उत्तर प्रदेश की सरकार ने अपने किसानों के लिए एक खास पहल की है. राज्य सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री हेल्पलाइन की सुविधा दी जा रही है. इसके तहत राज्य के लगभग 10 लाख से अधिक किसानों को फोन किया जाएगा. किसानों से पूछा जाएगा कि उन्हें धान का भुगतान निर्धारित समय-सीमा के अंदर हुआ या नहीं. इसके साथ ही क्रय केंद्रों के बारे में फीडबैक भी लिया जाएगा. अगर किसान किसी तरह की शिकायत करते हैं, तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद भी सुनिश्चित होगी. इस हेल्पलाइन योजना पर प्रश्नावली तैयार करना का काम शुरू कर दिया है.
मुख्यमंत्री हेल्पलाइन ने कोरोना संक्रमितों, प्रवासी मजदूरों और निगरानी समितियों के मामले में उल्लेखनीय कार्य किया है। एक ही रोगी को अलग-अलग दिनों में कम से कम चार बार फोन करके उन्हें मिल रही सुविधाओं के बारे में फीडबैक लिया है. इस तरह सीएम की टीम-11 को कार्य करने और योजना बनाने में काफी आसानी हुई.
किसानों को बिना किसी बाधा के धान का उचित मूल्य दिलवाया जाएगा. मुख्यमंत्री हेल्पलाइन को सीधे क्रय केंद्रों के ऑनलाइन डाटा से जोड़ा गया है. ऐसे में किसानों से धान बेचने के 3 दिन बाद फोन करके पूछा जाएगा कि उनके खातों में राशि पहुंची या नहीं?
पूछे जा सकते हैं ये सावल
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केंद्र पर मूल्य में कोई कटौती तो नहीं की गई?
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हैंडलिंग या अन्य कोई चार्ज तो नहीं लिया गया?
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क्रय केंद्र के खुलने के समय संबंधी कोई समस्या तो नहीं हुई?
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वहां जाने पर असुविधा तो नहीं हुई?
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क्रय केंद्रों पर कर्मचारियों के व्यवहार, पानी और सैनिटाइजर की व्यवस्था की जानकारी ली जाएगी.
इतना ही नहीं, पिछले साल जिन किसानों ने सरकारी क्रय केंद्रों पर आकर धान बेचा था, उन्हें इस साल धान बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. इन किसानों से भी मुख्यमंत्री हेल्पलाइन सावल पूछेगी कि क्या पिछले साल आपने सरकारी क्रय केंद्र पर धान बेचा था? इस बार आपकी धान की पैदावार कैसी हुई है? क्या इसे सरकारी केंद्र पर ही बेचना चाहेंगे? पिछले साल धान बेचने में कोई असुविधा तो नहीं हुई?
इसके अलावा किसानों को धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य की जानकारी दी जाएगी. बताया जाएगा कि धान बेचने से पहले उसे सुखा लें, ताकि निर्धारित मानक से ज्यादा नमी न रहे. इसके साथ ही धान की सफाई करके ही केंद्र पर लाएं.
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