भारत में कृषि क्षेत्र को एक मुख्य स्थान दिया गया है. देश के विभिन्न राज्यों के लाखों किसानों की जीविका खेताबाड़ी पर निर्भर है. किसानों की खेतीबाड़ी से ही आम जनता का पेट भरता है.
प्राचीन समय में कृषि क्षेत्र को कई कड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा है, लेकिन अगर आधुनिक दौर की बात की जाए, तो कृषि क्षेत्र में कई तकनीकों को विकसित किया जा चुका है. इसके द्वारा खेती करना बहुत आसाना हुआ है. बता दें कि कृषि में मशीनों का मुख्य स्थान है.
खेत की तैयारी, बुवाई, सिंचाई और कटाई में कृषि मशीनरी का महत्वपूर्ण स्थान है. इनके उपयोग से ही फसल उत्पादन और गुणवत्ता बढी है. आज हम इस लेख में बताने जा रहे हैं कि खेती में सबसे ज्यादा कौन से कृषि यंत्र उपयोग किए जाते हैं.
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के बारानी क्षेत्रों में किसान धान, मक्का, कोंदों, राई, सरसों, मूंगफली, दलहनी फसलों समेत कई सब्जियों की खेती करते हैं. मगर इन क्षेत्रों के किसानों को ज्यादातर फसल की कम पैदावार ही प्राप्त होती है.
लैसे किसानों के लिए कई उन्नत कृषि यंत्र उपलब्ध कराए गए हैं, जिनके द्वारा किसान खेती में अपनी आमदनी को दोगुना कर सकते हैं. इन कृषि यंत्रों द्वारा उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है.
जीरो टिलेज (Zero tillage)
इस मशीन की खासियत है कि किसान बिना खेत की जुताई कर गेंहू समेत अन्य फसलों की बुवाई कर सकते हैं. इस मशीन में लागत भी कम लगती है.
ट्रैक्टर चालित डिस्क हैरो (Tractor driven disc harrow)
इसका उपयोग बगीचों और पेड़ों के बीच करना अच्छा माना जाता है. इससे खेत की तैयारी में लगभग 40 प्रतिशत तक लागत कम लगती है. फसल की पैदावार बढ़ती है.
रोटावेटर (Rotavator)
इस रोटावेटर कृषि यंत्र से शुष्क और नमीयुक्त भूमि को तैयार किया जाता है. इस यंत्र के उपयोग से खेत की मिट्टी में हरी खाद और भूसा अच्छी तरह मिलाया जाता है. इस तरह मिट्टी भुरभुरी हो जाती है. इस यंत्र द्वारा खेती में लगने वाली लागत को 60 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है. इससे फसल की पैदावार अच्छी होती है.
धान ड्रम सीडर (Paddy Drum Seeder)
इस यंत्र की मदद से धान के खेत में पहले से जमा बीजों को लेवा बनाकर खेत में बोया जाता है.
इससे कम से कम 20 प्रतिशत बीज की बचत होती है. इस तरह फसल की बुवाई अच्छी तरह हो जाती है, जो कि फसल की पैदावार और गुणवत्ता को बढ़ाता है.
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