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बासमती चावल उगाने वाले किसानों के लिए बड़ी खबर, ये गलती कर सकती है नुकसान

अगर आप बासमती धान की खेती करते हैं, तो आपके लिए यह खबर पढ़ना बहुत जरूरी है, क्योंकि अब यूरोपियन यूनियन, खाड़ी देशों और अमेरिका के मानकों पर बासमती धान की खेती करनी है.

कंचन मौर्य
rice
Rice

अगर आप बासमती धान की खेती करते हैं, तो आपके लिए यह खबर पढ़ना बहुत जरूरी है, क्योंकि अब यूरोपियन यूनियन, खाड़ी देशों और अमेरिका के मानकों पर बासमती धान की खेती करनी है.

जानकारी के लिए बताते चलें कि इन देशों में बासमती धान एक्सपोर्ट किया जाता है, लेकिन अब ये देश केमिकल अवशेष मुक्त कृषि उत्पादों की मांग कर रहे हैं. चूंकि, भारत से लगभग 32 हजार करोड़ रुपए का बासमती चावल (Basmati Rice) एक्सपोर्ट किया जाता है, इसलिए इस मामले को लेकर सरकार भी काफी संजीदा है. अगर किसान बासमती धान की खेती में कीटनाशकों का ज्यादा इस्तेमाल करेंगे, तो इसके निर्यात में काफी कमी आ सकती है.

ऐसे में  इसकी खेती करने वाले किसानों के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority/APEDA) और इससे जुड़े बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (Basmati Export Development Foundation/BEDF) ने एडवाइजरी (Advisory) जारी की है.

किसान भाईयों से एपिडा की अपील (APEDA's appeal to farmer brothers)

बासमती धान की खेती करने वाले किसानों से अपील की गई है कि वह रसायन अवशेष मुक्त बासमती धान का उत्पादन करें, ताकि इसका निर्यात में किसी तरह की कमी न आए.

इसके लिए सलाह दी कि जब भी फसल में रोग लगे, तो किसान भाई कृषि वैज्ञानिक से संपर्क करें. इस संबंध में कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर आप जरूरत से अधिक यूरिया नहीं डाल रहे हैं, साथ ही पानी का प्रबंधन सही है, तो बिना दवा के बासमती चावल की अच्छी पैदावार मिल सकती है.

इन बातों का रखें ध्यान (keep these things in mind)

  • मिट्टी की जांच के आधार पर खाद और उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करें.

  • पोटाश और जिंक का प्रयोग करें.

  • यूरिया का प्रयोग कम से कम करें.

  • बारिश से खेतों में पानी भर जाता है, इससे गलन की समस्या आ सकती है, इसलिए खेतों से अतिरिक्त पानी निकाल दें.

  • सल्फर (80 से 90 प्रतिशत डब्लू डीजी) की लगभग 2 किलोग्राम मात्रा प्रति एकड़ प्रयोग करना है.

  • धान की रोपाई के बाद 15 से 25 दिन के बीच एक से दो बार हल्का पाटा अवश्य चलवाना चाहिए.

  • किसानों को पत्ती लपेटक कीट के लिए कोई भी रसायन प्रयोग नहीं करना है.

  • कीटनाशक का प्रयोग वैज्ञानिकों की सलाह से सही मात्रा और समय में करना है.

  • खेत की मेड़ों को साफ रखें.

  • दूब घास को पनपने न दें.

  • खेतों से अवांछिनीय पौधों को निकालते रहें.

किसान भाईयों की मदद के लिए नंबर (Number for help of farmers )

किसानों की मदद के लिए बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन द्वारा एक हेल्पलाइन नंबर (8630641798 ) जारी किया गया है. इस नंबर पर फोटो भेजकर बासमती धान में लगने वाले कीट व रोगों की समस्या का समाधान पा सकते हैं.

English Summary: apeda has issued advisory for the farmers cultivating basmati paddy Published on: 31 July 2021, 12:39 PM IST

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