1. Home
  2. Stories

'कहते हैं कि गालिब का अंदाज़-ए-बयां कुछ और है'

गालिब की दिल्ली कहूं या दिल्ली के गालिब, बात एक जैसी ही है. शायरों में एक ऐसा शायर जिसके नाम से दिल्ली जानी गई. गालिब की पैदाइश और इंतकाल के बारे में आपको इंटरनेट वेबसाइट और किताब से जानकारी मिल जाएगी, इसलिए आज हम आपको गालिब की जिंदगी से जुड़े दूसरे पहलुओं के बारे में बताएंगें.

गिरीश पांडेय
गिरीश पांडेय
Mirza Galib
Mirza Galib

गालिब की दिल्ली कहूं या दिल्ली के गालिब, बात एक जैसी ही है. शायरों में एक ऐसा शायर जिसके नाम से दिल्ली जानी गई. गालिब की पैदाइश और इंतकाल के बारे में आपको इंटरनेट वेबसाइट और किताब से जानकारी मिल जाएगी, इसलिए आज हम आपको गालिब की जिंदगी से जुड़े दूसरे पहलुओं के बारे में बताएंगें.

ऊर्दू शायरी दो सौ साल से भी ज़्यादा पूरानी है, बहुत मुश्किल है इसमें अच्छी शायरी कहना और यदि कुछ अच्छा कह दिया जाए तो फिर क्या कहने. गालिब इसी दर्जे के शायर हैं. इनकी शायरी में शराब से लेकर कोठे तक और सियासत से लेकर इश्क तक सब मौजूद है.

क्यों अलग है 'गालिब'

'यूं तो बहुत हैं सुख़नवर दुनिया में, कहते हैं गालिब का अंदाज़-ए-बयां कुछ और है' यह शेर गालिब ने खुद के लिए लिखा. गालिब अपने हुनर से वाकिफ़ नहीं थे, ऐसा तो बिल्कुल नहीं था परंतु उन्हें कभी इसका गुमान नहीं हुआ. गालिब जब तक जिंदा रहे, फकीर की तरह रहे. उनकी हर अदा में शायरी थी और यही वह खूबी थी जिसने गालिब को दूसरे शायरों से न केवल अलग खड़ा किया बल्कि ऊर्दू शायरी का सबसे नायाब शायर बना दिया.

आ ही जाता वो राह पर 'ग़ालिब'

कोई दिन और भी जिए होते

शेर कहने का यह अंदाज गालिब का है. बातचीत के लिहाज़ में शेर कह देना ही गालिब की अज़ीम शख्सियत में शुमार था.

गालिब की दिवाली

ऐसा नहीं था कि गालिब अपने वक्त के बारे में मुक्तलिफ़ जानकारी नहीं रखते थे. वह एक शायर के लिहाज़ से अपने आस-पास हो रही हर चहलकदमी से वाकिफ़ थे. एक किस्सा गालिब के बारे में यह कहा जाता है कि - दिवाली के दिन गालिब के यहां कुछ हिन्दू दिवाली की मिठाई दे गए और गालिब उनका शुक्रिया अदा करने बाहर आए तो पास बैठे एक मौलाना ने उनसे कहा कि- क्या गालिब दिवाली की बरफ़ी खाएंगें ? बरफ़ी तो हिंदू होती है, इसपर गालिब ने जवाब दिया कि अच्छा ! तो रबड़ी क्या है ? और कलाकंद ? यह कहकर वो हंसते हुए चल दिए. गालिब ने अपनी शायरी में जहां एक और मज़हब के ठेकेदारों पर तंज कसा वहीं दूसरी और सारी इंसानियत को यह एहसास कराय कि खुदा कहीं नहीं, इंसान के अंदर मौजूद है. उसके लिए मंदिर,मस्जिद,गुरुद्धारा और चर्च की आवश्यकता नहीं हैं.

English Summary: Know about Mirza Galib Published on: 27 December 2018, 03:57 IST

Like this article?

Hey! I am गिरीश पांडेय. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News