किसानों के बीच उर्वरक के उपयोग को लेकर जागरूकता पर आयोजित सम्मेलन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उर्वरकों के संतुलित और मिट्टी के हिसाब से उपयोग से सभी खरीफ और रबी फसलों की उत्पादकता और उत्पादन उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उर्वरकों के संतुलित उपयोग से किसानों की आय भी बढ़ेगी।मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार गांवों, गरीब और किसानों के विकास पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हम मृदा स्वास्थ्य पर भी ध्यान दे रहे हैं और 8 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को वितरित किये जा चुके हैं।’’ तोमर ने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि की हिस्सेदारी फिलहाल 14 प्रतिशत है, यह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने यहां सम्मेलन में किसानों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘क्या हम कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाकर जीडीपी का 50 प्रतिशत कर सकते हैं?
मंत्री ने किसानों से कहा कि उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से खेत बर्बाद हो जाएंगे। उन्होंने मृदा स्वास्थ्य में सुधार के लिये और सूक्ष्म पोषक तत्वों के उपयोग की जरूरत पर बल दिया। तोमर ने कहा कि केंद्र ने फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य उत्पादन लागत का कम-से-कम 1.5 गुना तय किया है और पीएम किसान योजना (पीएम किसान सम्मान निधि योजना) के तहत 14 करोड़ किसानों को 6,000 रुपये सालाना दे रहा है। उन्होंने कहा कि करीब 8 करोड़ किसान इस योजना से लाभान्वित हो चुके है। कुल 87,000 करोड़ रुपये हस्तांतरित किये गये है। राशि सीधे किसानों के खाते में हस्तांतरित की जा रही है और कोई भ्रष्टाचार नहीं है। बाद में अलग से बातचीत में तोमर ने किसानों से फसल अवशेष नहीं जलाने का आग्रह किया क्योंकि इससे मृदा के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और वायु प्रदूषण भी होता है। उन्होंने किसानों से फसल अवशेष जलाने के बजाए इसके निपटान से जुड़ी सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने को कहा। कार्यक्रम में केंद्र रसायन एवं उर्वरक मंत्री डी वी सदानदं गौड़ा ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने रेखांकित किया कि केंद्र विभिन्न उर्वरकों पर सब्सिडी उपलब्ध करा रही है।
मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी मौजूदा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की जरूरत है। उन्होंने मृदा स्वास्थ्य के संरक्षण के साथ फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिये उर्वरकों के संतुलित उपयोग पर भी जोर दिया।
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