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बासमती चावल खाना हो सकता है महंगा, क्योंकि इस वजह से बढ़ सकती है इसकी कीमत

जब तेज बारिश किसानों की फसलों पर कहर बनकर बरसती है, तो मानो किसानों की कड़ी मेहनत पर पूरी तरह से पानी फिर जाता है. कभी-कभी तेज बारिश का कहर किसानों पर कुछ इस तरह बरसता है कि उनके खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो जाती हैं.

कंचन मौर्य
Basmati Rice Cultivation
Basmati Rice Cultivation

जब तेज बारिश किसानों की फसलों पर कहर बनकर बरसती है, तो मानो किसानों की कड़ी मेहनत पर पूरी तरह से पानी फिर जाता है. कभी-कभी तेज बारिश का कहर किसानों पर कुछ इस तरह बरसता है कि उनके खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो जाती हैं.

अक्टूबर के आखिर में हुई तेज बारिश की इसी आफत ने किसानों की धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है. इस कारण बासमती चावल की कीमत में भारी इजाफा हो सकता है. तो चलिए इस पहलू पर विस्तार से प्रकाश डालते हैं

बढ़ सकती है बासमती चावल की कीमत (Basmati rice price may increase)

माना जा रहा है कि इस आफत की बारिश से फसल के उत्पादन में 20 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है. वहीं, कारोबारियों का कहना है कि इस कारण आने वाले दिनों में बासमती चावल (Basmati Rice) की कीमत भी प्रति क्विंटल 2000 रुपए तक बढ़ सकती है.

हालांकि, इस वक्त बासमती चावल की कीमत 8500 रुपए प्रति क्विंटल है. इसके साथ ही रिटेल में बासमती चावल (Basmati Rice) 70 से लेकर 90 रुपए प्रति किलो मिल रहा है.

क्यों और कितने बढ़ेंगे बासमती चावल के दाम? (Why and by how much will the price of Basmati rice increase?)

वैज्ञानिकों की मानें, तो इस बार अक्टूबर में हुई भारी बारिश के कारण बासमती धान की फसल को काफी नुकसान हुआ है. इससे करीब 20 प्रतिशत फसलें खराब हो गई है. ऐसे में कारोबारियों का मानना है कि आने वाले समय में बासमती चावल (Basmati Rice) की कीमत बढ़ सकती है. इसका सीधा असर निर्यात पर भी पड़ेगा. वहीं कारोबारियों का कहना है कि इस बार की बारिश से चावल की गुणवत्ता भी चली गई है, जिससे खेत में पानी भरने से दाना काला पड़ जाएगा.

बासमती चावल का एक्सपोर्ट (Export of basmati rice)

बताते चलें कि हमारे देश से करीब 150 देशों में बासमती चावल (Basmati Rice) एक्सपोर्ट किया जाता है. अगर इसकी खेती करने वाले प्रमुख राज्यों की बात करें, तो इसमें तीन राज्य पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश का नाम सबसे पहले आता है. इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़, मुरादाबाद, बरेली के सभी जिलों में बासमती चावल की खेती होती है. 

यहां की मिट्‌टी व मौसम बासमती चावल की खेती के लिए काफी अनुकूल है.  वहीं, किसानों के लिए सिंचाई के साधन भी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं. इतना ही नहीं, बासमती चावल का उत्पादन हिमालय की तलहटी में आने वाले इंडो-गंगेटिक प्लेन (IGP-Indo-Gangetic Plains) यानी गंगा के मैदानी इलाकों में भी किया जाता होता है. बता दें कि इसमें पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब के 14 जिले भी शामिल हैं.

बासमती चावल की खासियत (Specialty of basmati rice)

बासमती चावल अपने अनूठे स्वाद और गुणों की वजह से दुनिया भर में खाद्य और रेस्तरा उद्योग में प्रीमियम चावल के रूप में मौजूदगी बनाए हुआ है. इसका 7 राज्यों के 95 जिलों को जीआई टैग मिला है, जिनमें हरियाणा, पंजाब,  हिमाचल, उत्तराखंड, दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश के 30 और जम्मू-कश्मीर के 3 जिले (जम्मू, कठुआ और सांबा) शामिल हैं.

किसानों के लिए अच्छी खबर (Good news for farmers)

जानकारी के लिए बता दें कि ईरान ने तय समय से कुछ दिन पहले चावल के आयात पर मौसमी प्रतिबंध हटाने की घोषणा की है. ISNA के मानें, तो चावल की फसल के मौसम की समाप्ति और बंदरगाहों में कार्गो के लिए असंतोषजनक भंडारण स्थान के कारण प्रतिबंध हटा लिया गया है.

English Summary: Basmati rice price may increase Published on: 10 November 2021, 11:41 AM IST

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