देशभर में पशुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, तो वहीं चारागाह में कमी आती जा रही है. इस कारण पशुपालक अपने पशुओं को खुला छोड़ देते हैं. यहां तक की जो दुधारू पशु होते हैं, उन्हें भी खुला छोड़ दिया जाता है. कई बार आवारा पशु किसानों की फसलों को भारी नुकसान तक पहुंचा देते हैं. ऐसे में किसान इस समस्या से छुटकारा पाना चाहता हैं. इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार एक अहम योजना की शुरुआत की है. बता दें कि राज्य सरकार फसलों और पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए 19 जून से रोका-छेका संकल्प अभियान चला रही है, जो कि 30 जून तक जारी रहेगा. .
क्या है रोका-छेका योजना
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रोका-छेका योजना की शुरूआत की है. इस योजना के तहत गांवों में खरीफ फसलों की मवेशियों से सुरक्षा हो पाएगी, साथ ही खुले में घूमने वाले पशुओं पर रोकथाम लगाई जाएगी. रोका-छेका छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा है. इसके जरिए संकल्प लिया जाता है कि खरीफ फसलों की खेती के दौरान सभी लोग अपने मवेशियों को बाड़े और गौठान में ही रखेंगे. बता दें कि राज्य सरकार द्वारा लगातार किसानों को दलहनी-तिलहनी, सब्जी, फल की खेती समेत फसल उत्पादकता के लए प्रोत्साहित कर रही है. अगर राज्य में बारहमासी खेती को बढ़ावा देना है, तो पशुओं से फसलों की सुरक्षित रखना बहुत ज़रूरी है. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रोका-छेका योजना चलाई जा रही है, जिसमें ग्रामीणों का पूरा सहयोग मिलेगा. इस योजना की जानकारी ग्रामीणों तक पहुंचाने के लिए खास कार्यक्रम संचालित किए गए हैं.
ये खबर भी पढ़ें: पीएम किसान योजना की किश्त लेने के लिए 16 हजार किसानों ने भर दिए फर्जी आधार नंबर, क्या जिस खाते से होगा लिंक उसमें जाएगी राशि?
रोका-छेका के दौरान बनाए जाएंगे किसान क्रेडिट कार्ड
आपको बता दें कि गांवों में रोका-छेका अभियान के दौरान स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित सामग्री का वितरण होगा. इसके लिए गौठानों में पशुचिकित्सा और पशुस्वास्थ्य शिविर का आयोजन होगा. इसके साथ ही पशुपालन और मछलीपालन के लिए किसान क्रेडिट कार्ड बनाने की सुविधा भी उपलब्ध कराई जएगी. खास बात है कि इस योजना के जरिए कृषि, पशुपालन, मछलीपालन की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल पाएगा.
नगरीय निकायों में व्यवस्था
राज्य को आवारा पशुओं से मुक्त रखने के लिए रोका-छेका अभियान 19 जून से 30 जून तक चलाया जाएगा. इसके तहत पहले से निर्मित नगरीय निकायों में निर्मित गोठान और गोठानों की मदद ली जाएगा. यहां आवारा पशुओं को आसरा दिया जाएगा, साथ ही चारे की समुचित व्यवस्था रखी जाएगी. बता दें कि मवेशी निकाय की सड़कों, सार्वजनिक स्थलों पर घूमते नजर न आएं, इसलिए उन्हें कैचर द्वारा गौठान भेजने की व्यवस्था की गई है.
ये खबर भी पढ़ें: Pension Scheme: इन 3 योजना में 55 से 200 रुपए निवेश करके मिलेगी बुढ़ापे में पेंशन, बस इन शर्तों को करना होगा पूरा
पालतू पशुओं के घूमने पर पशु मालिक पर होगी कार्यवाही
अगर इस दौरान पालतू पशुओं को घूमता हुआ पाया गया, तो पशु मालिक को शुल्क या जुर्माने का भुगतान करना होगा. इसके बाद ही पशुपालक को पशु सौंपा जाएगा. खास बात है कि अगर कोई मवेशी 30 जून के बाद निकाय क्षेत्र में खुला घूमता हुआ पाया गया, चो तो संबंधित नगरीय निकाय के आयुक्त, मुख्य नगरपालिका अधिकारी पर कार्यवाही हो सकती है.
ये खबर भी पढ़ें: New business ideas: इन 5 नए बिजनेस से मिलेगा लॉकडाउन के बाद सबसे ज्यादा मुनाफ़ा, विदेशी कंपनियां भी कर चुकी हैं शुरुआत
Share your comments