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Sawan Special: सावन से जुड़ीं ऐसी कहानियां जिन्हें जानकार आप भी हो जाएंगे हैरान

सावन की शुरुआत होते ही भगवान शिव के सभी भक्तों की पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. इन सभी तैयारियों के पीछे भगवान शिव से जुड़ी कोई न कोई कथा जरुर होती है. तो आइये जानते हैं कि वे कौन सी पौराणिक कहानियां हैं जिनको आधार मानकर हम भगवान शिव की आराधना में लीन रहते हैं.

प्रबोध अवस्थी
Sawan Special 2023
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सावन की शुरुआत होते ही हम सभी कांवड़ यात्रा से लेकर तरह-तरह की तैयारियां करना शुरू कर देते हैं. भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए यह सावन बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि आखिर क्यों विशेष है यह सावन का त्योहार? तो आइये आज जानते हैं कि इसके पीछे जुड़ी हुई सभी महत्त्वपूर्ण पौराणिक कथाएं.

समुद्र मंथन

एक कथा के अनुसार, देवता और असुरों के बीच समुद्र मंथन (सागर मंथन) का युद्ध हुआ था. इसके दौरान विष की लहरों से देवताओं को बचाने के लिए भगवान शिव ने हलाहल (कड़वा विष) पिया था. यह घटना श्रावण मास के सोमवार को हुई थी. इस कारण से, श्रावण सोमवार को शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व होता है.

सती और शिव का विवाह

एक कथा के अनुसार, महादेव और सती का विवाह भी श्रावण मास के सोमवार को हुआ था. यह विवाह उनकी अनंत सत्यमयी प्रेम की प्रतीकता है. इसलिए, श्रावण सोमवार को शिव-पार्वती के विवाह के दिन के रूप में मान्यता है.

Sawan Special 2023
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राजा दक्ष की यज्ञ

यह कथा महादेव और उनकी पत्नी सती के बीच घटी. एक सोमवार को राजा दक्ष ने ब्रह्मा की यज्ञ में सती को नहीं बुलाया था, जिससे सती ने अपने शरीर को आग में दे दिया. इस घटना के बाद सती का विलोपन हुआ और पार्वती के रूप में वे फिर से जन्मित हुईं. यह कथा महादेव के भक्तों द्वारा श्रावण सोमवार के व्रत में स्मरण की जाती है.

राजा सत्यवान और सावित्री की कहानी

महाभारत के अनुसार, राजा सत्यवान की मृत्यु विवाह के एक वर्ष के बाद निश्चित थी. उनकी समर्पित पत्नी सावित्री ने अपने पति के जीवन को बचाने के लिए प्रत्येक श्रावण सोमवार को कठोर व्रत किया. उसकी अटूट भक्ति और समर्पण से प्रभावित होकर, मृत्यु के देवता भगवान यम, उसके सामने प्रकट हुए. सावित्री ने अपने पति के जीवन की याचना की और भगवान यम ने सत्यवान के जीवन को पुनर्जीवित करते हुए उसकी इच्छा पूरी की.

मार्कंडेय की कहानी

एक युवा लड़के मार्कंडेय की दैवीय श्राप के कारण सोलह वर्ष की आयु में मृत्यु होना निश्चित था. उसने अपने भाग्य को बदलने के लिए दृढ़ संकल्पित मार्कंडेय ने श्रावण सोमवार को व्रत रखा और भगवान शिव की पूजा की. उनकी निश्चित मृत्यु के दिन, जब भगवान यम उनके प्राण लेने आए, तो मार्कंडेय एक शिवलिंग से चिपक गए और प्रार्थना की. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर, भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने भगवान यम के निश्चित दिवस को भी बदल दिया, जिससे मार्कंडेय की जान बच गई.

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द्रौपदी की कहानी

पांडवों की पत्नी द्रौपदी को अपने वनवास के दौरान एक कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़ा. भोजन के अभाव में उसने भगवान कृष्ण से मदद की प्रार्थना की. उन्होंने उसे श्रावण सोमवार को व्रत रखने की सलाह दी. द्रौपदी ने उनके मार्गदर्शन का पालन किया और अत्यंत भक्ति के साथ पूजा की. परिणामस्वरूप एक चमत्कार हुआ, और अक्षय पात्र, एक बर्तन जो असीमित भोजन प्रदान करता था. जिसके बाद उनको कभी भी भोजन की समस्या नहीं हुई.

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राजा हिमवान और देवी पार्वती की कहानी

देवी पार्वती के पिता राजा हिमवान ने भगवान शिव से वरदान मांगने के लिए श्रावण सोमवार का व्रत किया था. उनकी भक्ति और तपस्या से प्रभावित होकर, भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूरी की और उन्हें एक बेटी का आशीर्वाद दिया जो देवी का अवतार थीं. यही पुत्री बाद में भगवान शिव की पत्नी पार्वती के नाम से जानी गईं.

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श्रावण सोमवार के व्रत से जुड़ी कुछ पौराणिक कथाएँ थीं लेकिन इसके साथ ही आज हम आपको इसी लेख में कावड़ यात्रा से जुडी दो पौराणिक कथाओं के बारे में भी बताने जा रहे हैं. कांवड़ यात्रा भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखने वाली यात्राओं में से एक है. यह यात्रा मुख्य रूप से श्रावण मास में होती है और श्रद्धालु भक्त गंगा जल लेकर पवित्र तीर्थस्थलों की यात्रा करते हैं. यहां कुछ प्रमुख कांवड़ यात्रा से जुड़ी कहानियां हैं:

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राजा सागर की कथा

इस कथा के अनुसार, राजा सागर ने अपने 60,000 पुत्रों की एक श्राप के कारण मृत्यु हो गयी थी. जिस कारण उन्होंने कांवड़ यात्रा का आयोजन किया था ताकि वे सभी पुत्रों को मुक्ति मिल सके. परंपरागत कथानुसार, भगवान शिव ने इन्हें आश्वत्थ वृक्ष के नीचे गंगा जल चढ़ाने का आदेश दिया जिस कार्य के बाद उनके सभी पुत्रों को मुक्ति मिल सकी. इसलिए कांवड़ यात्रा में भक्त गंगा जल की प्राप्ति करके श्राद्ध की करते हैं.

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सूर्यवंशी बलवीर की कथा

इस कथा के अनुसार, बलवीर शिव भक्त थे और वे गंगा जल लेकर कांवड़ यात्रा करना चाहते थे. लेकिन एक असुर ने उनको बंधक बना लिया जिसके बाद उन्होंने भगवान शिव की तपस्या की और बंधन से मुक्ति प्राप्त कर कांवड़ यात्रा को पूरा किया.

यही सब प्रमुख कारण हैं जो भगवान् शंकर की भक्ति और आराधना के लिए भक्तों का मनोबल बढ़ाते हैं. भारत में प्रत्येक वर्ष हम इनकी आराधना के लिए सावन माह के शुरू होते ही तैयारियां शुरू कर देते हैं.

English Summary: Sawan Special Such stories related to Sawan that you will be surprised to know Published on: 04 July 2023, 10:58 AM IST

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