मुख्य रूप से कम आयात रेट (Import Rate) की वजह से पिछले एक महीने में खाद्य तेल की कीमतों (Edible oil prices) में 8-10 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है. साथ ही आने वाले महीनों की तरफ देखें तो तिलहन के उच्च घरेलू उत्पादन और वैश्विक बाजारों (High domestic production of oilseeds and global markets) में मंदी की प्रवृत्ति के कारण 3-4 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आ सकती है.
बड़े समय के बाद मिली राहत (Relief after a long time)
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी (AtulChaturvedi, President, Solvent Extractors Association of India) ने एक बयान में कहा, "पिछले कुछ महीने भारतीय खाद्य तेल (Indian edible oil) उपभोक्ता के लिए बड़े पैमाने पर पाम, सोया और सूरजमुखी (Palm, Soy and Sunflower) जैसे सभी तेलों की बहुत अधिक अंतरराष्ट्रीय कीमतों के कारण कष्टदायक रहा है.
उन्होंने कहा कि SEA ने दिवाली से पहले अपने सदस्यों को कीमतों को यथासंभव कम करने की सलाह दी थी, उन्होंने कहा कि केंद्र ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क भी कम कर दिया है.
चतुर्वेदी ने कहा, "हमें इस बात की पुष्टि करते हुए खुशी हो रही है कि पिछले 30 दिनों में खाद्य तेल की कीमतों में लगभग 8-10 रुपये प्रति किलोग्राम की कमी आई है."
नियंत्रण में रहेगी खाद्य तेल की कीमतें (Edible oil prices will remain under control)
SEA ने कहा कि उसके सदस्य उपभोक्ताओं को कम कीमतों का लाभ देने के लिए अतीत में तुरंत प्रतिक्रिया देते रहे हैं. वहीं, कम आयात समानता की संभावना के साथ SEA ने उपभोक्ताओं को मौसम की बधाई के रूप में कम लागत को पारित करने के लिए सहमति व्यक्त की है.
लगभग 120 लाख टन सोयाबीन की बड़ी फसल और 80 लाख टन से अधिक मूंगफली की फसल के साथ खाद्य तेल की कीमतें अब नियंत्रण में रहेंगी.
उच्च सरसों की कीमतों (Mustard prices) ने किसानों से बड़े पैमाने पर आपूर्ति पक्ष प्रतिक्रिया प्राप्त की है और उन्होंने लगभग 77.62 लाख हेक्टेयर में सरसों की अब तक की उच्च फसल लगाई है.
यह आंकड़ा लगभग 30 प्रतिशत अधिक है और है आने वाले वर्ष में घरेलू सरसों तेल की उपलब्धता 8 से 10 लाख टन तक बढ़ाने की संभावना है.
खाद तेल में जारी रहेगी गिरावट (Fertilizer oil will continue to fall)
चतुर्वेदी ने कहा कि खाद्य तेल की कीमतों का वैश्विक रुख "अपेक्षाकृत मंदी वाला है और हमें लगता है कि कीमतों में गिरावट जारी रहेगी."
SEA के अनुसार, भारत की खाद्य तेलों के आयात (Import of edible oils) पर निर्भरता लगभग 22-22.5 मिलियन टन की कुल खपत का लगभग 65 प्रतिशत है. देश मांग और घरेलू आपूर्ति के बीच की खाई को पाटने के लिए 13-15 मिलियन टन का आयात करता है.
लगा था झटका (Felt a blow)
"2019-20 में आयात लगभग 71,600 करोड़ रुपये मूल्य के 13.2 मिलियन टन तक गिर गया था.2020-21 में, भारत ने समान मात्रा में आयात किया, लेकिन आयात बिल 63 प्रतिशत उछल गया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ोतरी के कारण 1.17 लाख करोड़ रुपये के खतरनाक स्तर को छू गया था.
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