 
            देश के किसानों को आधुनिक खेती और ज्यादा मुनाफ़े के लिए तमाम तकनीकों से जोड़ा जा रहा है. इसी कड़ी में पहली बार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर बिहार किसानों के लिए एक अहम पहल की जा रही है.
दरअसल, बिहार के कैमूर के मोहनियां और बक्सर के इटाढ़ी में सार्वजनिक-निजी भागीदारी पद्घति (पीपीपी मोड) में 1 लाख टन क्षमता के साइलोज यानी स्टील के बड़े भंडारण टैंक की स्थापना होगी. इस प्रोजेक्ट में लगभग 65.28 करोड़ रुपए की लागत लगेगी. यह जानकारी खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल द्वारा दी गई है.
चूहे और कीड़ों से होगा गेहूं का बचाव
किसान जूट के बोरे में अनाज को भर देते हैं, जिससे गोदामों में रखें बोरे को चूहे और कीड़ों आदि से नुकसान पहुंचता है और अनाज की बर्बादी होती है. मगर इसके लिए साइलोज भंडारण एकदम सुरक्षित है. उन्होंने बताया कि इसी तरह थाईलैंड, फिलीपिन्स और बंग्लादेश आदि में चावल का भंडारण किया जाता है.
50 हजार टन क्षमता के साइलोज
देश में पहली बार भंडारण में खाद्यान्नों की बर्बादी को रोकने के लिए साइलोज का निर्माण किया जा रहा है. हर जगह पर लगभग 50 हजार टन क्षमता के साइलोज का निर्माण किया जा रहा है. इसमें गेहूं के लिए 37,500 टन क्षमता शामिल है, तो वहीं चावल के लिए 12,500 टन क्षमता होगी. इसके साथ ही देश में पहली बार गेहूं के भंडारण के लिए साइलोज का इस्तेमाल हो रहा है. मगर चावल के लिए पहली बार कैमूर और बक्सर में साइलोज का निर्माण किया जा रहा है. अगर यह प्रयोग सफल हुआ, तो देशभर में लगभग 15.10 लाख टन क्षमता के साइलोज का निर्माण कराया जाएगा.
निर्माण कार्य है जारी
आपको बता दें कि इस प्रोजेक्ट के तहत सिविल निर्माण कार्य चल रहा है. इस साइलोज की अनुमानित लागत 65.28 करोड़ रुपए है.
 
                 
                     
                     
                     
                     
                                                 
                                                 
                         
                         
                         
                         
                         
                    
                
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