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स्विट्जरलैंड में 50 साल पुरानी तकनीक अपनाकर लोग हो रहे फिट, आप भी जानें

दुनियाभर में कोरोना के कहर की वजह से कई दिनों से लॉकडाउन है. मामले कम होने पर कई जगह इसमें ढील मिली है, लेकिन अभी भी लोगों को जिम जाने की अनुमति नहीं है. स्विट्जरलैंड में अभी ऐसी छूट नहीं है और जिम से लेकर बाजार तक बंद हैं. ऐसे में लोग फिटनेस के लिए 50 साल पुरानी व्यायामशालाओं की तरफ लौट रहे हैं. ज्यूरिख में 1968 में ऐसी जगह प्रचलित थी, जहां जाकर कसरत और अन्य शारीरिक गतिविधियां कर सकते थे. लॉकडाउन की वजह से लोग फिर इन जगहों पर पहुंच रहे हैं.

KJ Staff

दुनियाभर में कोरोना के कहर की वजह से कई दिनों से लॉकडाउन है. मामले कम होने पर कई जगह इसमें ढील मिली है, लेकिन अभी भी लोगों को जिम जाने की अनुमति नहीं है. स्विट्जरलैंड में अभी ऐसी छूट नहीं है और जिम से लेकर बाजार तक बंद हैं. ऐसे में लोग फिटनेस के लिए 50 साल पुरानी व्यायामशालाओं की तरफ लौट रहे हैं. ज्यूरिख में 1968 में ऐसी जगह प्रचलित थी, जहां जाकर कसरत और अन्य शारीरिक गतिविधियां कर सकते थे. लॉकडाउन की वजह से लोग फिर इन जगहों पर पहुंच रहे हैं. इन्हीं में से एक हैं 58 साल के फिटनेस ट्रेनर बीट श्लाटर. वे एक रेस्तरां में एक्जीक्यूटिव हैं. वे बताते हैं, 'मैं हफ्ते में 5 दिन फिटनेस ट्रेनिंग करता हूं, लेकिन सब कुछ बंद है. ऐसे में इन पुराने तरीकों को आजमाने का फैसला किया.

विटापार्कोर्स या पार्कोर्स के नाम से जानी जाती है जगह

सिबली हर्लिमान तो कोरोना के पहले से ही यहां हर हफ्ते आती थीं. वे कहती हैं, 'ताजी हवा में व्यायाम करने में मजा आता है. लोग यहां मॉर्निंग वॉक के लिए आते हैं  लेकिन 16 मार्च को लॉकडाउन के बाद से यहां भीड़ बढ़ी है.' 1968 में ज्यूरिख के एक स्पोर्ट्स क्लब ने इसे बनाया था. खिलाड़ी यहीं ट्रेनिंग करते थे. स्विट्जरलैंड में उन जगहों को विटापार्कोर्स या पार्कोर्स कहा जाता है.

जर्मनी तक पहुंचा कॉन्सेप्ट

धीरे-धीरे यह कॉन्सेप्ट पड़ोसी देश जर्मनी में भी पहुंचा. वहां इस तरह के आउटडोर सर्किट को ट्रिम-डीच-पफेड नाम दिया गया, जिसका मतलब है- फिटनेस पाने का रास्ता. इसे एक क्लब ने शुरू किया था, जिसे आज जर्मन स्पोर्ट्स फेडरेशन के नाम से जाना जाता है. 1970 के दशक में इन सर्किट्स पर लाखों यूरोपियन एक्सरसाइज करते थे. कमर्शियल जिम शुरू होने से पहले ये काफी व्यस्त रहा करते थे. अब कोविड-19 ने लोगों को एक बार फिर इनकी तरफ मोड़ दिया है.

शरीर बनेगा लचीला

ये व्यायामशालाएं या विटापार्कोर्स करीब 3 किमी तक फैली हैं, जिनमें आधुनिक जिम जैसे कई उपकरण लगे हैं. इनमें शरीर को ताकत, लचीलापन और गठिला बनाने वाले 15 से ज्यादा स्टॉप हैं. हर स्टॉप पर उपकरण के इस्तेमाल का तरीका और कितनी बार करना है, यह जानकारी दी गई है. सीट-अप, पुल-अप और बेंच प्रेस जैसे कामों के लिए लकड़ी से बने उपकरण लगे हुए हैं. 

English Summary: : People are getting fit by adopting 50 years old technology in Switzerland, you also know Published on: 17 May 2020, 02:57 PM IST

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