कोविड-19 के शुरुआती दौर से ही शहद के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा था, क्योंकि यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सक्षम है. भारत के कई सारे लोगों ने अपनी सेहत का ख्याल रखते हुए भरोसेमंद ब्रांड्स की शहद का उपयोग भी करना शुरू किया.
लेकिन अब सामने आया है कि 13 में से 10 नामी ब्रांड्स कि शहद में संशोधित सिरप के साथ मिलावट की जाती है (adulterated with modified syrup).
2 दिसंबर को सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) ने अपनी जांच के माध्यम से दावा किया कि देश के 13 शीर्ष शहद ब्रांडो में से 10 ब्रांड की शहद में मिलावट की जाती है.
केवल तीन ब्रांड्स की शहद पाई गई शुद्ध
सीएसई (CSE) की डायरेक्टर जनरल सुनीता नारायण बताती हैं कि सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर नेक्टर– केवल इन्हीं ब्रांड्स ने जर्मन लैब द्वारा संचालित अंतरराष्ट्रीय रूप से स्वीकृत न्यूक्लियर मैग्नेटिक रिजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (NMR) टेस्ट पास किया. CSE ने यह खुलासा नहीं किया कि कौन सी जर्मन लैब ने उनके उत्पादों का परीक्षण किया है.
भारत की नामी ब्रांड्स कि शहद में मिली मिलावट
वह आगे बताती हैं कि भारत की नामी ब्रांड्स की 4 महीने की जांच के निष्कर्षों के हिसाब से डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू, हितकारी, और एपिस हिमालया जैसे प्रमुख ब्रांडों के शहद के नमूने एनएमआर परीक्षणों (NMR TESTS) को पास नहीं कर पाए.
भारतीय कानून शहद के लिए एनएमआर परीक्षण का प्रयोग नहीं करता, लेकिन जब भारतीय शहद को निर्यात किया जाता है तब इस टेस्ट को पास करना अनिवार्य है.
शुद्धता का परीक्षण पास करने के लिए इस्तेमाल की जाती है चीनी चाशनी
सीएसई की फूड सेफ्टी एंड टॉक्सिंस टीम के प्रोग्राम डायरेक्टर अमित खुराना ने बताया कि हमें जो जांच में मिला वह चौका देने वाला था. यह दर्शाता है कि मिलावट का व्यवसाय कैसे विकसित हुआ, ताकि भारत में निर्धारित परीक्षणों को फेल किए बिना चीनी सिरपों का इस्तेमाल किया जा सके.
हमारे उत्पाद हैं 100% सुरक्षित
डाबर, पतंजलि और इमामी जैसी ब्रांड्स ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनकी कंपनी द्वारा तैयार की गई शहद और बाजार के सभी उत्पादों को खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं का पालन करते हुए 100% सेफ्टी के साथ बनाया जाता है. डाबर के एक प्रवक्ता ने सीएसई की रिपोर्ट को “दुर्भावनापूर्ण” करार किया.
पतंजलि ने कहा कि रिपोर्ट का उद्देश्य प्रोसेस शहद को बढ़ावा देना था बाकी किसी ब्रांड ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई.
इस जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि शहद के कारोबार में कई भारतीय कंपनियां शहद की मिलावट के लिए चीन से सिंथेटिक चीनी सिरप आयात कर रही थीं. एनएमआर परीक्षण (NMR tests) मिलावटी योजक (Additives) का पता लगाने में सक्षम होने के बावजूद मिलावट की मात्रा का पता लगाने में सक्षम नहीं है.
जांच के लिए चुनी गई ब्रांड्स की शहद का कुल 18 मानकों के हिसाब से परीक्षण किया गया और उसके बाद ही उस शहद को शुद्ध करार किया गया. सुनीता नारायण ने कहा, “हम महामारी से लड़ने के लिए शहद का सेवन कर रहे हैं. लेकिन चीनी के साथ मिलावटी शहद हमें अच्छा नहीं बना सकती.”
चाशनी की मिलावट के बाद भी शुद्धता परीक्षण पास करने के काबिल पाई गई
जांच के एक हिस्से के रूप में, CSE ने उत्तराखंड के जसपुर में एक ऐसी फैक्ट्री का पता लगाया, जिसमें शहद में मिलावट करने के लिए चीनी की चाशनी का निर्माण किया जाता है. यहां की शहद, चीनी की चाशनी की मिलावट के बाद भी शुद्धता के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) परीक्षण पास करने के काबिल पाई गई.
शहद में मिलावट है एक वैश्विक समस्या
सीएसई (CSE) के अनुसार भारत सहित कई देशों में शहद की मिलावट एक वैश्विक समस्या है. शहद की जांच के लिए कड़े नियमों और नए परीक्षणों को तैयार करना भी जरूरी हो गया है. मिलावट करने वाली ब्रांड्स के कारण शुद्ध शहद बनाने वाले मधुमक्खी पालकों की आजीविका नष्ट हो रही है, क्योंकि चीनी-सिरप शहद बाजार में आधे मूल्य पर उपलब्ध है.
Share your comments