जब देश पर कोरोना महामारी और लॉकडाउन (Corona Epidemic and Lockdown) का संकट छाया था, तब किसान, मजदूर और आम आदमी के जीवन में काफी बदलाव आए. जहां एक तरफ इस दौरान में कई लोग अपने परिवार से दूर फंसे हुए थे, तो वहीं दूसरी तरफ परिवारों की आर्थिक स्थितिसही नहीं थी. यही हाल बाल संरक्षण गृहों (Child protection homes) में रहने वाले बच्चों का भी था. इस दौरान बाल संरक्षण गृहों (Child protection homes) में रहने वाले बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित हुई है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक बड़ा फैसला लिया है, ताकि बाल संरक्षण गृहों (Child protection homes) में रहने वाले बच्चों की पढ़ाई अधिक प्रभावित न हो.
इससे कई किसान, मजदूर और आम आदमी (Farmers, laborers and common people) को एक बड़ी राहत मिलेगी. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि राज्य सरकार बच्चों की पढ़ाई के लिए किताबें, स्टेशनरी समेत जरूरी संसाधन मुहैया कराएं.
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिया आदेश?(Why did the Supreme Court order?)
सुप्रीम कोर्ट का कहना कि कोरोना महामारी की वजह से कई बच्चों को बाल संरक्षण गृहों से वापस घर भेजा गया है. मगर कई परिवारों की आर्थिक स्थिति सही नहीं है, ऐसे में राज्य सरकार जिला बाल संरक्षण समिति की संस्तुति पर बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाएं.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया आदेश?(What did the Supreme Court order?)
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि राज्य सरकार बाल संरक्षण गृहों (Child protection homes) में रहने वाले बच्चों की पढ़ाई के लिए हर माह 2000 रुपए देगी. इस राशि को सिर्फ बच्चे की पढ़ाई पर खर्च किया जाएगा.
22 से 24 बच्चों पर एक शिक्षक की नियुक्ति (Appointment of a teacher on 22 to 24 children)
इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा है कि राज्य सरकरें 22 से 24 बच्चों पर सिर्फ एक शिक्षक की नियुक्ति कर सकती हैं, तो वहीं बच्चों की छूटी पढ़ाई पूरी कराने के लिए अलग से क्लासेज कराई जाएं. बता दें जब कोरोना महामारी की शुरुआत हुई, तब लगभग 2,27,518 बच्चे बाल संरक्षण गृहों में रह रहे थे. इसमें से लगभग 1,45,788 बच्चों को परिवारों या संरक्षकों के पास वापस भेज दिया गया था.
जिला बाल संरक्षण समिति करेगी निगरानी (District Child Protection Committee will monitor)
सुप्रीम कोर्ट ने जिला बाल संरक्षण समिति (District Child Protection Committee) को निगरानी करने का आदेश दिया है, जो बाल संरक्षण गृहों और वहां से वापस परिवार के पास भेजे गए बच्चों की पढ़ाई की जरूरतों का ध्यान रखेंगे.
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