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निपाह वायरस से जागरूक रहे, संक्रमण से ऐसे बचें

जैसा कि आप जानते हैं कि बीते दिनों से निपाह वायरस को लेकर कई मामले सामने आ रहे है और यह जानवरों से इंसानों में फैलता है. इस लेख में जानें इस वायरस से जुड़ी पूरी जानकारी...

KJ Staff
Be aware of Nipah virus and avoid infection
Be aware of Nipah virus and avoid infection

निपाह वायरस एक जोनोटिक वायरस है, यानी कि जानवरों के जरिए इंसानों में फैलता है. इस वायरस से संक्रमित मामलों में मृत्यु दर 40 से 75% के बीच रहती है. निपाह वायरस के लक्षण मानव में चार से 14 दिनों के अंदर दिखाई पड़ जाते हैं.

रोग के क्या है लक्षण

दिमाग में सूजन आने से फेलाइटिस जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है. इसके लक्षणों में बुखार, खांसी और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं हो सकती है. इसके अलावा ज्यादा उल्टी होना भी एक लक्षण है.. इसके गंभीर लक्षणों में पेट में दर्द होना, डर, गैसट्रिक और कोमा में चले जाना आदि शामिल है.

आखिर कितना है खतरनाक

निपाह वायरस कम संक्रामक लेकिन ज्यादा घातक माना जाता है. इसकी मृत्यु दर ज्यादा होती है मरीज गंभीर होने पर 24 से 48 घंटे में मृत्यु हो सकती है. यदि निपाह वायरस से संक्रमित मरीज की मौत होने से उसके परिजन भी संक्रमित हो सकते हैं. ऐसे में अंतिम संस्कार के वक्त सावधानी की आवश्यकता होती है.

पहली बार कहां मिला निपाह वायरस

वर्ष 1998 और 99 में इसे पहली बार मलेशिया में पाया गया. यहां पर घरेलू सुअरों में वायरस के संक्रमण पाए गए थे. इसी कारण इस वायरस का नाम निपाह रखा गया. यह कुत्तों, बिल्लियों, बकरियां सहित घरेलू जानवरों में पाया जाता है.

भारत में कब आया यह वायरस

भारत में सबसे पहले 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में वायरस पाया गया था. उसके बाद 2007 के नदिया जिले में यह वायरस आया. इसके बाद वर्ष 2018 में केरल के कोझिकोड और मलप्पुरम जिले में तेजी से फैलता गया. साल 2018 में इस वायरस से लगभग 17 लोगों ने जान गवांई थी. हालांकि तब कल 23 मामलों की पहचान की गई थी. वर्ष 2023 में फिर से निपाह वायरस के कारण केरल के कोझिकोड जिले में दो लोगों की मृत्यु हो गई है. साथ ही 9 साल के एक बच्चे सहित दो और लोग संक्रमित पाए गए हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री सांसद मांडवीया ने इसकी पुष्टि करते हुए राज्य सरकार को सतर्क कर दिया है. साथ ही यह बताया कि इस वायरस से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह अभी उत्तर प्रदेश तथा अन्य प्रदेशों तक नहीं पहुंचा है. इससे केवल सावधान और जागरूक रहकर समय-समय पर उपचार कर के बचा जा सकता है.

कहां से फैलता है

यह रोग पटरोपस जींस के फुटप्रिंट या फ्लाइंग फॉक्स से फैलता है. जो निपाह और हेड़ा वायरस के प्राकृतिक स्रोत हैं. यह वायरस चमगादड़ के मूत्र, मल, लार, वह जन्म के समय तरल पदार्थ में मौजूद रहता है.

कैसे बचें निपाह वायरस से

मनुष्य और जानवरों दोनों के लिए इस वायरस को लेकर कोई दवा या टीका नहीं है. संगठन का सुझाव है कि खाने से पहले फलों को अच्छी तरह से धो लें. मास्क लगाकर रखें. संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद सावधानियां बरतें. सर्दी, जुकाम के लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से सलाह लें.

यह भी देखें- भोजन का मानसिक स्वास्थ्य से क्या है जुड़ाव

इस वायरस से डरने की जरूरत नहीं है. खाने से पहले सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह से पानी से धोएं और हाथों को भी समय-समय पर सैनेटाइज करते रहें. इससे आप इस बीमारी से बचे रहेंगे आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टर की सलाह अवश्य लें.

डॉ दिव्यांशु सेंगर

मेडिकल ऑफिसर प्यारेलाल हॉस्पिटल मेरठ

English Summary: Be aware of Nipah virus and avoid infection Published on: 18 September 2023, 06:30 PM IST

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