
उत्तर प्रदेश सरकार ने कृषि भूमि पट्टा नियमों में बदलाव करने का फैसला लिया है. पहले की व्यवस्था में कई ऐसे लोग भी लाभ ले रहे थे जिनके पास पहले से जमीन थी. इस कारण असली हकदार यानी भूमिहीन किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा था. नई नीति लागू होने के बाद अब भूमिहीन और बहुत कम जमीन वाले किसानों को ही पट्टा मिलेगा. इससे खेती करने वाले छोटे किसानों को राहत मिलेगी और उनकी जिंदगी आसान होगी.
सरकार का कहना है कि यह कदम जमीन का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करेगा और गरीब किसानों की मदद करेगा. नए नियम से अपात्र लोगों को बाहर कर असली जरूरतमंदों को सीधा लाभ मिलेगा.
नया नियम क्या कहता है?
नई व्यवस्था के अनुसार, जिन व्यक्तियों के पास पहले से एक एकड़ या उससे अधिक कृषि भूमि होगी, उन्हें अब पट्टा नहीं दिया जाएगा. अब केवल वे किसान पात्र होंगे जिनके पास जमीन बिल्कुल नहीं है या बहुत कम है. इस प्रावधान का मकसद भूमिहीन परिवारों को प्राथमिकता देना है ताकि वे भी कृषि कार्य से जुड़ सकें और आत्मनिर्भर बन सकें.
पुराने नियमों में क्या था प्रावधान?
पहले के नियमों के अनुसार, जिनके पास 3.113 एकड़ तक जमीन थी, उन्हें भी पट्टा मिल जाता था. इस वजह से बड़ी संख्या में भूमिहीन किसान वंचित रह जाते थे. पट्टे की भूमि का सही उपयोग नहीं हो पाता था और कई बार इसका दुरुपयोग भी देखा गया. यही कारण है कि सरकार ने नियमों में बदलाव कर सख्ती करने का निर्णय लिया है.
बदलाव की ज़रूरत क्यों पड़ी?
उत्तर प्रदेश की बड़ी आबादी खेती पर निर्भर है, लेकिन कई किसान ऐसे हैं जिनके पास अपनी जमीन नहीं है. वे दूसरों के खेतों में मजदूरी करने को मजबूर रहते हैं. सरकार का मानना है कि भूमि पट्टा प्रणाली का उद्देश्य भूमिहीन किसानों को खेती करने का अवसर देना है, लेकिन पुराने नियम इस मकसद को पूरा नहीं कर पा रहे थे. इसलिए अब नए नियम के तहत जमीन का उपयोग उन्हीं किसानों तक सीमित किया जाएगा जिन्हें वास्तव में जरूरत है.
नया पट्टा होगा असंक्रमणीय
योगी सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि नया पट्टा असंक्रमणीय होगा. इसका मतलब है कि पट्टा मिलने के बाद किसान उस भूमि को न तो बेच सकेगा और न ही किसी अन्य के नाम कर सकेगा. यह व्यवस्था इसलिए की जा रही है ताकि जमीन का दुरुपयोग और बिचौलियों की गड़बड़ी रोकी जा सके. हालांकि, पट्टा मिलने के पांच साल बाद पट्टाधारक को संक्रमणीय भूमिधर अधिकार दिए जाएंगे. उसके बाद वह भूमि को बेचने या स्थानांतरित करने का हकदार होगा.
संभावित असर और लाभ
इस नए बदलाव से सबसे ज्यादा फायदा भूमिहीन किसानों को मिलेगा. अब उन्हें कृषि भूमि उपलब्ध हो सकेगी और वे आत्मनिर्भर बन पाएंगे. इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और जीवन स्तर सुधरेगा. साथ ही, जमीन का सही इस्तेमाल होगा क्योंकि इसका उपयोग केवल कृषि और ग्रामीण विकास के लिए किया जा सकेगा. सरकार को उम्मीद है कि इससे बिचौलियों और गलत लोगों की पकड़ कमजोर होगी.
ग्रामीण विकास की दिशा में कदम
कृषि भूमि पट्टा प्रणाली में सुधार केवल किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे ग्रामीण समाज के लिए लाभकारी होगा. भूमिहीन किसान खेती कर पाएंगे तो गांवों में रोजगार बढ़ेगा, गरीबी घटेगी और सामाजिक संतुलन मजबूत होगा. सरकार का कहना है कि यह निर्णय न केवल कृषि उत्पादन को बढ़ाएगा बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति देगा.
सरकार की मंशा
योगी सरकार लंबे समय से किसानों के हित में कई योजनाएं चला रही है. इस बदलाव को भी उसी श्रृंखला का हिस्सा माना जा रहा है. सरकार का उद्देश्य है कि सीमित संसाधनों का न्यायसंगत बंटवारा हो और हर किसान तक खेती का अवसर पहुंचे.
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