कृषि यंत्र खेतीबाड़ी को काफी आसान बना देते हैं. किसान खेत में फसलों की बुवाई करते समय कई कृषि यंत्रों का उपयोग करते हैं. इसमें ट्रैक्टर का अपना एक प्रमुख स्थान है. यह एक ऐसा कृषि यंत्र है, जिसके द्वारा अधिकतर कृषि यंत्रों को संचालित किया जा सकता है. मगर आजकल आए दिन तेल की कीमत में इजाफ़ा हो रहा है.
इस कारण किसानों की आर्थिक लागत भी अधिक लग जाती है इसलिए ज़रूरी है कि किसान खेती में उपयोग होने वाले कृषि यंत्र यानी ट्रैक्टर में डीजल की खपत कम करने पर ज्यादा ध्यान दें. इसके लिए किसानों को कुछ खास बिंदुओं पर विशेष ध्यान देना होगा. आइए आपको ट्रैक्टर में डीजल की बचत करने के खास उपाय बताते हैं.
हर 2 महीन पर करें इंजेक्टर की जांच (Check injector every 2 months)
अगर इंजन से काला धुआं निकलता है, तो इसका मतलब साफ है कि डीजल अघिक खर्च हो रहा है. यह समस्या इंजेक्टर या इन्जेक्सन पम्प में किसी प्रकार की खराबी के कारण हो सकती है. इसके लिए ट्रैक्टरों में हर 2 महीने पर इंजेक्टर की जांच करना चाहिए. अगर फिर भी काला धुआं लगातार निकल रहा है, तो यह इंजन पर अतिरिक्त बोझ की निशानी होती है. ऐसे में ट्रैक्टरों पर उतना ही बोझ रखें, जितना इंजन काला धुआं न दे पाए. इससे डीजल की भी बचत हो पाएगी.
ट्रैक्टर को लंबाई में चलाएं (Drive tractor at length)
अगर किसान खेत में ट्रैक्टर को चौड़ाई की जगह लंबाई में चलाएंगे, तो ट्रैक्टर को खेत के किनारों पर घूमने में कम समय लगेगा. इससे ट्रैक्टर में लगने वाले डीजल की खपत कम होगी. डीजल इंजनों को उतने ही चक्करों में चलाए, जितना की ज़रूरत है. इन्हें ज्यादा चक्करों पर चलाने से डीजल का खर्चा बढ़ता है, साथ ही खेत में टूट-फूट होने की सम्भावना भी बढ़ जाती है.
इंजन में हवा का आवागमन बराबर होना चाहिए (The air movement in the engine should be equal to)
अगर इंजन चालू करने पर शोर करता है, तो इस स्थिति में इंजन में हवा कम जा रही होती है. इसक वजह से डीजल की खपत बढ़ जाती है. अगर इस प्रकार की कोई स्थिति बनती है, तो ईंधन को एक बार फिर से शुरू करना चाहिए.
बता दें कि हर कंपनी ट्रैक्टर और इंजन, दोनों के साथ दिशा-निर्देश की पुस्तिका उपलब्ध कराती है.
इंजन का मोबिल आयल बदलना चाहिए (Engine oil should be changed)
अगर इंजन का मोबिल आयल ज्यादा पुराना हो जाता है, तो उसकी शक्ति घट जाती है. इस वजह से डीजल का खर्च भी बढ़ जाता है. ऐसे में ज़रूरी है कि निश्चित समय पर इंजन के मोबिल आयल और फ़िल्टर, दोनों को बदल दिया जाए. बता दें कि पम्प सेट से पानी बाहर फेंकने वाले नल को जितना अधिक उठाया जाएगा, उतना ही डीजल अधिक खर्च होगा.
ऐसे में इसे उतना ही ऊंचा उठाएं, जितना की ज़रूरत हो. अगर किसान इस तरह अपने ट्रैक्टर का ध्यान रखते हैं, तो निश्चित ही डीजल में लगने वाली लागत कम होती है.
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