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बुंदेलखंड की अदरक को मिलेगा जीआई टैग, जानें इसके पीछे की वजह

देशभर में कई चीजों को जीआई टैग दिया गया है और कुछ चीजों के लिए आवेदन किया गया है. इन्हीं में से एक अदरक भी है. इस खबर में जानें बुंदेलखंड के अदरक की खासियत को कि आखिर उसे क्यों जीआई टैग मिलेगा.

लोकेश निरवाल
Ginger of Bundelkhand will get GI tag
Ginger of Bundelkhand will get GI tag

अदरक हर एक घर में इस्तेमाल होने वाली सामग्री है, जिसके प्रयोग से खाने का स्वाद व चाय का स्वाद बढ़ता है. देखा जाए तो भारत में अदरक का सबसे अधिक उपयोग चाय में किया जाता है. लोगों को अदरक की चाय बेहद पसंद होती है. इसकी इतनी अधिक लोकप्रियता को देखते हुए देश के कुछ राज्यों ने अदरक को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए आवेदन किया है.

दरअसल, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में बरुआसागर का अदरक को जीआई टैग (Geographical Indication Tagging) दिलाने पर अधिक जोर दिया जा रहा है. बता दें कि सिद्धार्थनगर में काला नमक, धान, कौशांबी के अमरूद और मलिहाबाद के आम को पहले से ही GI टैग में शामिल किया गया है.

उत्तर प्रदेश के अदरक की खासियत

उत्तर प्रदेश के उद्यान विभाग का कहना है कि बुंदेलखंड में बरुआसागर का अदरक को जीआई टैग इसलिए दिया गया है क्योंकि बरुआसागर की लाल मिट्टी में उपजाई जाने वाली हल्दी और अदरक अच्छी मात्रा में उत्पादन व बढ़िया अदरक उगती है. मिली जानकारी के मुताबिक, इस शहर की अदरक की मांग देश-विदेश के बाजार में भी हमेशा बनी रहती है. इसकी इतनी अधिक मांग को देखते हुए जीआई टैग दिलाने के लिए आवेदन किया हुआ है. बताया जा रहा है कि नाबार्ड की ओर से एक प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है.

यह भी बताया जा रहा है कि बांदा जिले की मिट्टी में देसी अरहर, महोबा में पान और झांसी जिले में खट्टे फलों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इसके अलावा बरुआसागर के इलाकों में कंकरीली लाल मिट्टी अदरक, हल्दी और अरबी सहित अन्य सब्जियों की खेती किसानों के द्वारा अधिक मात्रा में की जाती है.

यह के अदरक में अधिक मात्रा में स्वाद होने का पीछे का मुख्य कारण यह भी है कि यहां के ज्यादातर किसान भाई अपनी फसलों में रासायनिक खादों का उपयोग करते हैं. देखा जाए तो यहां की अधिकतर खेती जैविक होती है.

उत्तर प्रदेश में किन-किन चीजों को मिला है जीआई टैग

उत्तर प्रदेश में कई सारी चीजों को जीआई टैग (GI Tag) में शामिल किया गया है. जैसे कि- मऊ के बैंगन, बुंदेलखंड की देसी अरहर दाल और बलिया के बोरो धान के अलावा मऊ जिले के गोठा कस्बे का गुड़,  सफेद कद्दू से बना आगरा का पेठा,  मथुरा का पेड़ा,  कालपी की गुजिया, संडीला का लड्डू, सहारनपुर की वुड क्राफ्ट,  मुरादाबाद के बर्तन, अलीगढ़ के ताले और खुर्जा का खुरचन जैसे खास उत्पाद इस फेहरिस्त में शामिल हैं.

मिली जानकारी के मुताबिक, राज्य में कुछ ऐसी भी सामग्री मौजूद हैं, जिन्होंने जीआई टैग के लिए आवेदन की प्रक्रिया को पूरा कर लिया है. लेकिन अभी तक उन्हें पूरी तरह से अपनी पहचान नहीं मिली है. जिनके नाम कुछ इस प्रकार से हैं. बाराबंकी एवं रामपुर का मेंथा,  फर्रुखाबाद का फुलवा आलू, सोनभद्र की चिरौंजी, कानपुर का लाल ज्वार, मीरजापुर का ज्वार एवं देशी बाजरा गोरखपुर का पनियाला,  मेरठ की गजक,  हाथरस का गुलाबजल और गुलकंद, एटा का चिकोरी एवं फतेहपुर का मालवा पेड़ा आदि.

English Summary: Ginger of Bundelkhand will get GI tag Published on: 07 September 2023, 04:50 PM IST

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