कई जड़ी-बूटियां हैं जो आज लुप्त होने की कगार पर हैं या कुछ हो चुकी हैं. केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद अब हिमाचल प्रदेश में ऐसी ही 70 लुप्त हो रही जड़ी-बूटियों की खेती होगी. हालांकि सरकार ने इन लुप्त हो रही जड़ी-बूटियों के अलावा अन्य 130 किस्मों की खेती की और मंजूरी दी है.
हाल ही में कोरोनाकाल के बाद बढ़ती जड़ी-बूटियों की मांग के बाद सरकार ने इसका सर्वेक्षण कराया था.
इनमें कुछ लुप्त हो रही प्रजातियों के अलावा कुछ नई प्रजातियां भी शामिल है. राज्यभर में इन्हें उगाने के लिए केंद्र सरकार बीज के अलावा खर्च का 50 प्रतिशत वहन करेगी.
इन जिलों में होगी खेती
केंद्र सरकार यह बीज मेडिसिनल प्लांट बोर्ड द्वारा उपलब्ध कराएगी. इसके लिए पंचायत स्तर पर किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. इन जड़ी-बूटियों को किसानों से सीधे कंपनियां खरीद सकेगी.
केंद्र सरकार ने इसके लिए आयुर्वेदिक औषधीय निर्माता संघ के साथ करार किया है. हिमाचल के चंबा, कुल्लू, मंडी, कांगड़ा, शिमला और किन्नौर जिले में यह खेती होगी. एक से दो हेक्टयेर में 10 से 50 हज़ार पौधे लगाए जाएंगे. हिमाचल के अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में भी इसकी खेती होगी.
अच्छी क्वालिटी की बीज
केंद्र सरकार ने अपने आदेश में कहा कि किसानों की अच्छी क़्वालिटी का बीज उपलब्ध कराया जाए. जिसकी जिम्मेदारी केंद्रीय अनुसंधान परिषद (ICMR), कृषि विश्वविद्यालय और अनुसंधान केंद्रों पर होगी. हिमाचल प्रदेश में शुरुआत 70 लुप्त हो रही किस्मों और बाद में अन्य 22 किस्मों की खेती होगी. इसके लिए इन्हें खरीदने वाली कंपनियों के साथ करार हो गया है.
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