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कृषि मंत्री ने कमोडिटीज मार्केट पर सम्मेलन को सम्बोधित किया

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि सरकार किसानों को मार्केट से जोड़ने और उनके लिए एक ठोस मार्केंटिंग ढांचा खड़ा करने का प्रयास कर रही है ताकि देश के किसान खेती के साथ फसलों से जुड़े व्यापार में हिस्सेदारी करें और नए भारत के निर्माण में अपना योगदान दें। उन्होंने यह बात आज नई दिल्ली में कमोडिटीज मार्केट की गतिशीलता बदलना विषय पर सीपीएआई द्वारा आयोजित सम्मेलन में ये बात कही।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि सरकार किसानों को मार्केट से जोड़ने और उनके लिए एक ठोस मार्केंटिंग ढांचा खड़ा करने का प्रयास कर रही है ताकि देश के किसान खेती के साथ फसलों से जुड़े व्यापार में हिस्सेदारी करें और नए भारत के निर्माण में अपना योगदान दें। उन्होंने यह बात आज नई दिल्ली में कमोडिटीज मार्केट की गतिशीलता बदलना विषय पर सीपीएआई द्वारा आयोजित सम्मेलन में ये बात कही।

कृषि मंत्री ने कहा कि किसानो की आय दोगुनी करने के लिए उत्पादन बढाने, उत्पादन लागत कम करने तथा आय के अन्य सहायक स्त्रोतो को अपनाने के साथ किसानो की उपज की सही मार्केटिंग का इंतजाम करना भी बेहद जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि इसमें जिंसों के डेरीवेटिव्स व्यापार, मूल्य खोज एवं मूल्य जोखिम प्रबंधन में सहायक हो सकता है और अर्थव्यवस्था के सभी वर्ग के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। यह कृषि जिंसों की मांग और पूर्ति के असुंतलन को दूर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

उन्होंने कहा कि वायदा कारोबार सिर्फ आज के बाजार के मूल्य संकेत नहीं देता, अपितु आने वाले कुछ महीनों के लिए भी मूल्य संकेत देता है जिससे क्रेता और विक्रेता दोनों ही आने वाले समय में अपनी खरीद बिक्री की योजना बना सकते हैं जिससे मांग और आपूर्ति का संतुलन बना रह सके I इस तरह यह किसान और उपभोक्ता दोनों के लिए ही फायदेमंद साबित हो सकता है I इससे किसान पहले ही योजना बना सकते हैं कि उन्हें कब, कौन सी और कितनी फसल की खेती करनी है I उन्होंने कहा कि   इसके लिए जरूरी है कि बाजार किसानों की पहुच के अन्दर हो तथा बाजार व्यवस्था में बिचौलिये नहीं हों I उन्होंने कहा कि उपज का मूल्य पारदर्शी तरीके से तय होना चाहिए और किसान को अपनी उपज का अविलंब मूल्य मिलना चाहिए I  साथ ही, किसान और बाजार के बीच की दूरी यथासंभव कम होनी चाहिए I

कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि उपज का संगठित विपणन राज्य सरकारों द्वारा विनियमित मंडियों  द्वारा किया जाता है, जिनकी कुल संख्या देश में 6746 है I किसानो पर गठित राष्ट्रीय आयोग की अनुशंसा के अनुसार 80 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में एक मंडी होनी चाहिए, जबकि वर्तमान में लगभग 580 वर्गकिलोमीटर में एक मंडी है। वर्तमान सरकार ए पी एम सी मंडी खोलने के साथ  विपणन कानूनों में सुधार करवाकर निजी क्षेत्र में भी मंडी स्थापित करवाने के लिए राज्य सरकारों को प्रोत्साहित कर रही है। सरकार खाद्य भंडारो को बजार सब यार्ड में विकसित करने पर विचार कर रही है।

उन्होंने कहा कि ई-नैम के द्वारा किसानों की पहुच देश के अनेक मंडियों एवं क्रेताओं से स्थापित हो रही है।  ई-नैम के जरिए किसान किसी भी जगह बैठकर ऑनलाइन ट्रेडिंग के द्वारा अपनी फसल को बेच सकता है तथा इसके लिए वह उपज की गुणवत्ता अनुरूप उत्तम मूल्य प्राप्त कर सकता है। यदि उसे मूल्य पसंद न हो तो वह ऑनलाइन द्वारा की गयी सर्वोच्च बोली को भी नकार सकता है। इसमें किसान को अपने फसल की धनराशि का ऑनलाइन भुगतान सीधे उनके खाते में प्राप्त होती है। ई-नाम पोर्टल से वर्ष 2018 तक कुल 585 मंडियों को जोड़े जाने की योजना है । अब तक 12 राज्यों के 277 मंडियों को ई-नैम से जोड़ दिया गया है।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से भारत खाद्यान्न में आत्मनिर्भर और अन्य देशों के लिए अनाज का निर्यात करने वाला देश बन गया है कृषि विकास दर 2% से बढ़कर 4.4% हो गई है जो यह दर्शाती है कि सरकार किसानों और कृषि की भलाई के लिए गंभीरता से काम कर रही है। उन्होंने बताया कि पिछले साल बजट की तुलना में वर्ष 2017-18 के बजट में, ग्रामीण, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए निधि में 24% की वृद्धि हुई है, अब यह 1,87,223 करोड़ रुपये है।

English Summary: Agriculture Minister addressed the Conference on Commodity Market Published on: 27 August 2017, 02:53 AM IST

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