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बिरसा कृषि विद्यालय का चावल दूर करेगा एनेमिया-डायरिया

खून की कमी और डायरिया जैसी बीमारी से मुक्ति के लिए रांची में बिरसा कृषि विद्यालय (बीएयू) के कृषि वैज्ञानिक धान की एक ऐसी किस्म विकसित करने के करीब हैं जो आयरन और जिंक से भरपूर होगा. इसे लेकर बीएयू के कृषि वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं!

खून की कमी और डायरिया जैसी बीमारी से मुक्ति के लिए रांची में बिरसा कृषि विद्यालय (बीएयू) के कृषि वैज्ञानिक धान की एक ऐसी किस्म विकसित करने के करीब हैं जो आयरन और जिंक से भरपूर होगा. इसे लेकर बीएयू के कृषि वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं!

मालूम हो कि झारखंड सहित देश के पूर्वोत्तर भाग में रहनेवाले लोगों में एनेमिया और डायरिया की समस्या आम है. इन राज्यों में लोगों में एनेमिया और डायरिया की मुख्य वजहों में से एक है उनके मुख्य खाद्यान्न में शामिल चावल में आयरन और जिंक की कमी होना. आयरन और जिंक की इसी कमी को दूर करने के लिए इंटरनेशनल राइस इंस्टिट्यूट, मनीला से मिले हार्वेस्ट प्लस चैलेंज प्रोजेक्ट के तहत तीन साल के शोध और फिर क्रॉसिंग के बाद बीएयू के वैज्ञानिकों ने अनुसंधान प्रक्षेत्र में कई ऐसे जीनोटाइप विकसित किए हैं जिनमें जिंक और आयरन की मात्रा दुगुना के करीब है!


- बीएयू का चावल दूर करेगा एनेमिया-डायरिया
- जिंक-आयरन से भरपूर किस्म विकसित करने के करीब पहुंचा बीएयू
- इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ राइस,मनीला से मिला था हार्वेस्ट प्लस चैलेंज प्रोजेक्ट
- बीएयू के रिसर्च के 65 क्यारियों में मिले 15 से ज्यादा जिंक-आयरन वाले जीनोटाइप
- चावल में आयरन और जिंक की दुगुनी मात्रा वाले प्रजाति विकसित करने की है कोशिश
- परियोजना को मिली बीएयू में प्रारंभिक सफलता
- प्रोजेक्ट रिसर्च के दौरान मिले 18-20 पीपीएम पर ग्राम आयरन वाले चावल
- जिंक की बढ़ी मात्रा भी मिली चावल में
- बीएयू के किसानों का दावा- अगले चार वर्षो में किसानों तक होगा धान का बीज
- सिर्फ चावल को आहार में शामिल करने से दूर होगा एनेमिया
- जिंक की वजह से डायरिया भी रहेगा काबू में, बच्चों के मानसिक विकास में मिलेगी मदद

बीएयू में राइस एंड पल्स रिसर्च स्कीम की टीम लीडर डॉ. नूतन वर्मा ने कहा कि शोध में उन्नत किस्म के धान में जिंक और आयरन की मात्रा औसत से ज्यादा मिली है. इस वक्त झारखंड की महिलाओं और बच्चों को अलग से टैबलेट लेना पड़ रहा है. लेकिन इस उन्नत किस्म के चावल खाने से अलग से टैबलेट लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी! शरीर में जिंक और आयरन की कमी को दूर करने के लिए इस उन्नत किस्म के चावल को आहार में शामिल करना काफी होगा!

बिरसा कृषि महाविद्यालय (बीएयू) के कृषि वैज्ञानिकों ने अगले तीन से चार वर्ष में जिंक और आयरन से भरपूर धान के बीज किसानों तक पहुंचाने का विश्वास दिलाते हुए कहते हैं कि यह अनुसंधान इस मायने में ज्यादा महत्वपूर्ण है कि यह न सिर्फ देशवासियों के स्वास्थ्य सुधारेगा बल्कि एनेमिया जैसी बड़ी स्वास्थ्य समस्या को भी दूर करेगा!

 

साभार

न्यूज़ 18 हिंदी

English Summary: Birsa Agricultural School will remove rice anemia-diarrhea Published on: 08 January 2018, 02:21 AM IST

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