ने कई पेड़ भी लगाए. पानी की समस्या से जूझते हुए पौधारोपण को भी प्राथमिकता दी गयी. ऐसे ही करते हुए गाँव की हालत में सुधार आया और किसानों की समस्या दूर होती नज़र आयी. इकट्ठा किए गए बरसात के पानी से कुछ ही सालों में वहां का जलस्तर ऊपर उठा और लोगों को राहत मिली.

खाली ज़मीन पर लगाए आंवला और एलोवेरा 

आपको गाँव में लगभग 25,000 आंवले के पेड़ मिलेंगे. इसके साथ ही पंचायत की ज़मीन पर सैकड़ों बीघा में एलोवीरा की खेती कराई गयी है. आपको इस गाँव में एलोवीरा प्रोसेसिंग प्लांट (aloevera processing plant) भी मिलेगा. जहां किसान गाँव में अपनी भूमिका निभा रहे हैं, वहीं महिलाएं भी पीछे नहीं हैं. महिला किसान के रूप में वे भी स्वयं सहायता समूह बनाकर काम कर रही हैं. महिलाएं एलोवीरा से जूस और उत्पाद बनाकर अच्छी कमाई कर रही हैं.

गाँव की बेटियों के लिए है कुछ ख़ास...

जहां इस गाँव को संपन्न और स्मार्ट गाँव (smart village) का दर्जा दिया जा रहा है, वहीं इसके पीछे एक और बड़ी वजह है. दरअसल, इस गाँव के हर परिवार की बेटी के नाम पर एक एफ़डी (फ़िक्स डिपॉज़िट) भी रखा गया है. जी हां, यह Fixed Deposit (FD) बेटियों के बेहतर और सुरक्षित भविष्य के लिए है. यहां जब भी लड़की का जन्म होता है, उसके नाम पर FD account  खुलवा दिया जाता है

बेटियों के जन्म पर लगाए जाते हैं 51 पौधे

सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस गाँव में यहां लड़की के जन्म पर उसके घरवाले 51 पौधे लगाते हैं और उसकी देखभाल करते हैं. लड़की की शादी तक जब ये पौधे पेड़ बन जाते हैं तो इन्हीं को बेचकर लड़की की शादी का खर्च भी उठाया जाता है. जन्म के साथ किसी की मृत्यु पर भी उसकी स्मृति में पेड़ लगाने की परंपरा रखी गयी है.

पर्यटकों के लिए बन रहा आकर्षण का केंद्र

यह पिपलांत्री गांव देश के ही लोगों या किसानों को आकर्षित नहीं कर रहा, बल्कि देश के बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन रहा है. 

English Summary: piplantri village of rajsamand district in rajasthan is an inspiration for farmers and agriculture Published on: 16 January 2020, 11:48 AM IST

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