देश में प्राकृतिक खेती (Natural Farming) को आगे बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा प्रयास जारी है, जिससे किसानों की आय में इजाफा होने के साथ- साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार भी हो रहा है.
ऐसे में आज हम अपने इस लेख में चर्चा केंद्र सरकार की एक अहम पहल की चर्चा करने वाले हैं. दरअसल, प्रकृति खेती को बढ़ावा देने के लिए एक नई पहल की गई है, जो किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक साबित हो सकती है.
बता दें कि नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) ने हाल ही में पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा देने के लिए जीवा कार्यक्रम (Jiva Karyakram) का आयोजन किया है. जो कि नाबार्ड द्वारा चल रहे वाटरशेड (वाटरशेड) और वाडी (आदिवासी विकास परियोजनाओं) कार्यक्रमों के तहत 11 राज्यों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगा.
इस कार्यक्रम का आयोजन नाबार्ड के अध्यक्ष जीआर चिंताला (GR Chintala) द्वारा ऑनलाइन माध्यम से किया गया है. इस कार्यक्रम के लौन्चिंग के दौरान उन्होंने कहा कि देश की जीवा जल विभाजक कार्यक्रम कई परियोजनाओं की परिणति है. इसमें पांच भौगोलिक क्षेत्र शामिल हैं. ये क्षेत्र पर्यावरण की दृष्टि से नाजुक और वर्षा सिंचित क्षेत्र हैं. उन्होंने आगे कहा कि जीवा का उद्देश्य स्थायी आधार पर पर्यावरण के अनुकूल कृषि के सिद्धांतों को सुनिश्चित करना है. इसके अलावा किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित करना है.
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राष्ट्रीय और बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ करेगा गठजोड़ (Will Tie Up With National And Multilateral Agencies)
नाबार्ड जीवा के लिए राष्ट्रीय और बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ गठजोड़ करेगा. चिंताला ने कहा कि नाबार्ड ऑस्ट्रेलिया स्थित कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (CSIRO) के साथ साधारण मिट्टी के पानी की निगरानी करेगा. इसके साथ ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के साथ अनुसंधान सहायता के साथ प्राकृतिक कृषि गतिविधियों के वैज्ञानिक सत्यापन के लिए सहयोग करेगा.
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